रूस-यूक्रेन युद्ध के 100 दिन, आंकड़ों में
यूक्रेन पर रूस के हमले को 100 दिन पूरे हो गए हैं और युद्ध अभी भी चलता ही चला जा रहा है. ये आंकड़े इस युद्ध की वजह से हुई मौत, बर्बादी, विस्थापन और आर्थिक तबाही की कहानी बयां करते हैं.
इंसानी जानों का नुकसान
असल में कोई नहीं जानता कि कितने सैनिक और आम नागरिक मारे गए हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का कहना है कि दसियों हजारों यूक्रेनी नागरिक मारे जा चुके हैं. अकेले मारियोपोल में 21,000 से ज्यादा नागरिक मारे गए हैं. जेलेंस्की के मुताबिक यूक्रेन के 60 से 100 सैनिक रोज मारे जा रहे हैं. रूस के एक जनरल ने 25 मार्च को बताया था कि 1,351 रूसी सैनिक मारे गए थे. असल आंकड़े कहीं ज्यादा हो सकते हैं.
बर्बादी
यूक्रेन के मानवाधिकारों पर संसदीय आयोग के मुताबिक करीब 38,000 इमारतें नष्ट हो गई हैं, जिससे लगभग 2,20,000 लोग बेघर हो गए हैं. करीब 1,900 शैक्षणिक संस्थानों को नुकसान पहुंचा है, जिनमें से 180 तो पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं. इसके अलावा 300 गाड़ियां, 50 रेल पुल, 500 फैक्टरियां बर्बाद हो गई हैं और करीब 500 अस्पतालों को नुकसान पहुंचा है.
विस्थापन
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी संस्था का अनुमान है कि युद्ध के दौरान कभी न कभी यूक्रेन छोड़ कर जाने वालों की संख्या करीब 68 लाख है. कुछ इलाकों में लड़ाई रुकने के बाद लगभग 22 लाख लोग वापस भी आ गए हैं. संयुक्त राष्ट्र की प्रवासन संस्था के मुताबिक मई के अंत में 70 लाख से ज्यादा लोग देश के अंदर ही विस्थापित हो चुके थे.
जमीन पर कब्जा
यूक्रेनी अधिकारियों के मुताबिक हमले से पहले रूस का यूक्रेन के सात प्रतिशत इलाके पर नियंत्रण था, जिसमें क्रीमिया और अलगाववादियों के प्रभाव वाला डोनबास इलाका शामिल था. दो जून को जेलेंस्की ने बताया कि अब देश के 20 प्रतिशत इलाके पर रूसी सेना का कब्जा है. यह लगभग 58,000 अतिरिक्त किलोमीटर वर्ग, यानी क्रोएशिया के क्षेत्रफल से थोड़े बड़े इलाके के बराबर है.
आर्थिक तबाही
यूरोपीय डॉयलॉग के ऐकडेमिक निदेशक इवगेनी गोंतमाखेर ने कहा है कि रूस के खिलाफ इस समय 5,000 से भी ज्यादा प्रतिबंध लागू हैं. करीब 300 अरब डॉलर मूल्य का रूसी सोने और विदेशी मुद्रा का भंडार पश्चिमी देशों में जब्त है. युद्ध ने यूक्रेन की तो जीडीपी का 35 प्रतिशत हिस्सा ही नष्ट कर दिया है. यूक्रेन का 600 अरब डॉलर का सीधा सीधा नुकसान बताया जा रहा है.
वैश्विक असर
युद्ध का पूरी दुनिया पर आर्थिक असर पड़ा है. लंदन और न्यूयॉर्क में कच्चे तेल के दाम 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं, जिससे दूसरी चीजों के दाम भी बढ़ गए हैं. खाने पीने की चीजों, ईंधन और फाइनेंसिंग के बढ़े दामों की वजह से विकासशील देशों पर बुरा असर पड़ा है. रूस और यूक्रेन से 44 प्रतिशत गेहूं का आयात करने वाले अफ्रीकी देशों में गेहूं की आपूर्ति अस्त-व्यस्त हो गई है (एपी).