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निवेश के सहारे दुनिया पर प्रभुत्व की होड़ में यूरोप और चीन

२ नवम्बर २०२३

चीन अपनी बेल्ट एंड रोड योजना के तहत पूरी दुनिया में पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. इसके जवाब में यूरोपीय संघ ने ग्लोबल गेटवे योजना शुरू की है. आखिर ये दोनों योजनाएं एक-दूसरे से कितनी अलग हैं?

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Ursula von der Leyen implied that the EU's scheme was fairer than China's
ईयू प्रमुख का कहना है कि यूरोपियन यूनियन की स्कीम चीन के मुकाबले ज्यादा सही हैतस्वीर: Johanna Geron/REUTERS

दो साल पहले यानी 2021 में, यूरोपीय संघ ने विकासशील देशों के साथ-साथ, उभरते बाजारों में निवेश करने के लिए अपनी ‘ग्लोबल गेटवे' योजना शुरू की थी. पिछले महीने इस योजना को लेकर ईयू ने पहला ग्लोबल गेटवे फोरम आयोजित किया. इसका मकसद था कि साझेदारों के साथ इस योजना के विकास का जायजा लिया जाए, उन्हें बेहतर करने के लिए प्रेरित किया जाए, आपसी सहयोग को मजबूत बनाया जाए और नई परियोजनाओं को लेकर विचार-विमर्श किया जाए.

दरअसल, यूरोपीय संघ ने मूल रूप से चीन की बेल्ट एंड रोड इंफ्रास्ट्रक्चर इनिशिएटिव (बीआरआई) के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपनी वैश्विक निवेश योजना शुरू की है. चीन की योजना को कुछ लोग न्यू सिल्क रोड भी कहते हैं. पिछले 10 सालों में चीन ने दुनिया भर में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में करीब 900 अरब यूरो (948 अरब डॉलर) का निवेश किया है. जबकि ईयू की योजना 2027 तक कुछ देशों में सिर्फ 300 अरब यूरो निवेश करने की है. ईयू की ग्लोबल गेटवे योजना के लगभग 60 भागीदार हैं. जबकि चीन के पास 150 से अधिक भागीदार हैं.

ब्रसेल्स में 25 अक्टूबर को फोरम के उद्घाटन के मौके पर यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उरसुला फॉन डेय लाएन ने कहा, "ग्लोबल गेटवे की शुरुआत देशों को एक बेहतर विकल्प उपलब्ध कराने के मकसद से की गई है. ईयू की योजना चीन की तुलना में ज्यादा निष्पक्ष और कम नौकरशाही वाली है. दुनिया के कई देशों के लिए निवेश के विकल्प काफी सीमित हैं. साथ ही, वहां निवेश में काफी ज्यादा लागत आती है. जब हमारे मित्र बेहतर तरीके से सहयोग करते हैं, तो हमारा आपसी संबंध भी मजबूत होता है. हम सब कामयाब होते हैं. यही कारण है कि यूरोप ने अपने भागीदारों के साथ मिलकर काम करने का विकल्प चुना है.”

he construction of a vaccine manufacturing facility in Rwanda was one of the first Global Gateway projects.
रवांडा में एक वैक्सीन उत्पादन फैक्ट्री, ग्लोबर गेटवे परियोजना का एक शुरुआती प्रोजेक्ट थातस्वीर: Luke Dray/Getty Images

हरित और टिकाऊ परियोजनाओं को बढ़ावा देता ईयू

यूरोपीय संघ की योजना चीन की तरह परिवहन और बुनियादी ढांचे पर केंद्रित नहीं है. चीन ने रेलवे, सड़क नेटवर्क के विस्तार और बंदरगाहों के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया है. इससे चीन से माल के साथ-साथ कंटेनरों की ढुलाई में मदद मिलती है. वहीं, यूरोपीय संघ का कहना है कि उसने ऊर्जा, चिकित्सा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में हरित और टिकाऊ परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए ग्लोबल गेटवे योजना शुरू की है.

इस योजना की पहली बड़ी परियोजना के तहत घाना, रवांडा, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका में 2022 में वैक्सीन निर्माण केंद्रों को स्थापित किया गया. फिलहाल 90 ग्लोबल गेटवे परियोजनाएं जारी हैं, जिनकी लागत 66 अरब यूरो है. ब्रसेल्स में फोरम के दौरान कई अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. हालांकि, इस सम्मेलन में कुछ ही देशों के राष्ट्र प्रमुखों ने हिस्सा लिया.

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने देश में अक्षय ऊर्जा विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया. वहीं, वियतनाम के उप-प्रधानमंत्री ट्रान होंग हा ने ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन के लिए समझौता किया. यूरोपीय संघ को उम्मीद है कि खनिजों ओर दुर्लभ धातु रेयर अर्थ के लिए एशिया और अफ्रीकी देशों के साथ कई अन्य समझौते किए जाएंगे.

