यूक्रेन के लिए लड़ने पहुंच रहे विदेशी लड़ाके
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस के हमले के बाद ही विदेशी लड़ाकों से यूक्रेनी सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने की सार्वजनिक अपील की थी. अब कई लड़ाके और वॉलिंटियर यूक्रेन पहुंच रहे हैं.
हर मोर्चे पर यूक्रेन के साथ
राष्ट्रपति जेलेंस्की की अपील के बाद अब तक यूक्रेन में 16 हजार से अधिक वॉलंटियर पहुंच चुके हैं. कुछ युद्ध लड़ने के लिए पहुंचे हैं तो माइकेल फेर्कोल जैसे लोग रोम से पढ़ाई छोड़ कर यूक्रेन के पश्चिमी क्षेत्र लवीव में नर्स के रूप में सेवा देना चाहते हैं.
बिना उकसावे वाली लड़ाई का जवाब
यूक्रेन पहुंचने वाले कुछ विदेशी लड़ाकों का कहना है कि वे बिना कारण वाले हमले को रोकने के लिए आकर्षित हुए हैं. वे कहते हैं कि यह लड़ाई लोकतंत्र और तानाशाही के बीच है. उनमें से कई ऐसे लड़ाके हैं जो इराक और अफगानिस्तान में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
संघर्ष में साथ
ब्रिटेन से आया यह युवक अपना नाम नहीं बताना चाहता है. वह अन्य लोगों के साथ पूर्वी यूक्रेन की ओर जाना चाहता है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने 20 विदेशी लड़ाकों या इसमें शामिल अन्य लोगों का इंटरव्यू लिया. उनका कहना है कि यूक्रेन संघर्ष कर रहा है और वे उसके साथ हैं.
अनुभवहीन भी कूदे मैदान में
युद्ध लड़ने वाले कई दिग्गज सैनिकों के अलावा यूक्रेन ऐसे भी लोग पहुंच रहे हैं जिनके पास युद्ध का कम या बिलकुल भी अनुभव नहीं है. इस तरह के युद्ध में अनुभवहीन लोग बहुत कम ही योगदान का मौका पा सकते हैं.
ट्रेनिंग भी जरूरी
लवीव में एक वरिष्ठ यूक्रेनी अधिकारी ने बताया कि विदेशी लड़ाकों को प्रशिक्षित करने और तैनात करने की प्रणाली अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है. उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया आने वाले दिनों में और आसान हो जाएगी.
सोशल मीडिया से अभियान
कुछ दिग्गज सैनिक सोशल मीडिया मंच फेसबुक और व्हॉट्सऐप समूहों के जरिए बंदूक, बॉडी आर्मर और नाइट-विजन गॉगल्स के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं. वे इन समूहों के जरिए यूक्रेनी लोगों को आधुनिक हथियारों की ट्रेनिंग देंगे. एए/सीके (रॉयटर्स)