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अपराधएशिया

बलात्कार के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल बरी

१४ जनवरी २०२२

एक नन का दो सालों तक लगातार बलात्कार करने के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल को केरल की एक अदालत ने बरी कर दिया है. अदालत ने मीडिया को सुनवाई पर कोई भी रिपोर्ट करने से मना कर दिया था.

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Indien | Vergewaltigungsvorwurf gegen Bischof Franco Mulakkal
तस्वीर: Prakash Elamakkara/AP Photo/picture alliance

ट्रायल कोर्ट के जज ने सिर्फ एक लाइन का फैसला दिया और बिशप को बरी कर दिया. यह भारत में पहली बार था जब किसी बिशप को बलात्कार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था और उन पर मुकदमा चलाया गया था.

बिशप ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से आरोपों को रद्द करने की अपील भी की थी लेकिन दोनों अदालतों ने उनकी अपील ठुकरा दी थे. सुनवाई करीब 100 दिनों तक चली जिस दौरान अदालत ने मीडिया को सुनवाई पर कोई भी रिपोर्ट करने से मना कर दिया था.

चौंकाने वाला फैसला

अदालत के फैसले पर कोट्टयम के पूर्व पुलिस प्रमुख एस हरिशंकर ने ताज्जुब व्यक्त किया है. उन्होंने समाचार चैनल एनडीटीवी को बताया कि मामले में सबूत काफी मजबूत थे और कोई गवाह भी नहीं पलटा था. उन्होंने कुछ और पत्रकारों को यह भी बताया कि इस फैसले के खिलाफ अपील की जाएगी.

Indien Neu Delhi Protest gegen Bischoff Franco Mulakkal
सितंबर 2018 में दिल्ली में बिशप मुलक्कल के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: Imago/Hindustan Times/B. Bhuyan

मामला जून 2018 का है जब बिशप मुलक्कल कैथोलिक चर्च के जालंधर डायोसीस के प्रमुख थे. उन्हीं के चर्च में काम करने वाली एक नन ने केरल के कोट्टयम जिला पुलिस अध्यक्ष के दफ्तर में शिकायत की कि बिशप ने 2014 से 2016 के बीच में कई बार उनका बलात्कार किया था.

नन ने बताया कि एक साल पहले उन्होंने कैथोलिक चर्च के कई अधिकारियों को चिट्ठी लिख कर यह शिकायत की थी. उन्होंने कहा था कि यहां तक कि उन्होंने वैटिकन में पोप फ्रांसिस को भी चिट्ठी लिखी थी. जब करीब एक साल तक चर्च ने उनकी शिकायत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तब जाकर उन्होंने पुलिस से शिकायत की.

मुश्किलों का सामना

शिकायत के बावजूद बिशप के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने के विरोध में पूरे केरल में विरोध प्रदर्शन हुए. पीड़िता के समर्थन में सामने आईं तीन दूसरी नन भूख हड़ताल पर चली गईं. सितंबर में पोप ने बिशप को उनकी जिम्मेदारियों से हटा दिया.

Indien Protest Bischoff Franco Mulakkal
सितंबर 2018 में केरल के कोच्ची में बिशप मुलक्कल को गिरफ्तार करने की मांग करते प्रदर्शनकारीतस्वीर: Getty Images/AFP

अगले ही दिन केरल पुलिस के एक विशेष जांच दल ने बिशप से तीन दिनों तक पूछताछ करने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया. इस मामले के दौरान यह भी सामने आया था कि चर्च में अगर कोई महिला खुद को पीड़ित महसूस करती है तो उसके लिए अपने अधिकारों के लिए लड़ना कितना चुनौतीपूर्ण होता है.

शुरू में ना सिर्फ चर्च के वरिष्ठ अधिकारियों ने आरोप लगाने वाली नन की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि उन्हें और उनका साथ देने वाली उनकी सहयोगियों को चर्च के अंदर काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. बिशप मुलक्कल के मिशनरीज ऑफ जीसस चर्च ने इन सभी ननों के खिलाफ एक जांच शुरू कर दी थी.

चर्च में शोषण

उनमें से एक सिस्टर लूसी कलाप्पुरा को तो उनके चर्च से निष्कासित ही कर दिया गया. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अभियोजन पक्ष ने भी चर्च के इस पहलू को रेखांकित किया कि वहां महिलाओं के लिए अपनी आवाज उठाना बहुत मुश्किल है. 2019 में इनमें से एक नन सिस्टर अनुपमा ने डीडब्ल्यू को बताया था कि केरल के चर्च संकट के दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन चर्च में सुधार और सच्चाई बाहर लाने की बजाए ऐसे मामलों को दबाने की कोशिश की गई.

Indien | Vergewaltigungsvorwurf gegen Bischof Franco Mulakkal
बिशप मुलक्कल के खिलाफ बलात्कार के आरोपों का समर्थन करने वालीं ननतस्वीर: Manish Swarup/AP Photo/picture alliance

उन्होंने कहा था, "हमारे चरित्रों पर सवाल उठाए गए, झूठे मामले में उलझाया गया. हम सब सच्चाई के साथ है. हम सभी नन के लिए सुरक्षित जगह चाहते हैं. पिछले दो सालों में ऐसे कई पादरियों के मामले सामने आए जिन पर यौन उत्पी़ड़न के आरोप लगे. हमारी लड़ाई हमारी उन बहनों के लिए है जो चुपचाप ये सब सह रही हैं. हम तब तक ये अभियान चलाएंगे जब तक सबको न्याय नहीं मिल जाता."

2018 में ही समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) ने एक रिपोर्ट में कहा था कि वैटिकन को लंबे समय से पता है कि एशिया, यूरोप, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका में पादरी और बिशप ननों का यौन शोषण करते आ रहे हैं, लेकिन इसे रोकने के लिए वेटिकन ने बहुत ही कम कोशिशें की हैं. एपी ने विशेष रूप से भारत के बारे में कहा था कि सेष में दशकों से चर्च परिसर के भीतर ननों का यौन शोषण हो रहा है.

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