9/11 पर याद किए गए हजारों लोग
११ सितम्बर २०१०नम आंखों और भारी कलेजों के साथ हजारों लोगों को उस दिन की याद आती है, जिसने पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया. दो हवाई जहाजों ने न्यूयॉर्क की सिर्फ दो इमारतों को नहीं गिराया, उनके साथ बहुत से रिश्ते भी गिर गए और भरोसे की बुनियाद हिल गई. उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने कहा कि दुनिया कभी पहले जैसी नहीं रहेगी और शायद यह उनका सबसे सटीक बयान साबित हुआ. नौ साल बाद भी दुनिया उन जख्मों को नहीं भूल पाई है. बुश ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का एलान कर दिया.
ग्राउंड जीरो पर एक एक कर उन हजारों लोगों के नाम पढ़े गए, जिनकी जान दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी हमले में चली गई. अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडन ने मुख्य कार्यक्रम में शिरकत की, जबकि राष्ट्रपति ओबामा रक्षा मंत्रालय पेंटागन के कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं. न्यूयॉर्क में जिस जगह दो गगनचुंबी इमारतें थीं, अब वहां एक इस्लामी सेंटर और मस्जिद बनाने की बात जोर पकड़ चुकी है, जिसके समर्थन और विरोध में लॉबिंग हो रही है. 9/11 के कार्यक्रमों के बाद दोनों पक्षों की रैली की भी योजना है.
शहर का एक बड़ा हिस्सा नाराज है कि जिस महजब के मानने वालों ने उन पर हमला किया, उसकी इबादतगाह वहां नहीं बननी चाहिए. लेकिन दूसरा हिस्सा उन लोगों का है, जो समझते हैं कि इससे पूरी दुनिया को सहिष्णुता का सबक दिया जा सकता है.
नौ साल पहले ग्यारह सितंबर को उन्नीस आतंकवादियों ने दो हवाई जहाजों को वर्ल्ड ट्रेड टावर से टकरा दिया, जिसमें लगभग तीन हजार लोग मारे गए. लगभग इसी वक्त एक विमान अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन से टकराया, जबकि चौथे हमले को नाकाम कर दिया गया. इन हमलों से पूरी दुनिया सन्न रह गई और ओसामा बिन लादेन के आतंकवादी संगठन अल कायदा का नाम सामने आया.
हमलों ने पूरी दुनिया बदल दी. अफगानिस्तान में अमेरिकी फौजें तैनात हो गईं, जहां तालिबान का शासन था. तालिबान को सत्ता से तो हटा दिया गया लेकिन हजारों जान जाने के बाद भी उखाड़ कर फेंका नहीं जा सका. अमेरिका ने इसके दो साल बाद इराक पर भी हमला कर दिया. अफगानिस्तान और इराक की जंगों ने भी दुनिया बदल दी. लाखों लोगों की जान जा चुकी है. अमेरिका ने इराक को खाली कर दिया है. लेकिन क्या आतंकवाद के खिलाफ युद्ध जीता जा सका है. जवाब हां तो नहीं हो सकता.
9/11 ने दुनिया को कई बार बांट दिया. एक धर्म का दूसरे के प्रति नफरत इतना गहरा गया कि कोई पादरी इस्लामी ग्रंथ कुरान को जलाने की बात करता है. नौवीं बरसी पर अगर ग्राउंड जीरो की मस्जिद की चर्चा रही, तो छोटे से समुदाय के इस पादरी को भी मीडिया का पूरा आकर्षण मिला.
लेकिन इन सबके बीच ग्राउंड जीरो सुर्ख गुलाब के फूलों का वह गुलदस्ता रखती वह बच्ची भी नजर आती है, जिस पर लिखा है "पीस". शांति.
रिपोर्टः ए जमाल
संपादनः एन रंजन