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राजनीतिऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया पुलिस को संदेह, हिंदुओं ने किया मंदिर पर हमला

विवेक कुमार, सिडनी से
२१ सितम्बर २०२३

कनाडा के आरोपों के बाद ऑस्ट्रेलिया में हिंदू कार्यकर्ताओं द्वारा हिंदू मंदिरों पर हमले की खबरों ने समुदायों के बीच अटकलों को और तेज कर दिया है.

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Australien | Shree Laxminarayan Mandir in Brisbane
तस्वीर: Queensland Police to BS Goraya

पिछले कुछ समय से ऑस्ट्रेलिया में एक के बाद एक कई मंदिरों पर हमले हुए थे जिनके लिए कई मीडिया रिपोर्टों और संगठनों ने खालिस्तानी-सिख कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाये थे. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में रहने वालेहिंदू और सिख समुदाय के बीच तनाव बढ़ा था.

अब सूचना के अधिकार के तहत जारी किये गये जांच रिपोर्ट के कुछ हिस्सों से पता चला है कि पुलिस को संदेह है कि ब्रिसबेन में एक मंदिर पर भारत विरोधी और खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखने में हिंदू समुदाय के ही किसी व्यक्ति का हाथ हो सकता है.

ब्रिसबेन के रहने वाले बीएस गोराया ने सूचना के अधिकार के तहत क्वींसलैंड पुलिस से ये दस्तावेज हासिल किये हैं. मीडिया को भेजे गए इन दस्तावेजों में पुलिस ने कई ऐसी सनसनीखेज बातें कही हैं जो इस बात की ओर इशार करती हैं कि ब्रिसबेन के मंदिर पर मार्च में हुए हमले में हिंदू समुदायों का हाथ हो सकता है.

ब्रिसबेन मंदिर
ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में हिंदू मंदिर पर लिखी गयी ग्रैफिटीतस्वीर: Queensland Police to BS Goraya

दस्तावेजों में पुलिस के जांच अधिकारी ने अपने उच्चाधिकारियों को बताया है कि उसके जासूसों को संदेह है कि ब्रिसबेन के मंदिर पर हिंदुओं ने खुद ही ग्रैफिटी लिख दी है ताकि सिख्स फॉर जस्टिस नामक खालिस्तान समर्थक संगठन की गतिविधियों की ओर ध्यान खींचा जा सके.

खालिस्तानी गतिविधियों पर नजर

रिपोर्ट के एक पेज पर जांच अधिकारी ने लिखा है, "इंटेलिजेंस अफसरों का यह भी मानना है कि हो सकता है यह ग्रैफिटी हिंदुओं ने खुद ही बना दी हो ताकि पुलिस का ध्यान एसएफजे की ओर खींचा जा सके.”

सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) एक खालिस्तान समर्थक संगठन है जिस पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय इस संगठन ने ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में खालिस्तान जनमत संग्रह कराया था, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी.

ब्रिसबेन के हिंदू मंदिर पर हमला 3 मार्च को हुआ था, जिसके कुछ ही समय बाद वहां खालिस्तान समर्थकों की एक रैली हुई थी. अपनी रिपोर्ट में पुलिस ने हिंदू संगठनों के साथ काम करने वाली एक महिला के हवाले से लिखा है कि हिंदू संगठन एसएफजे की ओर पुलिस का ध्यान खींचने की काफी कोशिशें कर रहे हैं.

मंदिर की दीवार पर 4 मार्च की सुबह लोगों ने ग्रैफिटी देखी और तब पुलिस को सूचित किया. लेकिन पुलिस रिपोर्ट बताती है कि 3 मार्च को शाम 6.30 बजे अचानक सारे सीसीटीवी बंद हो गये थे. पुलिस का कहना है कि ये सीसीटीवी क्यों बंद हुए, इसकी कोई वजह पता नहीं चल पायी है क्योंकि इनमें से कुछ सीसीटीवी कुछ ही समय पहले लगाये गये थे.

दस्तावेजों के मुताबिक पुलिस रिपोर्ट में बड़े शब्दों में लिखा है, "हो सकता है कि ये कैमरे अपराधियों की मदद के लिए जानबूझकर बंद किये गये हों."

सिखों के खिलाफ मुहिम

पुलिस से सूचना के अधिकार के तहत सूचना हासिल करने वाले ब्रिसबेन के बीएस गोराया कहते हैं कि इन आरोपों के काफी गंभीर नतीजे हो सकते हैं. वह कहते हैं, "इसका अर्थ है कि कुछ पक्ष (भारतीय जासूसी एजेंसियां) चाहते हैं कि पुलिस सिखों की राजनीतिक रैलियों को कानून-व्यवस्था के मामले की तरह देखे और उन्हें होने ना दे.”

मार्च में यह हमला होने के बाद हिंदू संगठनों ने खालिस्तानी समर्थकों पर आरोप लगाये थे. उसके बाद सोशल मीडिया पर सिखों और सिख व्यापारियों के खिलाफ भद्दी टिप्पणियां की गईं और व्यापारियों का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया.

जारी दस्तावेजों के मुताबिक जांच अधिकारियों को मामले में कोई संदिग्ध व्यक्ति नहीं मिला और उनके पास अब जांच करने का कोई और खुला विकल्प नहीं बचा है.

पुलिस की जांच में एक और बात का जिक्र आता है कि मंदिर प्रबंधन ने पुलिस को सीसीटीवी कैमरे से वीडियो उपलब्ध नहीं कराये हैं. रिपोर्ट कहती है कि प्रांगण और उसके बाहर कुल मिलाकर 30 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं लेकिन उनकी फुटेज उपलब्ध नहीं करायी गयी.

कनाडा की खबरों के बाद गंभीरता बढ़ी

ऑस्ट्रेलिया में जब सिख्स फॉर जस्टिस ने जनमत संग्रह कराने का ऐलान किया तो उसके ठीक बाद मेलबर्न में एक-एक करके तीन मंदिरों पर ऐसे ही हमले हुए थे. उसके बाद ब्रिसबेन और सिडनी में भी मंदिरों पर ऐसे ही भारत विरोधी नारे लिखे गये.

इनमें जब सिडनी के एक मंदिर पर हमला हुआ तो सिख संगठनों ने आरोप लगाया कि हमले में शामिल व्यक्ति हिंदू संगठनों से जुड़ा है. तब पुलिस ने एक गाड़ी की तस्वीर जारी की थी, जिस पर ‘हरियाणा' लिखा था. कुछ सिख संगठनों ने कहा कि वह गाड़ी जिस व्यक्ति की है, वह हिंदू संगठनों का करीबी है. उस मामले में भी अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान मंदिरों की सुरक्षा का मुद्दा प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी से मुलाकात में भी उठाया था. उसके बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि अल्बानीजी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि हिंदू मंदिरों की सुरक्षा की जाएगी.

कनाडा में एक अलगाववादी माने जाने वाले सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की भूमिका होने के आरोपों के बाद ऑस्ट्रेलिया में हिंदू मंदिरों पर हमलों में हिंदू कार्यकर्ताओं का हाथ होने के संदेह ने मामले को और ज्यादा गर्मा दिया है.

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