77 लोगों की हत्या के आरोपी पर मुकदमा
१६ अप्रैल २०१२सामान्य तौर पर नॉर्वे को काफी खुले विचारों वाला देश माना जाता है. ऐसे में इस्लाम विरोधी कट्टरपंथी विचारधारा वाले ब्रेविक और 77 लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी ने पूरे यूरोप को सोचने पर मजबूर कर दिया है. ब्रेविक ने बिना किसी पश्चाताप के कबूल किया है कि उसने 77 लोगों की हत्या की है.
सेंटर फॉर क्राइसिस साइकोलॉजी के निदेशक एटले दिरेग्रोव कहते हैं, "यह दुख की बात है कि इस मुकदमे का दुष्प्रभाव यह होगा कि उसे अपनी विचारधारा पेश करने का मंच मिल जाएगा. हमले के पीड़ितों के लिए यह संवेदनशील मामला होगा और बहुत दर्द उभर कर आएगा. नॉर्वे में कुछ लोगों को डर भी है कि इससे प्रवासियों विरोधी भावना उभरेगी. मुकदमे में 29 लोगों को गवाह के तौर पर बुलाया गया है जिसमें इस्लाम विचारधारा वाले लोगों से लेकर धुर दक्षिणपंथी ब्लॉगरों तक लोग हैं.
ब्रेविक को मिलेगा मंच
गेयर लिप्पेस्टैड ब्रेविक की ओर से लड़ रहे हैं. वह कहते हैं कि यह मुकदमा बहुत चुनौतीपूर्ण होगा. मुकदमे के पहले उन्होंने बताया कि ब्रेविक दावा करेगा कि उसने 950 किलो का बम धमाका चौक में आत्मरक्षा के लिए किया और इसके बाद यूटेया द्वीप पर अंधाधुंध गोलीबारी की, "तकनीकी तौर पर हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है कि हम उससे पूछें कि उसके ऐसा कहने का मतलब क्या है. डिफेंस के तौर पर हमारा काम है आत्मरक्षा के आधार पर उसकी रिहाई करवाना."
लेकिन इस मुकदमे में दूसरा अहम बिंदू या कहें मुख्य तौर पर अहम बिंदू है कि ब्रेविक सामान्य मानसिक स्थिति में है भी या नहीं.
ब्रेविक ने 1500 पेज के ऑनलाइन घोषणापत्र में हमलावरों के लिए लिखा है, "तुम्हारी गिरफ्तारी तुम्हारे प्रचार की शुरुआत करेगी और तुम पर मुकदमा तुम्हें दुनिया के सामने मंच देगा." नॉर्वे के अखबार वीजी ने ब्रेविक के हवाले से कहा है, "मुकदमा सर्कस जैसा है. यह अपनी विचारधारा लोगों तक पहुंचाने का इकलौता तरीका है."
क्या हो सकती है सजा
नॉर्वे के लिए यह मुकदमा इसलिए भी मायने रखता है कि पारंपरिक रूप से नॉर्वे में कोई मुकदमा बंद दरवाजों के भीतर नहीं किया जाता और इसलिए देश का कोई भी नागरिक मुकदमे की सुनवाई के लिए आ सकता है.
शुरुआती परीक्षण के मुताबिक ब्रेविक मानसिक तौर पर विक्षिप्त अपराधी है. लेकिन दूसरी टेस्ट में ऐसा कुछ पता नहीं चला कि वह विक्षिप्तता का शिकार है. इस विवाद को सुलझाना पांच जजों की पैनल का बड़ा फैसला होगा. अगर वह मानसिक तौर पर स्थिर पाया जाता है तो उसे कम से कम 21 साल जेल हो सकती है लेकिन खतरनाक होने के आधार पर उसे आजीवन कैद में भी रखा जा सकता है. अगर उसे विक्षिप्त पाया जाता है तो उसे एक मनोरोग चिकित्सालय में अनिश्चित समय के लिए रखा जा सकता है.
अदालत का परिसर पहले ही टीवी ट्रकों से खचाखच है. दुनिया भर के 200 मीडिया संस्थान ओस्लो में जमे हुए हैं. इसके अलावा पत्रकार, पीड़ित और वे सभी लोग जो अदालत में आना चाहते हैं वे इस मुकदमे को देख सुन सकते हैं. नॉर्वे की 17 अन्य अदालतों में क्लोज सर्किट रूम्स बनाए गए हैं.
एएम/आईबी (रॉयटर्स)