5 लाख जानवरों और परिंदों की बलि
६ नवम्बर २००९गाधीमाई के पुजारियों और आयोजकों का कहना है कि इस साल मेले में भी कम से कम 5 लाख पक्षियों और जानवरों सहित तक़रीबन 25,000 भैंसों की बलि दी जाएगी. नेपाल में हर साल धर्म के नाम पर इतनी बड़ी संख्या में जानवरों और पक्षियों को बलि दी जाती है और मरने के बाद उनकी लाशों को या तो जला दिया जाता है या फिर महीनों तक मरे हुए पक्षी और जानवर खुले में पड़े रहते हैं. नेपाल में जानवरों की हत्या के ख़िलाफ़ एक अभियान भी छेड़ा गया है और नेपाल के प्रधानमंत्री को याचिका भी सौंपी गई है जिसमें दो सौ लोगों ने हस्ताक्षर कर इन हत्याओं को बंद करने का निवेदन किया है. इस अभियान में जानवरों के अधिकारों की हिमायती भारतीय सांसद मेनका गांधी भी शामिल हैं.
मेनका ने जताया विरोध
मेनका गांधी ने नेपाल के प्रधानमंत्री को ख़त लिखकर कहा है कि नेपाल के लोगों सहित उपमहाद्वीप के लोग यहां पशु हत्या को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने नेपाल सरकार की तारीफ़ करते हुए कहा कि "आपकी सरकार ने बंदरों को देश से बाहर ले जाने पर रोक लगाकर मानवीय क़दम उठाया है. देखा जाए तो धर्म के नाम पर हो रही जानवरों की हत्याएं ग़ैर कानूनी होनी चाहिए."
इस अभियान से जुड़े प्रचारकों को उम्मीद है कि मेनका गांधी नेपाल आकर उनके अभियान को और तेज़ करेंगी.दक्षिणी नेपाल के बारा जिले में हर पांच साल में ये मेला लगता है. जहां दो दिनों तक पक्षियों और जानवरों की बलि दी जाती है. इस आशा में कि देवता ख़ुश होकर उनकी मन्नतों को पूरी करेंगे.
इस अभियान में भाग ले रहे गोविंद टंडन मेले में मरे हुए जानवरों की दिल दहलाने वाली हत्याओं के बारे में कहते हैं कि इन बलियों से चारों ओर पक्षियों और जानवरों की लाशे महीनों से पड़ी रहती हैं और बदबू की वज़ह से आस-पास के लोगों का जीना मुहाल हो गया है. साथ ही जानवरों की खाल बेचने वाले यहां से ही खाल निकाल कर ले जाते हैं.
नेपाल में पशु कल्याण नेटवर्क के प्रमुख प्रमादा शाह देश में पशु अधिकार संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. वे कहते हैं, ''इक्कीसवीं सदी में भी धर्म, संस्कृति और परंपरा के नाम पर इतनी बड़ी संख्या में जानवरों को मारने से दुनिया के सामने नेपाल की छवि बर्बर देश के रूप में बन रही है. हमारी कोशिश है कि भारत और पश्चिमी देशों के साथ मिलकर नेपाल के प्रधानमंत्री माधव कुमार पर दबाब डाला जाए जिससे वो गाधीमाई मेले में ये प्रथा तुरंत बंद कराएं.''
रिपोर्ट: एजेंसियां/सरिता झा
संपादन: एस जोशी