1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

18 साल से पहले सेक्स पर जेल

५ जून २०१२

अगर 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति से कोई शारीरिक संबंध बनाता है तो भारत सरकार ने नए कानून के तहत आपको आजीवन कारावास हो सकता है. कुछ लोग इस कानून के कट्टर विरोधी हैं.

https://p.dw.com/p/1585U
तस्वीर: Reuters

हालांकि अभी तक इसे कानून का दर्जा नहीं मिला है. राष्ट्रपति के पास इस बिल को दस्तखत के लिए भेजा गया है. संसद ने इस बिल को पिछले हफ्ते ही पारित किया है. प्रोटेक्शन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट के एक प्रावधान के तहत 18 साल से कम आयु के व्यक्ति के साथ सेक्स को बलात्कार माना जाएगा. इसके लिए तीन साल या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. एक बार राष्ट्रपति के दस्तखत हो जाने के बाद ये नियम लागू हो जाएगा. पहले भारतीय दंड संहिता में सहमति से सेक्स की आयु 16 साल तय की गई थी.

हालांकि सरकार के इस बिल की काफी आलोचना भी हो रही है. आलोचकों का मानना है कि पुलिस और माता-पिता इस कानून का दुरुपयोग कर सकते हैं. आलोचकों के मुताबिक इस तरह के बिल को राष्ट्रपति के पास भेजने से यह साफ हो गया है कि सरकार को उम्र दराज लोगों ही चला रहे हैं. यहां तक कि सरकारी विभाग में काम करने वाले भी इस बिल से असहमति जता रहे हैं. सरकार के शिशु कल्याण विभाग में काम करने वाले एक अधिकारी का कहना है, "ये बहाना करना ठीक नहीं है कि कि बच्चा तब तक सेक्स के बारे में सक्रिय नहीं होता जब तक वो जवान नहीं हो जाता. इस तरह का नियम पूरी तरह से दमनकारी है."

कई सरकारी और गैर सरकारी सर्वे बताते हैं कि भारत में लोग 16 से पहले भी सेक्स का अनुभव हासिल कर लेते हैं. 2005-06 में किए गए तीसरे राष्ट्रीय परिवार सर्वे के मुताबिक 20 से 24 साल की आयु वर्ग की 43 फीसदी लड़कियों ने 18 साल से पहले ही सेक्स कर चुकी थीं. ग्रामीण इलाकों में ये प्रतिशत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि वहां शादियां पहले हो जाती हैं. भारत के ग्रामीण इलाकों में 47 प्रतिशत शादियां बाल विवाह होती हैं. इसके अलावा इंडिया टुडे और आउटलुक जैसी पत्रिकाओं के सर्वे भी बताते हैं कि शहरी युवा वर्ग तेजी से शादी से पहले के यौन संबंधों में शामिल हो रहा है. सरकार की संस्था नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन चाइल्ड राइट्स की प्रमुख शान्ता सिन्हा के मुताबिक ये कानून पूरी तरह से दुरुपयोग करने के लिए बनाया गया है. वो कहती हैं, "इस कानून का इस्तेमाल बदला निकालने के लिए भी किया जा सकता है. अगर किसी लड़की को उसके पुराने साथी से बदला चुकाना है तो वो इस कानून का दुरुपयोग कर सकती है. पुलिस इस कानून का इस्तेमाल पार्क में प्रेमी जोड़ों को परेशान करने के लिए कर सकती है. हमारे देश में कई ऐसी घटनाएं होती हैं जिसमें लड़के लड़कियां घर से भाग जाते हैं. माता-पिता इस कानून का इस्तेमाल उनके खिलाफ कर सकते हैं."

Valentinstag in Indien, Pärchen mit Rose
तस्वीर: AP

दिल्ली में इस तरह का एक मामला भी अदालत के सामने आया भी था. तब जज ने मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी को बरी कर दिया था. जज ने फैसले में कहा था कि लड़की अपनी मर्जी से लड़के के साथ भागी थी. जज का कहना था, "कानून में इस तरह का बदलाव लड़कों के खिलाफ अभियोग चलाने का मौका दे देगा क्योंकि तब लड़की के माता-पिता बेटी की सहमति-असहमति के बारे में सोचे बिना शिकायत दर्ज कराएंगे."

लेकिन कुछ लोग इस कानून का समर्थन भी कर रहे हैं. समर्थन करने वालों का कहना है कि इस कानून से उन लड़कियों को काफी फायदा होगा जो घरेलू नौकर की तरह काम करती हैं. इस बिल का ड्राफ्ट तैयार करने वाले पूर्व पुलिस अधिकारी आमोद कंठ कहते हैं, "2007 में हमने एक सर्वे कराया था और पाया कि 53 फीसदी बच्चे यौन अपराध का शिकार होते हैं. हमारा मानना है कि इस तरह के बच्चों को सुरक्षा मिलनी चाहिए. आज जो लोग सहमति से सेक्स के लिए 16 साल की आयु की मांग कर रहे हैं वो कल 13 साल को सहमति की उम्र बनाए जाने की मांग करेंगे."

आमोद कंठ यह बताना भूल रहे हैं कि बच्चों को सुरक्षा देने के लिए भारत में बहुत सारे कानून हैं. उनका कानूनों का ही अगर सही ढंग से पालन किया जाता तो यह बहस पैदा ही नहीं होती. कानून को सड़क सुरक्षा और बाल मजदूरी के भी हैं. लेकिन आस पास देखने पर पता चल जाता है कि इन नियमों की हालत खुद कितनी खस्ता है.

अलग अलग देशों में सहमित से सेक्स की आयु सीमा अलग-अलग है. 13 साल से लेकर 18 साल तक. ब्रिटेन, नॉर्वे और कनाडा में यह 16 साल है. अमेरिका में सहमति से सेक्स की आयु सीमा 16 से 18 साल के बीच है. हालांकि वहां 'क्लोज इन एज' का भी प्रावधान है. इसका मतलब है कि जो किशोर 18 साल के आस पास हैं उनकी बीच सहमति से सेक्स को अपराध नहीं माना जाएगा. दिल्ली के एक निजी स्कूल में पढ़ने वाले जफर का कहना है कि ये कानून 'असंवेदनशीलता' का परिचय देता है. 17 साल के जफर बताते हैं, "मेरे ज्यादातर दोस्त सेक्स का अनुभव ले चुके हैं. कुछ लोग तो रिश्ते को स्थायी बनाने की प्रक्रिया में है. कुछ लोगों ने इसे मजे के लिए किया था." चाइल्ड फाउंडेशन नाम के एनजीओ का कहना है कि कानून से जरूरी य़ह है कि सेक्स के बारे में लोगों को शिक्षित किया जाए. और इसे स्कूलों में अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए. यौन अपराधों के मामले में भारत दुनिया के कुख्यात देशों में है.

Ein Paar küsst sich
तस्वीर: Fotolia/diego cervo

वीडी/एएफपी (एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी