इन देशों ने निकाले रूसी राजनयिक
ब्रिटेन में पूर्व रूसी जासूस और उनकी बेटी को जहर देने के मामले में यूरोप के कई देशों ने रूस के राजनयिकों को निकाल दिया है. अमेरिका और कनाडा ने भी ऐसे कदम उठाए हैं. जानिए किस देश ने कितने राजनयिकों को निष्कासित किया.
ब्रिटेन
पूर्व रूसी जासूस को ब्रिटेन में ही जहर दिया गया. ब्रिटेन सरकार ने रूस से इस पर सफाई मांगी लेकिन रूस ने जवाब देने से इंकार कर दिया. इसके बदले में ब्रिटेन ने 23 रूसी राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया.
अमेरिका
रूस के साथ खराब रिश्तों के इतिहास वाले अमेरिका ने जल्द ही ब्रिटेन का साथ देने का फैसला किया और 60 राजनयिकों को देश से निकालने की घोषणा की. इतना ही नहीं, सीएटल में रूसी कॉन्सुलेट को भी बंद कर दिया गया है.
यूक्रेन
पड़ोसी देश यूक्रेन के भी रूस के साथ लंबे मतभेद हैं. यहां 13 राजनयिकों को निष्कासित करने की घोषणा की गई. राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको ने कहा कि रूस ना केवल स्वतंत्र राज्यों की संप्रभुता को खारिज कर रहा है, बल्कि इंसानी मूल्यों को भी.
जर्मनी
चार राजनयिकों को निकालने की घोषणा करने के साथ जर्मनी ने कहा कि रूस ने अब तक हमले को लेकर कोई सफाई नहीं दी है, "हम भी ब्रिटेन के साथ एकजुटता दिखाना चाहते हैं."
यहां से चार
फ्रांस, पोलैंड और कनाडा ने कहा है कि वे भी जर्मनी की ही तरह चार राजनयिकों को निष्कासित करेंगे. जर्मनी में जहां लगभग हर पार्टी ने सरकार के फैसले का समर्थन किया है, वहीं ग्रीन पार्टी ने चेतावनी दी है कि इस तरह के कदम से दुनिया एक बार फिर शीत युद्ध की स्थिति में पहुंच जाएगी.
यहां से तीन
चेक गणराज्य और लिथुएनिया ने तीन तीन राजनयिकों के निष्कासन की बात कही है. यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डॉनल्ड टस्क ने कहा है कि आने वाले दिनों में ईयू फ्रेमवर्क के तहत रूस पर अन्य प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं.
यहां से दो
इटली, डेनमार्क, स्पेन और नीदरलैंड्स से दो दो रूसी राजनयिकों को निष्कासित किया जाएगा. ऑस्ट्रेलिया पहले ही दो राजनयिकों को निकाल चुका है.
यहां से एक
एस्टोनिया, लातविया, स्वीडन, रोमानिया, क्रोएशिया, अल्बानिया और हंगरी एकजुटता दिखाते हुए एक एक राजनयिक को रूसी निष्कासित कर रहे हैं. कुल मिला कर 20 देश अब तक रूस के खिलाफ यह कदम उठा चुके हैं.
लक्जमबर्ग
इस यूरोपीय देश ने भी रूस से अपने राजदूत को वापस बुलाने की घोषणा की है.
निष्कासन के खिलाफ
ऑस्ट्रिया ने यूरोपीय संघ के देशों के फैसले का साथ ना देने का निर्णय लिया है. चांसलर सेबास्टियान कुर्त्स ने इस बारे में कहा, "हम संपर्क जोड़ने वाला बनना चाहते हैं और रूस के साथ बातचीत के रास्ते को खुला रखना चाहते हैं."