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समाजब्रिटेन

ब्रिटेन: नजदीकी रिश्तों में शादी से पाकिस्तानी कर रहे इनकार

शाहिद अरसलान
२१ अक्टूबर २०२४

ब्रिटिश पाकिस्तानी समुदाय में नजदीकी रिश्तेदारों से शादी करना सामान्य बात रही है, लेकिन अब यह चलन कम हो रहा है. ब्रिटेन में रहने वाले पाकिस्तानी जोड़ों की अगली पीढ़ी में कई नजदीकी रिश्तेदारी में शादी से इनकार कर रहे हैं.

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ब्रिटेन का ब्रैडफोर्ड इलाका
पाकिस्तानी मूल के कई ब्रिटिश परिवार के भीतर शादी करने से इनकार कर रहे हैंतस्वीर: Shahid Arsalan/DW

जब ब्रिटिश-कश्मीरी शगुफ्ता राशिद 1990 में पाकिस्तान से ब्रिटेन आई थीं, तो वह पहले से ही एक विवाहित महिला थीं. वह सामान्य जिंदगी जी रही थीं. उनके पति उनके चचेरे भाई भी थे, लेकिन उनकी संस्कृति में, खासकर उस समय यह सामान्य माना जाता था.

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इस दंपती के पांच बच्चे थे और सब कुछ ठीक चल रहा था. शगुफ्ता राशिद ने डीडब्ल्यू को बताया, "मेरे सभी बच्चे बहुत बुद्धिमान और सुंदर थे." हालांकि, परेशानी तब शुरू हुई, जब उनकी एक बेटी ने कहा कि उसे देखने में परेशानी हो रही है. राशिद ने बताया, "हम अपनी बेटी का 18वां जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रहे थे, तभी उसने देखने में दिक्कत की शिकायत की."

उनकी बेटी की आंखें और खराब होती गईं और उसे पूरी तरह दिखना बंद हो गया. राशिद कहती हैं, "मैं पूरी तरह से टूट गई थी और जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गई थी." फिर डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि उनकी बेटी 'हमेशा के लिए आंखों की रोशनी खो सकती है' क्योंकि उसे एक ऐसी बीमारी हुई है, जो आमतौर पर बुजुर्गों में होती है.

ब्रिटेन के ब्रैडफोर्ड इलाके में ब्रिटिश-कश्मीरी महिला शगुफ्ता राशिद
शगुफ्ता राशिद ने बताया कि ब्रिटिश पाकिस्तानी समुदाय में कजिन्स के साथ शादी पहले काफी आम थीतस्वीर: Shahid Arsalan/DW

पड़ोसियों के बीच कानाफूसी होने लगी

तमाम उथल-पुथल के बावजूद राशिद की बेटी की दो बार सर्जरी हुई. एक 18 साल की उम्र में और दूसरी 21 साल की उम्र में. इससे वह नेत्रहीनता से बच गईं. राशिद ने बताया, "वह अभी भी अपने चश्मे के बिना नहीं देख सकती है, लेकिन अब वह काफी बेहतर है और दुबई में शादीशुदा जिंदगी जी रही है."

जब ब्रिटेन में राशिद के पड़ोसियों को उनकी बेटी के साथ आई परेशानी के बारे में पता चला, तो लोग अनुमान लगाने लगे कि बीमारी का कारण यह है कि राशिद की शादी उनके चचेरे भाई के साथ हुई है और खून के रिश्ते में हुई शादी से उनकी बेटी पैदा हुई है. राशिद की बहन सबीहा हसन ने बताया कि परिवार के अन्य सदस्यों को भी इस "सामाजिक शर्मिंदगी" का सामना करना पड़ा.

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सबीहा के बेटे की शादी उसकी चचेरी बहन से हुई है और उनका एक बच्चा ऑटिस्टिक है. वहीं, परिवार के एक अन्य सदस्य की शादी भी खून के रिश्ते में हुई और पैदा हुए दोनों बच्चों का वजन बहुत ज्यादा है. हालांकि, बच्चों ने काफी हद तक अपने वजन को कम किया, इसके बावजूद परिवार में यह कानाफूसी सुनी गई कि बच्चे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से इसलिए जूझ रहे हैं कि उनके माता-पिता करीबी रिश्तेदार हैं.

सबीहा स्वीकार करती हैं कि यह एक वजह हो सकती है, लेकिन वह इसे निर्णायक कारण नहीं मानती हैं. वह कहती हैं, "हमारे इलाके में कई महिलाओं की शादी कजिन्स से हुई है और उनकी जिंदगी सामान्य है."

ब्रिटेन के ब्रैडफोर्ड इलाके में डीडब्ल्यू संवाददाता शाहिद अरसलान से बातचीत के दौरान ब्रिटिश-कश्मीरी महिला साहिबा हसन
साहिबा हसन ने बताया कि नजदीकी रिश्तेदारों के साथ शादी के बावजूद कई महिलाओं के बच्चे सेहतमंद हैंतस्वीर: Shahid Arsalan/DW

आनुवंशिक समस्याओं का खतरा

चिकित्सीय तथ्य संकेत करते हैं कि जोखिम को इतनी आसानी से खारिज नहीं किया जा सकता है. ब्रैडफोर्ड, बर्मिंघम और लंदन के रेडब्रिज में बच्चों की मौत पर नजर रखने वाले 'बॉर्न इन ब्रैडफोर्ड' शोध कार्यक्रम की ओर से प्रकाशित ब्रीफिंग में पाया गया कि "बच्चों की मौत से जुड़े 20 से 40 फीसदी मामलों का संबंध रक्त-संबंधी और गुणसूत्र की स्थितियों से जुड़े आनुवंशिक विकार हो सकते हैं."

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बर्मिंघम सिटी अस्पताल के डॉ. शबी अहमद भी चेतावनी देते हैं कि खून के रिश्तों में शादी से आनुवंशिक समस्याओं का गंभीर खतरा होता है. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "ऐसी समस्याएं सिर्फ ब्रिटिश पाकिस्तानियों और कश्मीरियों में ही नहीं, बल्कि अरबों और ऐसे अन्य समुदायों में भी देखने को मिलती है जहां नजदीकी रिश्तों में शादियां आम बात हैं."

ब्रिटेन में नजदीकी रिश्तों में शादी की दर में कमी

"कॉन्सेनगुनियस मैरेज," यानी नजदीकी रिश्तों में शादी को एक ऐसे बंधन के तौर पर परिभाषित किया जाता है जिसमें पुरुष और महिला एक दूसरे के कजिन्स (जैसे कि चचेरे या ममेरे भाई-बहन) या काफी नजदीकी रिश्तेदार होते हैं. दक्षिण एशिया, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व सहित दुनिया के कई हिस्सों में इस तरह की शादियों का प्रचलन है. अनुमान है कि पूरी दुनिया में करीब 10 से 15 फीसदी नवजात शिशुओं के माता-पिता नजदीकी रिश्तेदार होते हैं.

यह प्रथा ब्रिटिश पाकिस्तानियों के बीच भी बनी हुई है, लेकिन अब इसमें कमी आती दिख रही है. 2007 से 2011 के बीच 13,500 परिवारों का अध्ययन करते हुए 'बॉर्न इन ब्रैडफोर्ड' शोध में पाया गया कि पाकिस्तान से ब्रिटेन आए 60 फीसदी दंपती नजदीकी रिश्तेदार थे. हालांकि, पाकिस्तानी जोड़ों की ब्रिटेन में जन्मी अगली पीढ़ी के बीच नजदीकी रिश्तेदारों से शादी की दर कम होकर 30 फीसदी तक पहुंच गई.

2016 से 2020 तक किए गए इसी तरह के एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि पाकिस्तानी समुदाय में नजदीकी रिश्तों में शादी होने की दर में काफी कमी आई है. यह 60 फीसदी से कम होकर 40 फीसदी तक पहुंच गई है. इसके बावजूद यह श्वेत ब्रिटेनवासियों की तुलना में काफी ज्यादा है. उपलब्ध डेटा से पता चलता है कि श्वेत ब्रिटेनवासियों में एक फीसदी से भी कम लोग अपने नजदीकी रिश्तेदारों या चचेरे भाई-बहनों से शादी करते हैं.

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अनुमान है कि पूरी दुनिया में करीब 10 से 15 फीसदी नवजात शिशुओं के माता-पिता नजदीकी रिश्तेदार होते हैंतस्वीर: Panthermedia/IMAGO

सोशल मीडिया से युवा हो रहे हैं जागरूक

हसन और राशिद दोनों इस बात की पुष्टि करते हैं कि नजदीकी रिश्तेदारों से शादी करने की प्रथा कम होती जा रही है. उनका मानना है कि यह आंशिक रूप से आधुनिक तकनीक की वजह से है. राशिद कहती हैं, "ब्रिटेन में जन्मे बच्चे स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा जागरूक हैं क्योंकि वे हर समय सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं, जहां स्वास्थ्य समेत हर तरह के विषयों पर चर्चा होती है." राशिद का यह भी मानना है कि विवाह के बाद होने वाले पारिवारिक झगड़े भी एक बड़ी वजह हैं कि लोग अपने कजिन्स के साथ शादी करने से बच रहे हैं.

पाकिस्तानी मूल के एक ब्रिटिश पंजाबी अब ब्रैडफोर्ड के करीब रहते हैं. उनका कहना है कि युवाओं को अपने साथी खुद चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू को बताया, "मेरे अपने बेटे ने परिवार के दबाव के बावजूद अपनी चचेरी बहन के साथ शादी करने से इनकार कर दिया. मैंने परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ जाकर उसका साथ दिया. हमें यह जानने की जरूरत है कि ऐसी शादियों के कारण सेहत से जुड़ी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं और हमें ऐसी शादियों से बचना चाहिए."

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धर्म और पारिवारिक दबाव भी नातेदारी में शादी की वजह

ब्रैडफोर्ड में रहने वाली ऐक्टिविस्ट बीनश फारिस मानती हैं कि नजदीकी रिश्तों में होने वाली शादियां कम हो रही हैं. हालांकि, वह एक दिलचस्प प्रवृत्ति की ओर भी इशारा करती हैं कि धार्मिक सोच वाले युवाओं में यह प्रथा फिर से उभर रही है, लेकिन सीमित तौर पर.

फारिस ने डीडब्ल्यू से कहा, "धर्म में इस बात पर जोर दिया गया है कि अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए और उनकी आज्ञा का पालन किया जाना चाहिए. इसलिए मैंने देखा है कि धार्मिक सोच वाले कुछ युवा विवाह के मामलों में अपने माता-पिता की सलाह को स्वीकार करते हैं या कुछ मामलों में कजिन्स से शादी करने की इच्छा दिखाते हैं."