2022 में किन घटनाओं ने सबकी जेब पर असर डाला
यूक्रेन युद्ध हो या महंगाई, खाद्य संकट हो या ऊर्जा संकट, इस साल पूरी दुनिया के सामने कई भारी चुनौतियां आईं. आखिर हमने कैसे सामना किया इतनी सारी चुनौतियों का? आइए एक नजर डालते हैं.
कोविड पीछे छूट रहा है या नहीं?
महामारी की दो सर्दियों के बाद 2022 की शुरुआत में व्यापार-धंधा को लेकर थोड़ी आशा जगने लगी. सप्लाई चेनें थोड़ा संभल पाईं; लोग घरों से ही सही लेकिन काम कर पा रहे थे; लोगों ने बाहर जा कर खरीदारी शुरू की, खाना-पीना और यात्रा करना शुरू किया. हम कोविड को पीछे छोड़ कर जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए तैयार थे. लेकिन उसके बाद ऐसी कई घटनाएं हुईं जिन्होंने हमें चौंका दिया.
रूस का यूक्रेन पर हमला
फरवरी के आखिरी दिनों में रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. उसके बाद कई प्रतिबंध लगा दिए गए और पश्चिमी कंपनियों को रूस में रहने या वहां से निकल जाने के बीच चुनना पड़ा. मैकडॉनल्ड्स, कई लग्जरी ब्रांड और यहां तक कि कई तेल कंपनियों ने भी रूस में अपना काम बंद कर दिया. इन सबके बावजूद रूस तेल और गैस के निर्यात से अरबों डॉलर कमाने में कामयाब रहा.
ऊर्जा दामों में उछाल
ऊर्जा बाजारों में दाम आसमान पर पहुंच गए. रूस ने यूरोप को गैस की आपूर्ति धीमी कर दी और दोनों नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइनों को बंद कर दिया. एक पीढ़ी बाद यूरोप के लोगों को पता चला कि एक किलोवॉट बिजली क्या होती है. यूरोपीय सरकारों ने नागरिकों और व्यापारियों को बिजली, गैस और गर्म पानी के इस्तेमाल को कम करने को कहना पड़ा. सस्ती रूसी गैस पर बुरी तरह से निर्भर जर्मनी में तो विऔद्योगिककरण की बात होने लगी.
इलॉन मस्क ने लगाई ट्विटर की बोली
अप्रैल में इलॉन मस्क ने बताया कि वो ट्विटर के सबस बड़े शेयरधारक हैं. कुछ सप्ताह बाद उन्होंने सीधा कह दिया की वो कंपनी को खरीद लेंगे, लेकिन फिर पीछे हटने लगे. जब कानूनी मुकदमे का सामना करने की नौबत आ गई तब उन्होंने अक्टूबर के अंत में 44 अरब डॉलर में डील कर ली. इसके बाद कुछ ही दिनों में कंपनी के करीब आधे कर्मचारियों को निकाल दिया. कुछ वरिष्ठ स्टाफ सदस्य खुद ही कंपनी छोड़ कर चले गए.
महंगाई आसमान पर
ऊर्जा के दामों में जारी उछाल की वजह से अमेरिका, यूके और यूरोप में इतनी महंगाई हो गई जितनी बीते कई दशकों में नहीं देखी गई थी. इसका असर खाने पीने की चीजों, यातायात, जहाजरानी और दूसरे उत्पादों के दामों पर पड़ा. केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को बढ़ा दिया लेकिन फिर ही महंगाई काबू में नहीं आई.
चीन दोहरे दबाव में
चीन की जीरो-कोविड नीति की वजह से करोड़ों लोगों ने काफी समय तालाबंदी में बिताया और इससे उत्पादन पर बड़ा असर पड़ा. साथ ही देश के प्रॉपर्टी बाजार पर भी संकट आन पड़ा. नए घरों की बिक्री कम हो गई और कई स्थानों पर बिल्डरों ने काम रोक दिया. अभी तक सरकार ने सरकारी बैंकों के जरिए अर्थव्यवस्था को समर्थन दिया हुआ है. क्या यह अगला बड़ा आर्थिक संकट है?
एक क्रिप्टोकरेंसी संकट
यह क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक अच्छा साल नहीं था. बिटकॉइन के दाम 65 प्रतिशत नीचे गिर गए और एल साल्वादोर में इसे आधिकारिक मुद्रा की श्रेणी से हटा देने की मांग उठ रही है. मई में टेरा-लूना नाम का एक स्टेबलकॉइन सिस्टम ढह गया. फिर नवंबर में एफटीएक्स क्रिप्टो एक्सचेंज दिवालिया घोषित हो गया और करीब 10 लाख ऋणदाता अधर में लटके रह गए. कई लोगों को डर है कि निवेशक पीछे हट जाएंगे और पूरा उद्योग ही तबाह हो जाएगा.
टेक कंपनियों में छंटनी
ट्विटर में बड़े पैमाने पर नौकरियों के जाने के बाद मेटा ने घोषणा की कि वो 11,000 लोगों को नौकरी से निकाल देगा. अमेजॉन ने भी बड़ी संख्या में नौकरियों में छंटनी की घोषणा की. स्नैप ने भी कहा कि वो भी अपने 20 प्रतिशत कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही है.
2023 में क्या होगा
2022 कठोर रहा, इसमें कोई शक नहीं है. यूक्रेन युद्ध चल ही रहा है और दूसरे संकट भी अभी खत्म नहीं हुए हैं. लेकिन जहां संकट है वहां नवरचना भी है. नया विज्ञान और मेडिकल टेक्नोलॉजी, हरित ऊर्जा की तरफ और तेजी से बढ़ना, नए सोशल मीडिया मंच - सब या तो आ चुके हैं या रास्ते में हैं, जिससे उम्मीद की किरण भी नजर आती है. (टिमोथी रूक्स)