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चीन का कजाखस्तान विवाद में 'बाहरी ताकतों' को संदेश

१० जनवरी २०२२

कजाखस्तान में हिंसक प्रदर्शनों के बाद चीन ने वहां सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग देने का प्रस्ताव दिया है. साथ ही चीन ने कजाखस्तान में 'बाहरी ताकतों' द्वारा हस्तक्षेप का विरोध करने की भी बात कही है.

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Kazachstan Nur Sultan | Bewaffnetes Fahrzeug
तस्वीर: TURAR KAZANGAPOV/REUTERS

मदद का प्रस्ताव चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कजाखस्तान के विदेश मंत्री मुख्तार तिलुबर्दी के साथ बातचीत के दौरान दिया. चीन के विदेश मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक वांग ने तिलुबर्दी को बताया, "कजाखस्तान में हाल ही में हुई उथल पुथल दिखाती है कि मध्य एशिया में स्थिति अभी भी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है और यह एक बार फिर साबित करती है कि कुछ बाहरी ताकतें हमारे प्रांत में शान्ति नहीं चाहती हैं."

पिछले सप्ताह कजाखस्तान में ईंधन के बढ़ते दामों के विरोध में हुए प्रदर्शन हिंसक हो गए थे और प्रदर्शनकारियों ने कई सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया था. कुछ को जला भी दिया गया था. फिर प्रदर्शन जैसे जैसे जैसे पूरे देश में फैलने लगे सेना को गोली चलाने के आदेश दे दिए गए.

चीन की चिंता

सरकार ने हिंसा के लिए "चरमपथियों" को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इनमें विदेश में प्रशिक्षित इस्लामिस्ट आतंकवादी शामिल हैं. सरकार ने रूस के नेतृत्व में एक सैन्य समूह से सेना भेजने के लिए भी कहा. सरकार ने कहा कि इन सैनिकों को सामरिक दृष्टी से महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया है. अमेरिका ने इस कदम पर सवाल उठाए हैं.

Kasachstan Almaty ausgebranntes Militärfahrzeug
अल्माटी में प्रदर्शनों के दौरान जला दिया गया एक सैन्य ट्रकतस्वीर: Vladimir Tretyakov/NUR.KZ/AP/picture alliance

जानकारों का मानना है कि चीन की चिंता है कि अगर उसके पड़ोस में अशांति होगी तो उसका चीन के ऊर्जा व्यापार पर बेल्ट-एंड-रोड परियोजनाओं पर पड़ेगा. इसके अलावा चीन को लगता है कि इसका असर उसके शिन्चियांग इलाके पर भी पड़ेगा, जो कजाखस्तान के साथ 1,770 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है.

वांग ने यह भी कहा कि चीन "मिल कर किसी भी बाहरी ताकत के हस्तक्षेप और घुसपैठ का विरोध करने के लिए" तैयार है. चीन और रूस का मानना है कि "रंग क्रांतियां (कलर रिवोल्यूशंस) अमेरिका और दूसरी पश्चिमी ताकतों के द्वारा भड़काए जा रहे हैं ताकि देशों में सरकारों को गिराया जा सके.

सिंगापुर के एस राजरत्नम स्कूल ऑफ इंटरनैशनल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर ली मिंगजियांग ने बताया, "चीन इस अशांति की वजह से कजाखस्तान और मध्य एशिया में अमेरिका के प्रभाव का विस्तार नहीं होने देना चाहता है. अगर पड़ोस के एक देश में रंग क्रान्ति की वजह से राजनीतिक लोकतांत्रिकरण हो जाता है, तो इससे उदारवादी झुकाव रखने वाले चीन के बौद्धिक कुलीन वर्ग को भी ऐसा ही कोई प्रयास करने के लिए बढ़ावा मिल सकता है."

वियतनाम युद्ध के बाद से चीन अपनी हस्तक्षेप विरोधी नीति के तहत पारंपरिक रूप से दूसरे देशों में सेना नहीं भेजता है. पिछले महीने उसने सोलोमन आइलैंड्स की पुलिस को प्रशिक्षण देने के लिए और वहां भड़के दंगों को खत्म करने के लिए अपने छह पुलिस अफसर भेजे थे.

सीके/एए (रॉयटर्स)

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