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हूला के नरसंहार से हक्की बक्की दुनिया

२८ मई २०१२

सीरिया के हूला में हुए नरसंहार के बाद सुन्न पड़े अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने शाब्दिक आलोचना और भर्त्सना शुरू की. शांति के खास दूत कोफी अन्नान तार तार हुए संघर्ष विराम पर पैबंद लगाने पहुंचे हैं.

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तस्वीर: Reuters

सीरिया का समर्थन करने वाले रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव ने कहा है कि हूला में हुए नरसंहार से हतप्रभ हैं. "लेकिन यह साफ है कि राष्ट्रपति बशर अल असद और विद्रोही पक्ष दोनों की इसमें गलती थी. हम एक ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं जिसमें दोनों ही पक्ष मासूम लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार हैं." रूस ने जोर दे कर कहा है कि असद को हटाना प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए बल्कि शांति के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग से मुलाकात के बाद लावारोव ने यह कहा. वहीं हेग ने कहा कि रूस और ब्रिटेन कोफी अन्नान के शांति समझौते का समर्थन करते हैं. सीरिया के संकट को हल करने के लिए इसके अलावा फिलहाल रूस के हस्तक्षेप से भी उम्मीदे लगाई जा रही हैं.

Syrien Massaker in Huola
तस्वीर: Reuters

लावरोव ने कहा कि हिंसा खत्म करने के लिए सरकार पर दबाव डालना होगा. लेकिन यह भी कहा कि सीरिया की मुश्किल का हल असद का सत्ता से हटना नहीं है. चीन ने क्रूर हत्याओं का कड़े शब्दों में विरोध किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिऊ वाइमिन ने कहा, "चीन हूला में हुई हत्याओं से हैरान है. और कड़े शब्दों में आम लोगों, खासकर महिलाओं और बच्चों को मारने की निंदा करता है."

वहीं ईरान ने हूला में मारे गए लोगों का ठीकरा आतंकी गुटों के सिर फोड़ा. ईरानी विदेश मंत्रालय ने इसे संदिग्ध बताते हुए सीरियाई अधिकारियों से जिम्मेदार लोगों को सजा दिलवाने की मांग की है.

वहीं इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने हूला की घटना की निंदा की है और असद के समर्थन वाली सेना की ओर इशारा किया है. साथ ही बयान में कहा गया है कि "ईरान और हिज्बोल्लाह सीरियाई अत्याचार का अभिन्न हिस्सा है."

अन्नान सीरिया में

संयुक्त राष्ट्र की ओर से अरब लीग के विशेष दूत कोफी अन्नान सीरिया पहुंचे हैं. उधर संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षकों की आलोचना हो रही है क्योंकि वह हिंसा रोकने के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने कहा कि हूला के नरसंहार से पर्यवेक्षकों पर दबाव बढ़ा है. और सीरिया के कई इलाकों में उन्हें हिंसा बढ़ने का कारण बताया जा रहा है. ब्रिटेन से संयुक्त राष्ट्र के दूत लायल ग्रांट कहते हैं, "उनकी संख्या, यह तथ्य की उनके पास कोई हथियार नहीं, उन्हें सारिया के सुरक्षा कर्मी लाते ले जाते हैं. साफ है कि वह तैयार नहीं है, उनका काम हिंसा रोकने का नहीं है. वह अपनी क्षमता के हिसाब से काम कर रहे हैं लेकिन उनकी कमियों के बारे में हमें ईमानदार होना चाहिए."

सत्ता में बने रहने के लिए सीरियाई राष्ट्रपति असद हर संभव कोशिश कर रहे हैं और बंटा हुआ विपक्ष कुछ भी कर नहीं पा रहा है. आम लोगों की पिसाई जारी है.

आभा एम/एमजी (रॉयटर्स, एएफपी, डीपीए)