ये तीन शहर हैं यूरोप की सांस्कृतिक राजधानियां
यूरोप के जिक्र से प्राग, बर्लिन, पेरिस, वेनिस, विएना जैसे कुछ चर्चित नाम दिमाग में कौंध जाते हैं. लेकिन यूरोप की संस्कृति और खूबसूरती बस कुछ लोकप्रिय शहरों तक सीमित नहीं है. 'यूरोपियन कैपिटल ऑफ कल्चर' यही याद दिलाता है.
हॉट स्पॉट्स तक क्यों सीमित रहना
यूरोप, घुमक्कड़ी के सबसे लोकप्रिय ठिकानों में से है. यहां घूमना कई लोगों की "बकेट लिस्ट" में होता है. लेकिन यूरोप के जिक्र से अक्सर बहुत सीमित जगहें ही ध्यान आती हैं और नतीजतन, ओवरटूरिज्म के शिकार कुछ शहर हमेशा सैलानियों से भरे रहते हैं.
भूगोल और संस्कृति में काफी विविधता
लेकिन यूरोप कोई नन्ही सी जगह तो है नहीं, भरा-पूरा महादेश है. आर्कटिक में बसे शहर भी हैं और भूमध्यसागरीय देश भी. रोम और फ्लोरेंस जैसे आर्किटेक्चर के खजाने हैं. पेरिस और बर्लिन जैसे शहर हैं, जहां इतने म्यूजियम हैं कि उन्हें देखने-समझने में कई दिन लग जाएं. काफी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है यूरोप की. तस्वीर: ढलती शाम में प्राग का मशहूर चार्ल्स ब्रिज.
यूरोप की सांस्कृतिक संपदा
यूरोपियन कैपिटल्स ऑफ कल्चर, इसी सांस्कृतिक धरोहर को रेखांकित करने की एक व्यवस्था है. यूरोपीय संघ ने 1985 में यह अभियान शुरू किया. इसमें यूरोप की सांस्कृतिक संपदा सामने लाने के लिए हर साल कुछ शहर चुने जाते हैं और उन्हें "यूरोपियन कैपिटल्स ऑफ कल्चर" का खिताब दिया जाता है. अब तक 60 से ज्यादा शहरों को इस श्रेणी में चुना जा चुका है.
पर्यटकों को आकर्षित करने की उम्मीद
चुने गए शहरों के लिए यह अपनी कला और संस्कृति को ज्यादा मुखरता से सामने रखने का मौका है. इसके लिए सालभर खास कार्यक्रम होते हैं. उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिससे सैलानी आकर्षित हों. पर्यटन से होने वाली आय सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने के लिए जरूरी फंड मुहैया करा सकती हैं. तस्वीर: ऑस्ट्रिया के हालश्टाट में सेल्फी लेते पर्यटक.
टार्टू: एस्टोनिया की रूह
2024 में जिन शहरों को यह खिताब मिला है, उनमें से एक है टार्टू. करीब एक लाख की आबादी वाला टार्टू, उत्तरी यूरोपीय देश एस्टोनिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. आर्थिक तौर पर भले ही राजधानी तालिन आगे हो, लेकिन टार्टू विज्ञान, शिक्षा और संस्कृति का केंद्र माना जाता है. इसे एस्टोनिया की बौद्धिक धरोहर माना जाता है.
पूरे साल खास कार्यक्रम होंगे
1632 में शुरू हुई यूनिवर्सिटी ऑफ टार्टू, देश की नेशनल यूनिवर्सिटी है. साहित्य, कला और थिएटर में भी टार्टू काफी संपन्न है. कल्चरल कैपिटल से जुड़े आयोजन भी युवाओं के इर्दगिर्द होंगे.
किसिंग टार्टू
इनमें खास आकर्षण है 'किसिंग टार्टू,' जो कि चूमने का सामूहिक कार्यक्रम होगा. इसके अलावा "नेकेड ट्रूथ" नाम का एक उत्सव भी होना है. इसमें साउना, यानी गरम भाप में नहाते हुए परिचर्चा की जाएगी.
सफेद सोना
झील, पहाड़ और बेइंतहा खूबसूरती. संक्षेप में कहें, तो ऑस्ट्रिया का साल्त्सकामेरगूट इलाका बहुत हसीन है. यहां की एक और संपदा है "सफेद सोना," यानी नमक. 7,000 साल से भी ज्यादा वक्त से यहां नमक का खनन होता आया है. इसकी पहचान, तरक्की सबका नाता नमक से है. साल्त्सकामेरगूट का ही एक छोटा सा स्पा टाउन है, बाड इशेल. इसे भी 2024 में कल्चरल कैपिटल का खिताब मिला है.
नाजियों ने लूटी कलाकृतियां छिपाई थीं
बाड इशेल की आबादी है करीब 14 हजार. आसपास की कुछ और छोटी-छोटी बसाहटें भी बाड इशेल को मिले यूरोपियन कल्चरल कैपिटल की उपाधि में शामिल हैं. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाजियों ने लूटी हुई कलाकृतियों को बाड इशेल की एक पहाड़ी सुरंग में छिपाया था. कल्चरल कैपिटल के तहत इन कलाकृतियों पर एक प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी. तस्वीर: साल्त्सकामेरगूट में नमक की एक खदान.
नॉर्वे का बोडो
नॉर्वे की पश्चिमी तटरेखा के पास बसा बोडो, आर्कटिक सर्कल के उत्तर की ओर से चुना गया पहला यूरोपियन कल्चरल कैपिटल है. दुनिया के सबसे आकर्षक और सुंदर द्वीपों में गिने जाने वाले नॉर्वे के मशहूर लोफोटन आइलैंड्स जाने के क्रम में सैलानी अक्सर बोडो में रुकते हैं. तस्वीर: लोफोटन आइलैंड्स के आसमान में नॉदर्न लाइट्स
कुदरती खूबसूरती के अलावा भी बहुत कुछ
बोडो में कल्चरल कैपिटल से जुड़े कार्यक्रमों का मुख्य जोर इस बात पर होगा कि इस इलाके में बस आर्कटिक की अनूठी प्रकृति ही आकर्षक नहीं है, बल्कि यहां की संस्कृति भी बहुत संपन्न है. इसीलिए कार्यक्रमों में तटीय संस्कृति पर जोर दिया जाएगा.
टिकाऊ जीवनशैली
उत्तरी स्कैंडिनेविया के मूलनिवासी सामी समुदाय पर भी फोकस होगा. बोडो का मकसद खुद को सबसे सस्टेनेबल यूरोपियन कैपिटल ऑफ कल्चर के तौर पर पेश करना है. इसी क्रम में "प्योर म्यूजिक" नाम का एक कार्यक्रम होना है, जिसे आयोजक दुनिया का सबसे सस्टेनेबल कॉन्सर्ट बता रहे हैं.