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10,000 पायलटों के लाइसेंसों की जांच होगी

२१ मार्च २०११

दस्तावेजों में हेरफेर करके कमर्शियल पायलट का लाइसेंस लेने वाले कई पायलटों की गिरफ्तारी के बाद सख्त डीजीसीए हुआ. अब भारत के 10,000 से ज्यादा कमर्शियल पायलटों के दस्तावेजों की जांच की जाएगी.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

नागरिक उड्डयन विभाग के मुताबिक लाइसेंस प्रक्रिया की जांच एक तीसरा पक्ष करेगा. भारत में चल रहे सभी फ्लाइंग स्कूल का ऑडिट किया जाएगा. फर्जी दस्तावेज के सहारे पायलट बनने के मामले को नागरिक और विमान जगत की सुरक्षा से जोड़कर देखा जा रहा है.

विदेशों से पढ़ाई करके लौटे भारतीय पायलटों को भी जांच के इस दायरे में लाने की कोशिश की जा रही है. अधिकारियों के मुताबिक ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जब विदेशों में लाखों रुपये खर्च करके बाद भारतीय छात्र अयोग्य या फर्जी लाइसेंस लेकर आए हैं.

लाइसेंस पाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेने के आरोप में अब तक सात से ज्यादा पायलट गिरफ्तार हो चुके हैं. इनमें एयर इंडिया और इंडिगो के पालयट भी शामिल हैं. मामला कुछ ही हफ्ते पहले अचानक सामने आया. इंडिगो एयरलाइंस की एक पायलट ने विमान को लैंडिंग गियर (पीछे वाले पहियों) में उतारने के बजाए नो व्हील (आगे वाले पहिए) में लैंड कराया. इसकी वजह से विमान हादसा का शिकार होते होते बचा.

जांच के मुताबिक लैंडिंग की यह प्रक्रिया पूरी तरह गलत थी. जांच में पता चला कि महिला पायलट ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर कमर्शियल पायलट का लाइसेंस हासिल किया. इसके बाद फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेने वाले कुथ अन्य पायलट भी पकड़े गए.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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