Sheikh Hasina, the prime minister of Bangladesh, was one of the few heads of state to attend the Forum in Brussels
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने ब्रसेल्स में, इसी महीने हुई ग्लोबल गेटवे फोरम में हिस्सा लिया तस्वीर: Johanna Geron/REUTERS

निजी निवेशकों को मौका

यूरोपीय आयोग और लक्जमबर्ग स्थित यूरोपीय निवेश बैंक (ईआईबी) निवेश के लिए धन उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाते हैं. वे संभावित ग्लोबल गेटवे परियोजनाओं के लिए सभी आवेदनों की जांच करते हैं. हालांकि, निजी यूरोपीय कंपनियों की ओर से भी बड़ा निवेश किए जाने की उम्मीद है. इन कंपनियों की हिस्सेदारी चीनी कंपनियों की तुलना में काफी अधिक है.

ब्रसेल्स में उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा, "हम यूरोप की बड़ी कंपनियों की आर्थिक शक्ति को संगठित कर रहे हैं. पब्लिक-प्राइवेट टीमवर्क ही इस योजना की खासियत है. सरकारी निवेश, प्रशिक्षण, बेहतर नियम-कानूनों की मदद से हम निजी निवेशकों को बता सकते हैं कि उन्हें इन महत्वाकांक्षी योजनाओं से आने वाले समय में कितना लाभ मिलेगा.

यूरोपीय बाजार पर प्रभुत्व रखने वाली जर्मन मैकेनिकल इंजीनियरिंग कंपनियों ने ग्लोबल गेटवे योजना का स्वागत किया है और वे इसका हिस्सा बनना चाहती हैं. जर्मनी और यूरोप में मशीनरी और उपकरण निर्माण उद्योग के सबसे बड़े नेटवर्क संगठन वीडीएमए के उलरिख अखरमान ने कहा कि परियोजनाओं को तेजी से शुरू किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, "यूरोपीय संघ को अपने सिद्धांतों को लागू करना चाहिए. परियोजनाओं को पारदर्शी बनाना चाहिए, भ्रष्टाचार रोकने के उपाय करने चाहिए और निवेश पर रिटर्न का अनुमान बताना चाहिए. साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त तकनीकी मानकों को लागू किया जाना चाहिए. ईयू को चीनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का एक विकल्प पेश करना चाहिए जो अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और टिकाऊ हो.”

हांगकांग से छपने वाले अंग्रेजी अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने हाल ही में एक लेख में सुझाव दिया कि चीन अप्रत्यक्ष रूप से यूरोपीय कंपनियों के फैसलों को प्रभावित कर सकता है. सितंबर के बाद से ईयू ने ग्लोबल गेटवे योजना में शामिल बड़ी कंपनियों के समूह से सलाह मांगी है. इन कंपनियों में सीमेंस, वोल्वो, अल्सटॉम और मेर्स्क शामिल हैं. ये कंपनियां चीन के साथ भी व्यावसायिक तौर पर जुड़ी हुई हैं. चीनी कंपनियों के पास पुर्तगाली ऊर्जा कंपनी ईडीपी और एंटवर्प के बंदरगाह में बड़ी हिस्सेदारी है, जो सलाहकार बोर्ड में भी शामिल हैं.

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बीएंडआर योजना से जुड़ी कॉंफ्रेस में बोलते हुए
बीजिंग में हुई बेल्ट एंड रोड बैठक में 10,000 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लियातस्वीर: Ng Han Guan/AP/picture alliance

दोनों योजनाओं में शामिल हो सकते हैं देश

यूरोपीय आयोग के अधिकारियों ने बताया कि ग्लोबल गेटवे कोई खास योजना नहीं है. इसका लक्ष्य चीन के चंगुल से आजाद होना है, लेकिन पूरी तरह अलग होना नहीं. जो देश ग्लोबल गेटवे में शामिल होते हैं, वे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में भी हिस्सेदार बन सकते हैं. बांग्लादेश और सर्बिया भी उन अन्य देशों में शामिल हैं जो दोनों योजनाओं में हिस्सेदार हैं.

पिछले सप्ताह बीजिंग में बेल्ट एंड रोड शिखर सम्मेलन में 10,000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. इसमें चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि वह यूरोपीय योजनाओं के साथ काम करने की कल्पना कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस प्रतिस्पर्धा को ‘सकारात्मक दृष्टिकोण' से देखा जाना चाहिए. साथ ही, ‘चीन और पश्चिमी देशों, दोनों के फायदे के लिए इन योजनाओं को एक साथ जोड़ने की इच्छा जाहिर की.'

मानवाधिकार आधारित वित्तीय और आर्थिक प्रणालियों की वकालत करने वाले ब्रसेल्स स्थित नेटवर्क फॉर डेब्ट एंड डेवलपमेंट की निदेशक जीन सलदान्हा ने कहा कि ग्लोबल गेटवे ने मानवाधिकारों, बेहतर शासन और ऐसे अन्य मानकों पर पर्याप्त जोर नहीं दिया है. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, "यह बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से कितना अलग है? आखिरकार इसका नतीजा यह निकलता है कि यूरोप चीन से प्रतिस्पर्था करने की कोशिश कर रहा है और इससे ज्यादा कुछ नहीं. आने वाले समय में स्थिति और साफ होगी, लेकिन शायद ही दोनों के बीच अंतर देखने को मिले.”

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