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चंद्रमा की दूसरी ओर से नमूने लेकर लौटा चीनी यान

२६ जून २०२४

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर गया चीन का अंतरिक्ष यान लौट आया है. पहली बार दक्षिणी ध्रुव से कोई यान नमूने लेकर लौटा है.

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चीन का चंद्रमा मिशन चांग ई-6
चांद के दूसरी ओर से नमूने लेकर लौटा चीन का यानतस्वीर: Xinhua/IMAGO

चीन के चांग'ई-6 अंतरिक्ष यान ने विज्ञान जगत में एक नया इतिहास रच दिया है. चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव से यह यान मंगलवार को पृथ्वी पर लौट आया. अपने साथ वह चांद के उस तरफ की मिट्टी और चट्टानें लेकर आया है, जो हमें पृथ्वी से नजर नहीं आता.

यह पहली बार है जब चंद्रमा की दूसरी तरफ के नमूने पृथ्वी पर लाए गए हैं. मंगलवार को चांग'ई-6 उत्तरी चीन के इनर-मंगोलियन इलाके में उतरा. इसके बाद चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के निदेशक जांग केजियान ने टीवी पर प्रसारित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अभियान पूरी तरह सफल रहा.

केजियान ने कहा, "मैं अब घोषणा करता हूं कि चांग'ई-6 लूनर एक्सप्लोरेशन मिशन ने पूरी सफलता हासिल की है.” चीनी वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि चांग'ई-6 जो नमूने लेकर आया है उनमें अन्य चीजों के साथ-साथ 25 लाख साल पुरानी ज्वालामुखीय चट्टानें भी होंगी, जो चंद्रमा के दो तरफ के भौगोलिक फर्क को समझने में मदद करेंगी.

चांद के दूसरे हिस्से पर सफलता

पृथ्वी से हम चंद्रमा के एक ही तरफ का हिस्सा देख पाते हैं. दूसरा हिस्सा हमेशा परे रहता है. पिछले कुछ समय से वैज्ञानिक उस हिस्से को जानने-समझने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले साल भारत ने भी वहां चंद्रयान भेजा था. भारत चंद्रमा के उस हिस्से पर यान उतारने वाला पहला देश बना था. उसके बाद जापान और अमेरिका के यान भी उस हिस्से पर उतर चुके हैं.

चांद के उस हिस्से में बड़ी पहाड़ियां और उल्का पिंडों के गिरने से बने बड़े-बड़े गड्ढे हैं. जो हिस्सा पृथ्वी से नजर आता है, वह तुलनात्मक रूप से सपाट है.

चांद से पहले भी मिट्टी और चट्टानों जैसे नमूने लाए जा चुके हैं. अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ के यान ऐसा कर चुके हैं. लेकिन वे नमूने इस तरफ से लाए गए थे, जो हमें नजर आता है. दूसरी तरफ से नमूने लाने वाला चीन पहला देश है.

चंद्रमा पर पहुंचने को लेकर पिछले कुछ सालों में होड़ लगातार बढ़ी है. खासकर चीन और अमेरिका के वैज्ञानिकों के बीच प्रतिद्वन्द्विता जारी है. इसके अलावा, रूस, जापान और भारत भी इस दौड़ के अहम खिलाड़ी हैं.

महाशक्ति बनने की ओर चीन

2030 तक चीन अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक महाशक्ति बनने की तैयारी कर रहा है. उसने और देशों को प्रोग्राम में शामिल होने का न्योता दिया है. पिछले साल अजरबैजान की राजधानी बाकू में चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन कांग्रेस हुई थी जिसमें चीन ने अपने अंतरिक्ष अभियान चांग'ई-8 का ऐलान किया और अन्य देशों को भी इसमें शामिल होने को आमंत्रित किया.

चांग'ई-6 की सफलता पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी वैज्ञानिकों को बधाई दी. उन्होंने अपने संदेश में कहा, "अंतरिक्ष और तकनीक के क्षेत्र में एक शक्ति बनने की हमारे देश की कोशिशों की दिशा में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है."

चांग'ई-6 को तीन मई को प्रक्षेपित किया गया था और उसकी यात्रा 53 दिनों की थी. वहां जाकर उसने चंद्रमा के धरातल पर खुदाई की और नमूने जुटाए.

चाइनीज अकैडमी ऑफ साइंसेज में जियोलॉजिस्ट जोंगयू ये ने बताया, "ये नमूने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र के एक मूलभूत सवाल का जवाब दे सकते हैं कि वह क्या भौगोलिक गतिविधि है, जो चांद के दोनों तरफ को अलग-अलग करती है."

वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)