हार के बाद हिम्मत भी हार गए कोच
४ मार्च २०१०ध्यानचंद स्टेडियम में जब स्पेन की टीम भारतीय टीम के ख़िलाफ़ गोल पर गोल दाग रही थी तब कोच ब्रासा सीमा रेखा के बाहर छटपटा रहे थे. मैच के बाद टीम मायूस थी और कोच के चेहरे की हताशा किसी से छुपी नहीं थी. हार के लिए खिलाड़ियों को ज़िम्मेदार ठहराते हुए ब्रासा ने कहा कि उन्होंने बच्चों जैसी ग़लतियां की. कोच ब्रासा ने कहा, "सीधे शब्दों में कहें तो हम सेमीफाइनल से बाहर हो गए हैं. हां, तकनीकी रूप से अगर हम अपने बाकी दोनों मैच जीतें और फिर ऐसा या वैसा हो तो हम सेमीफाइनल में पहुंच सकते हैं. सही मायनों में कहूं तो हमारे सेमीफाइनल में पहुंचने का ख़्वाब क़रीब क़रीब ख़त्म हो चुका है. अब हम पांचवें स्थान पर आने की कोशिश करेंगे."
ब्रासा ने ख़राब प्रदर्शन के लिए अन्य कारणों को भी क़सूरवार ठहराया. उन्होंने कहा कि वर्ल्ड कप से पहले बीते छह महीने में टीम ने एक भी अंतरराष्ट्रीय स्तर का मैच नहीं खेला, ऐसे में आप चमत्कार की उम्मीद नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, "आधे खिलाड़ियों का यह पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था. स्पेन की टीम हमारे जैसी ही है." भारतीय कोच ने कहा स्पेन की टीम वर्ल्ड कप से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर के दस मैच खेल कर आई लेकिन भारतीय टीम को ऐसे मौक़े नहीं मिले.
ब्रासा के मुताबिक पहले हाफ़ से ठीक 10 सेकंड पहले हुए दूसरे गोल से टीम दबाव में आ गई. उन्होंने कहा, "हमने बचकानी ग़लतियां कीं. हमने अपने गोल पोस्ट के सामने स्पेन के कप्तान और सबसे बेहतर खिलाड़ी पोल अमाट को खुला छोड़ दिया. मेरी नज़र में वह दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ियों में हैं. ऐसे में आप उसे खुला कैसे छोड़ सकते हैं."
कोच के मुताबिक़ दूसरे गोल से भारतीय टीम की हार तय हो चुकी थी. ब्रासा ने कहा कि अनुभव की कमी के चलते ग़लतियां हुईं और दबाव भी हावी हुआ. कभी स्पेने के कोच रह चुके ब्रासा के मुताबिक इन कारणों की वजह से टीम छह में से सिर्फ़ एक पेनाल्टी कॉर्नर को ही भुना पाई. खिलाड़ियों का बचाव करते हुए ब्रासा ने कहा कि संदीप ने स्पेन के टूर पर इसी गोलकीपर के ख़िलाफ़ गोल मारे थे लेकिन गुरुवार को ऐसा नहीं हो सका.
हालांकि टीम इंडिया के कोच ने कुछ ख़ास खिलाड़ियों को हार का ज़िम्मेदार ठहराने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि वर्ल्ड कप से पहले टीम की रैंकिंग 12वीं थी और अब हम चाहते हैं कि टीम नंबर पांच पर हो.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल