4 साल की सरकार चाहते हैं गिलानी
४ मार्च २०१३भारत से अलग देश गठित होने के बाद पहली बार पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर रही है. गिलानी इस सरकार के पहले प्रधानमंत्री रहे हैं. उनका कहना है, "लोगों में संयम की कमी होती है और अगर हमें अगला मौका मिलता है, तो हम संविधान में बदलाव करेंगे ताकि सरकार का जो कार्यकाल है, वह पांच साल का नहीं, बल्कि चार साल का हो." गिलानी का कहना है कि अगर कार्यकाल चार साल का हुआ, तो लोगों का संयम बेहतर काम करेगा क्योंकि "पांच साल बहुत लंबा होता है".
गिलानी ने दावा किया कि उनकी सरकार ने पाकिस्तान के बहुत से काम निपटा दिए हैं और परवेज मुशर्रफ ने एक खराब मुल्क उनकी सरकार के हवाले किया था, उसे पिछले चार साल में बहुत बेहतर बनाया गया है. उनके मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की कोशिश से तैयार "प्लानिंग" से ही यह काम संभव हो पाया.
राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ कार्रवाई न करने की वजह से प्रधानमंत्री गिलानी को अदालत की अवमानना का दोषी पाया गया और उन्हें पद से हटना पड़ा था. हालांकि गिलानी का दावा है कि न्याय प्रक्रिया को आजाद करना उनकी सरकार की उपलब्धि रही है. "यह हमारी प्रतिबद्धता थी कि लोगों को इंसाफ मिले. पुल और संस्थान बनाने में तो वक्त लगता है लेकिन इंसाफ दिलाने के लिए किसी समय की जरूरत नहीं होती है और न ही पैसों की जरूरत होती है. इसलिए हमने न्यायालय को आजाद किया, जिससे लोगों को फायदा हुआ." गिलानी का कहना है कि दो तिहाई बहुमत वाली सरकारों ने भी इस दिशा में काम नहीं किया, जो "हमने किया".
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री का दावा है कि अगली सरकार के लिए काम बहुत आसान होगा क्योंकि पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सरकार अपने कार्यकाल में "90 फीसदी मसाएल हल" कर चुकी है. उनका कहना है कि पूरी दुनिया की नजरें हम पर लगी हैं कि हम किस तरह अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद एक चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता सौंपें, "पाकिस्तान में जो भी अगली बार चुना जाएगा, उनको 90 फीसदी मसले हल मिलेंगे. जो राजनीतिक पार्टियों के मुख्य मुद्दे हुआ करते थे, वो हल हो चुके होंगे और बाकी जो मुद्दे हैं, जैसे बिजली या गैस या दूसरे मुद्दे हैं, उस मामले में भी हमने प्रोजेक्ट शुरू कर दिए हैं और चुनाव के बाद वे भी काम में आना शुरू हो जाएंगे."
गिलानी का कहना है कि परवेज मुशर्रफ की पिछली सरकार और उससे पहले नवाज शरीफ की सरकार ने बिजली जैसे बुनियादी मसले को भी हल नहीं किया. पाकिस्तान सरकार का कार्यकाल लगभग पूरा हो चुका है और वहां अब अगले चुनाव की घोषणा की जानी है.
इंटरव्यूः जुबैर बशीर
संपादनः ए जमाल