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कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज पर ईएमए ने यह सलाह दी है

१२ जनवरी २०२२

दुनिया के तमाम देशों में सरकारें और स्वास्थ्य एजेंसियां कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज की सलाह दे रही हैं लेकिन यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने एक दूसरा नजरिया बताया है. साथ ही, एजेंसी ने वैक्सीन में अपडेट पर भी बात की है.

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Symbolbild | Impfstoff Corona Omikron Variante
तस्वीर: Fleig/Eibner-Pressefoto/picture alliance

यूरोपीय संघ के दवा नियामक 'यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी' (EMA) ने कोरोना वैक्सीन का चौथा बूस्टर डोज लेने की जरूरत पर संदेह जताया है. एजेंसी ने कहा है कि अभी ऐसा कोई डाटा उपलब्ध नहीं है, जो इस बात की पुष्टि करता हो. साथ ही, एजेंसी का मानना है कि तेजी से फैलता ओमिक्रॉन वेरिएंट इस महामारी को 'एनडेमिक' की ओर ले जा रहा है. यानी हमें इसके साथ रहने की आदत हो जाएगी.

एजेंसी में वैक्सीन रणनीति के प्रमुख मारको केवेलरी ने मीडिया से बातचीत में कहा, "बूस्टर वैक्सीन लेना आकस्मिक रूप से कोरोना से बचने की रणनीति के तौर पर प्रभावी हो सकता है लेकिन छोटे अंतराल पर बार-बार वैक्सीन लगवाना लंबे वक्त के लिए टिकाऊ उपाय नहीं है."

EMA अधिकारियों ने चिंता जताई है कि हर चार महीने पर बूस्टर डोज देने से लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली पर भार पड़ेगा और इससे एक बड़ी आबादी में थकान हो जाएगी. केवेलरी ने यह भी कहा कि वैक्सीन पर कोरोना के नए वेरिएंट्स का असर समझने के लिए अभी और डाटा की जरूरत है, जिसके बाद ही पुख्ता तौर पर कुछ कहा जा सकेगा.

एनडेमिक होने का क्या मतलब है?

पत्रकारों से बातचीत में केवेलरी ने कहा, "अब एक बड़ी आबादी में इम्युनिटी पैदा हो चुकी है. टीकाकरण के साथ-साथ ओमिक्रॉन वेरिएंट की वजह से भी लोगों में प्राकृतिक इम्युनिटी पैदा हो रही है. इससे अब वे हालात नजदीक आ रहे हैं, जब हम एनडेमिक दौर में पहुंच जाएंगे."

दरअसल किसी संक्रामक बीमारी को लेकर एनडेमिक उस अवस्था को कहा जाता है, जब कोई वायरस हमारे आसपास स्वाभाविक रूप से मौजूद होता है लेकिन हमारा प्रतिरक्षा तंत्र उसके खिलाफ खुद को इतना मजबूत कर चुका होता है कि वायरस से हमें कोई खास खतरा नहीं रह जाता है. जैसे आज जुकाम और फ्लू वायरस का संक्रमण हमारे लिए आम हो चुका है.

क्या वैक्सीन में बदलाव की जरूरत है?

EMA ने यह भी कहा है कि अभी एजेंसी विभिन्न वैक्सीन उत्पादकों के साथ इस बारे में चर्चा कर रही है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट को देखते हुए मौजूदा कोरोना वैक्सीनों में किसी किस्म के बदलाव की जरूरत है या नहीं. हालांकि, एजेंसी ने यह भी कहा कि अगर ऐसी कोई जरूरत महसूस होती है, तो इसके लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग और तालमेल की जरूरत होगी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने भी चेतावनी दी है कि बार-बार कोविड का टीका लगवाना व्यावहारिक रणनीति नहीं है. उनके मुताबिक किसी वायरस के नए वेरिएंट से निपटने के लिए मौजूदा वैक्सीन के डोज ही लेते रहना सही तरीका नहीं है. संगठन के विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि भविष्य में कोविड वैक्सीन को अपडेट किए जाने की जरूरत पड़ सकती है.

अमेरिका और चीन में हालात चिंताजनक

अमेरिका में कोरोना की वजह से लोग किराने की दुकानों में सामान खत्म होने की दिक्कत से जूझ रहे हैं. वॉशिंगटन का उदाहरण देखें, तो पिछले कुछ हफ्तों से यहां ओमिक्रॉन वेरिएंट तेजी से फैल रहा है और मौसम भी खराब है. ऐसे में सामान की आपूर्ति भी बाधित हुई है और कामगार भी कम ही मिल रहे हैं. ऐसे में देशभर के तमाम ग्रोसरी स्टोर में करीब 15 फीसदी सामान खत्म हो गया है.

वहीं चीन के तियानजिन शहर में रविवार को शुरू हुई स्क्रीनिंग में ओमिक्रॉन वेरिएंट के 97 केस मिलने के बाद शहर के लगभग डेढ़ करोड़ लोगों की टेस्टिंग का आदेश दिया गया है. अधिकारियों ने स्थानीय मीडिया को बताया कि इन टेस्ट के नतीजे आने तक लोगों से वहीं रुकने को कहा गया है, जहां वे अभी हैं.
कनाडा के क्यूबेक प्रांत में कोविड वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों से हेल्थ टैक्स वसूले जाने का फैसला लिया गया है. यह कनाडा में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें झेलने वाला प्रांत है, जहां हाल ही में संक्रमण के मामले फिर तेजी से बढ़ रहे हैं. मंगलवार को इसी एलान के साथ कनाडा वैक्सीन न लगवाने पर आर्थिक दंड देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है.

वीएस/आईबी (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)

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