अंतरिक्ष में अकेले बादशाहत कायम करेगा चीन?
३१ अक्टूबर २०२३चीनी मिथकों और किंवदंतियों में इस बात का जिक्र अक्सर मिलता है कि इंसान आसमान तक गए और अंतरिक्ष में कदम रखा. चीन ने इस तरह की कहानियों का इस्तेमाल अंतरिक्ष को विचारधारा की सीमाओंसे दूर एक ऐसी जगह के तौर पर पेश करने के लिए किया है, जो राजनीति से अछूती है. लेकिन बीसवीं सदी में शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत रूस के बीच शुरु हुई 'स्पेस रेस' के बाद से अंतरिक्ष का राजनीतिकरण छिपा हुआ नहीं है. अंतरिक्ष में प्रभुत्व स्थापित करने की होड़ में लगे देशों के लिए दांव पर है, तकनीकी श्रेष्ठता और इसके साथ-साथ आर्थिक विकास और मौलिकता के प्रदर्शन का मौका.
अंतरिक्ष की शक्ति
चीन ने बीते गुरुवार एक बार फिर साबित किया कि वह दुनिया की बड़ी स्पेस पावर है, जब तीन चीनी अंतरिक्षयात्री, शिंजो-17 यान में सवार होकर चीनी स्पेस स्टेशन तियानगोन्ग के लिए रवाना हुए. 10 मिनट की यात्रा और साढ़े छह घंटे तक यान को सुरक्षित उतारने के प्रयासों के बाद अंतरिक्ष यात्री तियानगोन्ग पहुंचे. इस शब्द का हिंदी में अर्थ होता है: 'दिव्य महल.'
2011-2017 में तियानगोन्ग-1 और 2016-2019 में तियानगोन्ग-2 परियोजनाओं के सफल परीक्षणों के बाद चीन ने 2021 में तियानगोन्ग बनाना शुरु किया. नवंबर 2022 में इसका निर्माण पूरा हुआ. इस स्पेस स्टेशन पर दो स्पेस कैप्सूल और एक सप्लाई क्राफ्ट यानी तीन अंतरिक्ष यान एक साथ उतारे जा सकते हैं.
छोटा, लेकिन अहम प्रयास
चीनी मीडिया ने तियानगोन्ग के अपेक्षाकृत छोटे आकार की वजह से इसे तीन कमरे वाला मकान कहा है. इसका वजन अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन यानी आईएसएस से 100 टन कम है, जिसका वजन 450 टन के करीब है. तियानगोन्ग को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह 450 किलोमीटर के ऑर्बिटल ऑल्टिट्यूड यानी कक्षीय ऊंचाई पर 15 साल तक काम कर सकता है. अजरबैजान में हुई एक कॉन्फ्रेंस में चीन ने घोषणा की है कि वह आने वाले दिनों में अपने स्पेस स्टेशन की क्षमताबढ़ा लेगा.
इसके साथ ही चीन विदेशी अंतरिक्षयात्रियों को तियानगोन्ग ले जाने के लिए तैयार है. चीन के मानवयुक्त अंतरिक्ष यान कार्यक्रम की निगरानी करने वाली एजेंसी के उपाध्यक्ष लिन शिक्यांग ने कहा, "हम दुनियाभर को निमंत्रण दे रहे हैं और सभी देशों व क्षेत्रों का स्वागत करते हैं, जो अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए सहयोग करना चाहते हैं और चीनी अंतरिक्ष मिशनों का हिस्सा बनना चाहते हैं."
सेना की निगाहों के नीचे
चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम पीपल्स लिबरेशन आर्मी की देखरेख में चल रहा है. अंतरिक्षयात्रियों का चुनाव और ट्रेनिंग पूरी तरह से आर्मी के साथ जुड़ी है. चीन में अब तक प्रशिक्षित 18 अंतरिक्षयात्रियों में से दो महिलाएं हैं और केवल एक ही असैन्य कर्मचारी पेलोड विशेषज्ञ के तौर पर अंतरिक्ष मिशन में गए हैं. यह यात्री पेशे से यूनिवर्सिटी टीचर हैं और यान पर सवार होते वक्त उन्होंने सेना के सम्मान में अपना सीधा हाथ हेल्मेट पर रखते हुए शिजों-16 में कदम रखा.
