हीरो बना सड़क का फवाद
१२ अक्टूबर २०१२मोहम्मदी की गहरी हरी आंखें और चारकोल से सना हुआ चेहरा अब लॉस एजेंल्स से लंदन तक के सिनेमाघरों में दिखाया जा रहा है. वह बुजकाशी बॉयज शॉर्ट फिल्म का किरदार हैं. इस फिल्म को कई अवॉर्ड्स के लिए नामांकित किया गया है. मोहम्मदी कहते हैं, "मैंने कई फिल्में देखी, खासकर अफगान फिल्में. और जब मैंने उन्हें देखा तो सपना भी देखा था कि मैं एक अभिनेता बन गया हूं. इसके बाद मुझे सैम फ्रेंच मिले. और अब मैं फिल्म में काम कर रहा हूं."
12 साल के फवाद मोहम्मदी काबुल की सड़कों पर विदेशियों को नक्शे बेच कर अपना और परिवार का भरण पोषण करते हैं. उन पर यह जिम्मेदारी इसलिए आ गई है क्योंकि घर में कमाने वाले पिता की कई साल पहले मृत्यु हो गई थी.
फिल्म का चेहरा बन चुके फवाद को अभी भी विश्वास नहीं होता कि अपने इस काम के कारण वह सैम फ्रेंच की फिल्म में आ सके. यह फिल्म उन बच्चों के बारे में है जो काबुल में बड़े हो रहे हैं और बुजकाशी बनने का सपना देखते हैं. बुजकाशी वो घुड़सवार होते हैं जो अफगानिस्तान के राष्ट्रीय खेल में शामिल होते हैं. यह पोलो जैसा खेल होता है लेकिन इसमें गेंद की जगह मरी हुई बकरी का इस्तेमाल किया जाता है.
मोहम्मदी के साथ उसके जैसा ही एक और लड़का है और एक लुहार का बेटा है, जो घंटों अपने पिता की वर्कशॉप में कुल्हाड़ी को धार करता रहता है,
फिल्म के निर्देशक फ्रेंच कहते हैं, "मैं इस फिल्म में दिखाना चाहता था कि इन बच्चों के भी सपने हैं, जिसे लोग पश्चिम में नहीं देखते. उन लोगों को सिर्फ दिखाई देते हैं कई सारे आत्मघाती हमलावर और तालिबान, आपको इंसान दिखाई ही नहीं देते."
उनके लिए इन बच्चों को रील लाइफ में लाना बड़ी चुनौती थी क्योंकि सभी अलग अलग जगह से आए थे. मोहम्मदी को सड़क से चुना गया तो उसका साथी पहले से ही अभिनेता था और दो साल की उम्र से फिल्मों में काम कर रहा था, इतना ही नहीं वह अफगान फिल्म निर्माता का बेटा था.
"सड़क के बच्चे को फिल्म में लेते समय मुझे बहुत चिंता थी क्योंकि ये अदाकार नहीं है लेकिन मुझे फवाद अपने एक दोस्त के जरिए मिला." इतना ही नहीं फ्रेंच ने तय किया कि वह फिल्म के बच्चे को सड़क वाले बच्चे की भूमिका देंगे और मोहम्मदी को लुहार का बेटा बनाएंगे जो अपने पिता के व्यवसाय को आगे बढ़ाता है. "मैं मुहम्मदी के पास बार बार आया क्योंकि उसका किसी भी और व्यक्ति से दिल बहुत बड़ा है. वह बहुत ही प्यारा इंसान है और वह मेरा कैरेक्टर था, वह बच्चा था."
अब 14 साल का मोहम्मदी स्कूल जाता है और उसे कई आप्रवासी मदद भी कर रहे हैं. वह उम्मीद कर रहा है कि उसकी इंग्लिश धाराप्रवाह हो जाए. "मैं चिकन स्ट्रीट (काबुल में सोवेनियर वाली सड़क) से इंग्लिश जानता हूं. मैं जानता हूं कि कैसे बोलना है लेकिन ये नहीं जानता कि अच्छे से कैसे बोलना और लिखना है. अब इसे स्कूल में सीख रहा हूं."
बुजकाशी बॉयज अफगान फिल्म प्रोजेक्ट के तहत बनाई गई पहली फिल्म है. यह एक नॉन प्रॉफिट ग्रुप है जो फिल्म बनाने वालों को अफगानिस्तान में ट्रेनिंग देगा. फ्रेंच ने बताया, "शुरू से ही आयडिया युवा अफगान फिल्म निर्माताओं की ट्रेनिंग का ही था. प्रोडक्शन के आखिर में हमारे ट्रेनी ही कैमरा चला रहे थे और सेट पर शॉट फाइनल कर रहे थे."
एएम/एमजे (एएफपी)