129 भारतीय सैनिक मानवाधिकार उल्लंघन के दोषी
६ मई २०१२यह बात खुद सेना की जांच में सामने आई है. बीते दो दशकों में सेना की मानवाधिकार शाखा को 1,532 शिकायतें मिलीं. सूत्र के मुताबिक, "जांच में पता चला कि मानवाधिकार उल्लंघन के 1,532 आरोपों में से 1,508 गलत हैं. जम्मू-कश्मीर से आईं 995 शिकायतों में से 961 गलत थीं. पूर्वोत्तर से आई 485 शिकायतों में से सिर्फ 29 सही पाई गईं."
सेना के दावे में गणित कुछ गड़बड़ दिख रहा है. 1,508 शिकायतें गलत कैसे हो सकती है, जबकि जम्मू कश्मीर के 34 और पूर्वोत्तर भारत में 29 शिकायतें सही पाई गई. सिर्फ 63 शिकायतें ही सही थी, बाकी गलत, यह थोड़ा हैरान करने वाला भी है.
बहरहाल सूत्र ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों का हनन करने वाले कुछ अफसरों समेत 59 जवान को सजा दी गई है. दोषियों पर मानवाधिकार हनन के नौ मामले बने, "इसी तरह दोष साबित होने पर पूर्वोत्तर में तैनात 70 लोगों को सजा मिली."
हालांकि कई मामले अब भी भारतीय सेना के लिए मुश्किल बने हुए हैं. पथरीबल फर्जी मुठभेड़ मामले में उस पर कोर्ट मार्शल करने का दबाव है.
पथरीबल फर्जी मुठभेड़
मार्च 2000 में भारत प्रशासित कश्मीर के अनंतनाग जिले में सात लोगों की हत्या हुई. सेना ने युवकों को विदेशी उग्रवादी बताया. सेना की आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना ने पहले फायरिंग की और फिर एक झोपड़ी को उड़ा दिया. झोपड़ी में पांचों युवक थे. बाद में बिना पोस्टमार्टम कराए ही शवों को दफना दिया गया.
स्थानीय लोगों ने आधिकारिक रिपोर्ट पर शक जताया. कश्मीरी नेताओं ने भी पूछा कि अगर मुठभेड़ हुई तो जवानों को खरोंच क्यों नहीं आई. स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया. बाद में पता चला कि पुलिस ने 17 लोगों को हिरासत में लिया था. ये सभी 21 से 24 मार्च के बीच लापता हो गए. सीबीआई जांच के मुताबिक सेना के कुछ अधिकारियों की अगुवाई में इस हत्याकांड को योजना बनाकर अंजाम दिया गया. सेना के चार अधिकारी इसमें आरोपी हैं.
अब सुप्रीम कोर्ट ने सेना से सीधे पूछा है कि क्या वह पथरीबल के दोषियों का खुद कोर्ट मार्शल करेगी या उनके खिलाफ सिविल अदालत में मुकदमा चलाया जाए.
ओएसजे, आईबी (पीटीआई)