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2022 तक बंद होंगे जर्मन परमाणु ऊर्जा प्लांट

३० मई २०११

जर्मन सरकार ने एलान किया है कि 2022 तक परमाणु ऊर्जा पर जर्मनी की निर्भरता पूरी तरह खत्म हो जाएगी. जर्मनी परमाणु ऊर्जा से हटने वाले पहला देश बनेगा. देश में परमाणु बिजली का तीखा विरोध हो रहा है.

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अक्षय ऊर्जा एक बेहतर उपायतस्वीर: picture alliance/dpa

जर्मन पर्यावरण मंत्री नॉरबर्ट रोएटगेन ने कहा कि जर्मनी के 17 रिएक्टरों में से ज्यादातर को 2011 के अंत तक बंद कर दिया जाएगा. जर्मनी में इस वक्त आठ में बिजली उत्पादन बंद कर दिया गया है. इनमें से सात जर्मनी के सबसे पुराने रिएक्टर हैं. सरकार ने तीन महीने पहले इन्हें बंद कराया था क्योंकि जापान के फुकुशिमा रिएक्टर में हादसे के बाद इनकी सुरक्षा पर सवाल उठ रहे थे. आठवां 'क्रुएमल' रिएक्टर जर्मन शहर हैम्बर्ग के पास गेस्टहाख्ट में है जिसे तकनीकी वजहों से बंद कर दिया गया है.

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फुकुशिमा हादसे के बादतस्वीर: AP

शुक्रवार को जर्मनी के 16 राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों ने संघीय सरकार से मांग की कि जिन सात रिएक्टरों को अस्थायी रूप से बंद किया गया है, उन्हें जल्द से जल्द पूरी तरह बंद कर दिया जाए. रोएटगेन ने कहा कि आठ रिएक्टरों में से किसी में भी दोबारा बिजली उत्पादन शुरू नहीं किया जाएगा. रविवार देर रात हुए इस फैसले से जर्मनी दुनिया का पहला विकसित देश होगा जिसने परमाणु ऊर्जा को त्यागने की योजना बनाई है. लेकिन जर्मनी के लिए अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना एक बड़ी चुनौती होगी. परमाणु प्लांटों से जर्मनी की 22 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतें पूरी होती हैं.

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तस्वीर: dapd

हालांकि चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार के लिए परमाणु ऊर्जा का पूरा मामला काफी शर्मनाक साबित हो सकता है. 2010 के अंत में मैर्केल ने फैसला किया था कि जर्मनी के 17 रिएक्टरों की उम्र को 12 साल बढ़ा दिया जाए. इस योजना के मुताबिक जर्मन रिएक्टर 2030 के दशक तक बिजली पैदा करते. लेकिन फुकुशिमा में परमाणु स्थिति को देखते हुए जर्मनी के सत्ताधारी गठबंधन ने अपना फैसला बदला है. 1980 से परमाणु ऊर्जा जर्मनी में एक बहुत संवेदनशील मुद्दा है और हो सकता है कि हाल के विधानसभा चुनावों में मैर्केल की पार्टी की हार का कारण भी फुकुशिमा हादसा और मैर्केल सरकार का परमाणु ऊर्जा से लगाव हो.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः ए कुमार