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26/11 पर कोई ठोस नतीजे नहीं: विदेश सचिव

३ जुलाई २०११

भारत की विदेश सचिव निरुपमा राव ने एक टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच 26/11 को लेकर विस्तार से बातचीत हुई है लेकिन ठोस नतीजे अभी नहीं आ पाए हैं.

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तस्वीर: UNI

राव ने कहा, "मुंबई पर कार्रवाई को लेकर हमने कुछ खास होते हुए नहीं देखा है और यह हमारे लिए सबसे बड़ा चिंता का विषय है. लेकिन मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहूंगी. क्या इसका यह मतलब है कि हमें पाकिस्तान के साथ बातचीत वाला विकल्प नहीं इस्तेमाल करना चाहिए?" राव ने कहा कि किसी भी नीति को बनाते समय बदलते हालात को देखते रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि नीतियां कभी भी प्रयोगशाला में नहीं बनाई जाती हैं, इनके लिए आसपास का माहौल देखना जरूरी होता है.

26/11 पर धीमी प्रगति

राव ने पाकिस्तान के साथ बातचीत जारी रखने पर जोर देते हुए कहा, "मुझे लगता है कि पाकिस्तान के साथ दोबारा बातचीत करने का फैसला लेना और उन बातों पर बहस करना जिससे हमारे बीच मतभेद बने हुए हैं, विश्वास बढ़ाना, जिस तरह दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने कहा है, यह पाकिस्तान के साथ परेशानियों को सुलझाने के लिए एक बहुत ही यथार्थवादी तरीका है."

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राव ने गृह सचिव जीके पिल्लई का पक्ष लेते हुए कहा कि 26/11 का मुकदमा बिलकुल भी आगे नहीं बढ़ा है. उन्होंने कहा कि एक तरफ से तो इसमें बिलकुल प्रगति नहीं हुई है और पूरा मामला बहुत ही धीरे आगे बढ़ रहा है. "लेकिन इस बार पाकिस्तान से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे दोनों देशों के बीच सारे जरूरी मुद्दों पर बातचीत करने की अहमियत को समझते हैं और आंतकवाद इसमें सबसे आगे हैं."

एनएसजी का नया फैसला

परमाणु आपूर्ति समूह एनएसजी के हाल ही में परमाणु तकनीक को लेकर फैसले के बारे में राव ने कहा कि नए कानूनों को पढ़ कर ही सही निष्कर्ष निकाले जा सकेंगे. हाल ही में एनएसजी ने यूरेनियम संवर्धन तकनीक से संबंधित तकनीकी ट्रांसफर के लिए और कड़े नियमों को बनाने की बात कही थी. उसके बाद भारतीय परमाणु आयोग के प्रमुख अनिल काकोदकर ने कहा था कि नए कानून भारत के लिए "धोखा" के समान हैं.

लेकिन राव का मानना है कि एक पेशेवर की हैसियत से उन्हें लगता है कि एनएसजी का फैसला "पत्थर पर नहीं लिखा है." भारत एक उभरता परमाणु उद्योग है और विश्व भर को आकर्षित कर सकता है.

रिपोर्टः पीटीआई/एमजी

संपादनः एस गौड़

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