सीरिया के शरणार्थी शिविरों में कैसी है जिंदगी
सीरिया के उत्तरपश्चिम में करोड़ों लोगों को मदद की जरूरत है, लेकिन बागियों के नियंत्रण वाले इदलिब प्रांत में मदद पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र दिए गए अधिकार की समय सीमा अब समाप्त होने वाली है.
जहां तक नजर जाती है
यह इदलिब में तुर्की रेड क्रेसेंट द्वारा चलाया जाने वाला शरणार्थी शिविर है. तुर्की की सीमा के पास स्थित यह इलाका अभी अभी सीरियाई विपक्ष के नियंत्रण में है. यह सीरियाई संकट का 10वां साल है और इसकी वजह से विस्थापित कई लोग यहां आ गए हैं.
बाब अल-हवा की अहमियत
यह बाब अल-हवा में सीमा पार करने का स्थान है जहां एक शिविर में महिलाएं खाना लेने के लिए कतार में लगी हुई हैं. संयुक्त राष्ट्र की एक आंतरिक रिपोर्ट में महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने उस रसद की अहमियत पर जोर दिया है जो संयुक्त राष्ट्र इसी स्थान के जरिए तुर्की से यहां पहुंचा रहा है. उन्होंने कहा है कि यह मदद करोड़ों लोगों के लिए प्राणदायी है.
बच्चे भी क्या करें
शिविरों में समय बिताने के उपाय कम ही हैं. देश के अलग अलग हिस्सों से आए शरणार्थियों को यह नहीं मालूम है कि क्या वो कभी घर लौट भी पाएंगे या नहीं. सीरिया में 10 सालों से लड़ाई चल ही रही है और अभी भी इसका अंत नजर नहीं आ रहा है.
नमाज भी यहीं
पुरुष नमाज पढ़ते हैं और हालत पर चर्चा करते हैं, बच्चे खेलते हैं और महिलाएं घर का काम करती हैं. इन शिविरों में इसके अलावा ज्यादा कुछ किया भी नहीं जा सकता. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अकेले इसी इलाके में करीब 24 लाख लोग मदद पर निर्भर हैं. पूरे देश को देखें तो यह संख्या बढ़ कर 40 लाख से ज्यादा है.
अस्थायी स्कूल
इस क्लासरूम में पढ़ रही सीरियाई लड़कियां खुशकिस्मत हैं. इदलिब में स्कूल जाने की उम्र के कई बच्चे हैं लेकिन स्कूलों और शिक्षकों की कमी है. यह तस्वीर एक अस्थायी स्कूल की है जो इदलिब के बाहर की तरफ सरमादा में है. इसे रेड क्रेसेंट ही चलाता है.
रोमन साम्राज्य के खंडहरों के बीच
सर्दियां आ रही हैं और इन शरणार्थियों के लिए निरंतर मदद सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है. बाब अल-हवा इस मदद को पहुंचाने का एकमात्र रास्ता है लेकिन इस रास्ते का इस्तेमाल करने के लिए अमेरिका और रूस की सहमति से संयुक्त राष्ट्र को मिली अनुमति की समय सीमा 10 जनवरी को खत्म हो जाएगी. (फिलिप बोल)