माइनस 40 डिग्री तापमान झेल रहे हैं यूरोप के लोग
यूरोप चरम मौसम से जूझ रहा है. कहीं मूसलाधार बारिश हो रही है, कहीं बाढ़ आई है, कहीं बर्फीली हवा, तूफान और प्रचंड सर्दी से बुरा हाल है. नॉर्डिक क्षेत्र में तापमान माइनस 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे लुढ़क गया है.
माइनस 40 डिग्री पर पहुंचा तापमान
4 जनवरी का दिन यूरोप के कई हिस्सों के लिए इस मौसम का सबसे ठंडा दिन रहा. नॉर्डिक देशों, बाल्टिक्स और रूस में सबसे कम तापमान दर्ज किया गया. स्वीडन, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड और नॉर्वे में लगातार दूसरे दिन तापमान माइनस 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिरा. तस्वीर: नॉर्वे में बर्फीले तूफान के बीच सड़क पर जाती महिला.
स्वीडन में रिकॉर्ड ठंड
स्वीडन के आर्कटिक क्षेत्र लैपलैंड में तापमान गिरकर माइनस 43.6 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया. स्वीडिश समाचार एजेंसी टीटी के मुताबिक, यह पिछले 25 साल में जनवरी महीने में सबसे ज्यादा ठंड का रिकॉर्ड है. चरम ठंड, बर्फबारी और तेज हवाओं के कारण पूरे नॉर्डिक क्षेत्र में जनजीवन प्रभावित हुआ है.
स्कूल बंद कर दिए गए
कई जगहों पर पुल बंद किए गए हैं और रेल-नाव सेवाएं भी रोकनी पड़ी हैं. स्कैंडिनेवियाई देशों में कई स्कूल बंद कर दिए गए हैं. डेनमार्क पुलिस ने कार चालकों से अपील की है कि बहुत जरूरी ना हो, तो बाहर ना निकलें. तस्वीर: बर्फ से ढका उत्तरी स्वीडन का एक गांव.
रूस में भी चेतावनी जारी
साइबेरिया और आर्कटिक से आ रही ठंडी हवाओं के चलते रूस के पश्चिमी हिस्से में भी बेहद ठंड पड़ रही है. मॉस्को समेत कुछ अन्य इलाकों में तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है. शुरुआती जनवरी के औसत तापमान के मुकाबले यह काफी कम है. मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में प्रशासन ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है.
इंग्लैंड में तूफान से आफत
इंग्लैंड और वेल्स के बड़े हिस्से में हेंक तूफान के कारण भारी बारिश हुई. तेज हवा के कारण कई पेड़ उखड़ गए, कई जगह सड़कें बंद हो गईं और हजारों घरों की बिजली चली गई. कई जगहों पर बाढ़ की चेतावनी जारी की गई है. दक्षिणी इंग्लैंड में बारिश के कारण येलो वॉर्निंग जारी की गई है.
फ्रांस में बाढ़, पड़ोसी देशों ने भेजी मदद
फ्रांस में भी पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश जारी है. स्थानीय प्रशासन ने 200 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया है. पानी में डूबे घरों से लोगों को निकालने के लिए सैकड़ों आपातकालीन कर्मियों को काम पर लगाया गया है. मदद के लिए चेक रिपब्लिक, स्लोवाकिया और नीदरलैंड्स से भी बचावकर्मी और उपकरण भेजे गए हैं.
जर्मनी में बाढ़
जर्मनी के भी कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. लोअर सेक्सनी का इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित है. यहां बाढ़ पर काबू पाने में इस्तेमाल होने वाली रेत की बोरियां तक कम पड़ गई हैं. बचावकर्मी प्लास्टिक पैनलों की आड़ बनाकर पानी रोकने की कोशिश कर रहे हैं. आपातकालीन सेवाओं के अलावा जर्मन आर्म्ड फोर्सेज और अन्य सहायता संगठनों के लोगों की भी मदद ली जा रही है.