अंतरिक्ष में चीन की सफलता की लिस्ट और भविष्य का प्लान लंबा है. जैसे 2019 में चंद्रमा के अंधियारे हिस्से पर प्रोब मिशन भेजना, 2021 में मंगल पर रोवर उतारना और 2024 तक अपने स्पेस स्टेशन में तीसरा टेलीस्कोप लगाने के अलावा 2020 तक पहला मानवयुक्त यान भेजना. स्पेस की इस रेस में चीन अमेरिका की एजेंसी नासा के पदचिन्हों पर चलने की कोशिश में है.
तियानगोन्ग के अलावा सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन ही है, जहां साल 2000 से एक स्थाई क्रू काम करता है. अमेरिका के विरोध की वजह से चीन अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में हिस्सा नहीं ले सकता. हालांकि, आईएसएस केवल 2030 तक ही काम कर सकता है. इसका मतलब है कि अंतरिक्ष में तियानगोन्ग अकेला मानवयुक्त स्टेशन होगा. यूरोपियन स्पेस एजेंसी के पूर्व अंतरिक्षयात्री थोमास राएटर ने डीडब्ल्यू से कहा, "चीन पहले से ही अंतरिक्ष में एक बड़ी ताकत है और स्पेस से जुड़ी सभी विधाओं में पारंगत है. इसकी वजह से वह अमेरिका और रूस जैसे दूसरे अंतरिक्षगामियों के बराबर है."
यूरोप की स्थिति
यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) ने चीन के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम की संभावनाओं को पहले ही भांप लिया था. स्पेस प्रोग्राम में चीन के भारी निवेश को देखते हुए यूरोपियन स्पेस एजेंसी के अंतरिक्षयात्रियों ने चीनी भाषा के गहन कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जिसमें मतियास माओरर भी शामिल हैं. 2017 में माओरर ने चीनी सहयोगियों के साथ एक सर्वाइवल ट्रेनिंगमें हिस्सा लिया, लेकिन अंत में स्थितियां कुछ और ही बनीं. माओरर ने 2021 से 2022 के बीच आईएसएस में 176 दिन गुजारे.
इसी साल जनवरी में ईएसए के महानिदेशक जोसेफ आशबाखर ने कहा कि एजेंसी फिलहाल केवल आईएसएस पर ही ध्यान लगाना चाहती है. उन्होंने एक प्रेसवार्ता में कहा, "इस वक्त हमारे पास ना बजट है और ना ही राजनीतिक रजामंदी, जिससे हम एक अन्य स्पेस स्टेशन, यानी चीनी स्पेस स्टेशन के साथ जुड़ सकें."
भूराजनीतिक तनाव का अंत
पूर्व अंतरिक्षयात्री राएटर का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग अच्छी बात है. वह कहते हैं, "इस तरह की स्थितियों में स्पेस और विज्ञान आमतौर पर हमें संचार के रास्ते खुले रखने में मदद करते हैं. एक बार यह मामला थम जाए, तो हमें चीन के साथ इस बातचीत को दोबारा शुरु करना चाहिए और प्रोजेक्ट देखने चाहिए." राएटर को लगता है कि ईएसए को इसके लिए तैयारी करनी चाहिए कि उसके अपने अंतरिक्षायात्री तियान्गोंग जा सकें. उनके मुताबिक ईएसए ने अपने नए अंतरिक्षयात्रियों का दल चुना है. शायद उन्हीं में से कोई चीनी भाषा सीखकर वहां जाने का विचार रखता हो.
राएटर खुद अपने पहले मिशन के लिए रूस के पुराने स्पेस स्टेशन मीर पर गए थे. वहां सबकुछ रूसी भाषा में लिखा था. लोग रूसी में बात कर रहे थे. वह बताते हैं, "मेरी दूसरी तैनाती आईएसएस पर थी, जहां सभी मॉड्यूल वैसे ही थे, जैसे रूसी स्टेशन पर. वहां अतरराष्ट्रीय रिसर्चरों का एक बड़ा दल था. अगर यह सहयोग चलता रह सके, तो हमें इसका पूरा समर्थन करना चाहिए."