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नहीं बिकी वाइन के इस्तेमाल के लिए ₹1400 करोड़ देगा फ्रांस

७ फ़रवरी २०२३

फ्रांस सरकार बची हुई वाइन से अल्कोहल बनाना चाह रही है. इसके लिए सब्सिडी की घोषणा की गई है. इस वाइन से बने हुए अल्कोहल को डिसइंफेक्शन लिक्विड, परफ्यूम और बायोएथेनॉल आदि बनाने में इस्तेमाल किया जाता है.

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Japan | BG Hakone Kowakien Yunessun Weinbad
तस्वीर: Tom Bateman/REUTERS

फ्रांस में एक बड़ी मुश्किल हो गई है. वाइन नहीं बिक रही. इसलिए वाइन से ज्यादा प्रतिशत वाला अल्कोहल बनाया जा रहा है. इसके लिए फ्रांस की सरकार और यूरोपीय संघ 1400 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रहे हैं.

वाइन की बोतलों की बिक्री नहीं हुई तो बाजार से अतिरिक्त वाइन को फ्रांस की सरकार ने डिस्टिलेशन प्रोग्राम के लिए बाजार से हटा लिया है. इस तरह बनाए गए अल्कोहल का इस्तेमाल डिसइंफेक्शन लिक्विड, परफ्यूम या बायोएथेनॉल बनाने के लिए होता है.

कम उत्पादन के लिए मांग रहे सब्सिडी

वाइन की बिक्री न हो पाने की समस्या खास तौर पर फ्रांस के प्रसिद्ध वाइन इलाके बॉर्दो में है, जहां के किसान पिछले वर्षों में संरचनात्मक अति उत्पादन की शिकायत करते रहे हैं. पिछले सालों में अंगूर और वाइन के उत्पादन में आधुनिक तकनीकी और उन्नत मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसकी वजह से उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है. इलाके में अंगूर के उत्पादन में कमी लाने के लिए अब किसान सरकार से अंगूर की खेती रोकने के लिए सब्सिडी की मांग कर रहे हैं.

अब कृषि मंत्रालय ने इलाके के लिए सरकारी सहायता की घोषणा की है. इस सहायता का असर वाइन उत्पादन के लिए फ्रांस के दो और प्रसिद्ध इलाकों लांगुडॉक और रोएनथाल पर भी होगा. सरकारी मदद की घोषणा करते हुए कृषि मंत्रालय ने कहा है कि किसानों को खुद को जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे बदलाव के अनुरूप ढालना होगा.

ग्राहकों का बदलता टेस्ट

बदलते मौसम के कारण देश के अंदर और विदेशों में लोगों के वाइन पीने के व्यवहार में बदलाव आ रहा है. इसकी वजह से फ्रांस के प्रसिद्ध वाइन की बिक्री लगातार घट रही है. फ्रेंच सरकार ने कहा है कि वह बदलावों का सामना करने की रणनीति बनाने में किसानों की मदद करेगी. 2020 में फ्रांस में अंगूर के 59,000 बागान थे.

एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 में फ्रांस के किसानों ने 4.9 करोड़ हेक्टोलीटर वाइन का उत्पादन किया था जो करीब 6 अरब बोतलों के बराबर है. नए डिस्टिलेशन प्रोग्राम के तहत इस साल बाजार से 25 लाख हेक्टोलीटर रेड वाइन को हटा लिया गया है. इसमें हर क्वालिटी की वाइन शामिल है. वाइन की बिक्री में हो रही समस्या की वजह किसान ये बता रहे हैं कि फ्रांस के लोगों ने वाइन पीना कम कर दिया है.

यूक्रेन युद्ध के बाद आई भारी मंहगाई को भी वाइन की बिक्री गिरने का कारण बताया जा रहा है. 2022 में जून के बाद से मुद्रास्फीति की दर 6 प्रतिशत के करीब रही है. सुपर मार्केट में होने वाली वाइन की बिक्री में 15 प्रतिशत की कमी आई है. फ्रांस की वाइन के बड़े खरीदारों में चीन और अमेरिका भी था. दोनों ही देश बॉर्दो के इलाके की बहुत सारी वाइन खरीद लेते थे. लेकिन कोरोना के दौरान वहीं भी वाइन की खरीद में भारी कमी हुई है, जिसका असर फ्रांसीसी वाइन के निर्यात पर पड़ा.

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समस्या कोई नई नहीं

ऐसा नहीं है कि फ्रांस में वाइन की बिक्री कम होने की वजह से बाजार में बिन बिकी वाइन बचने की समस्या हुई हो. 2020 में भी फ्रांस ने बची हुए वाइन के डेस्टिलेशन प्रोग्राम पर 14 करोड़ यूरो खर्च किये थे. उस समय फ्रांसीसी सरकार ने प्रति हेक्टोलीटर 70 यूरो की सब्सिडी दी थी. इस साल वाइन खरीदने के लिए 16 करोड़ यूरो की सब्सिडी दी जा रही है.

फ्रांस की वाइन को इटली, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, अर्जेंटीना, चिली और ऑस्ट्रेलिया की वाइन से कड़ी प्रतिस्पर्धा का भी सामना करना पड़ रहा है. इलाके के कुछ वाइन निर्माताओं ने इस प्रतिस्पर्धा का मुकाबला सस्ती वाइन बेचकर करने की कोशिश की लेकिन क्वालिटी वाइन के चक्कर में ग्राहक सस्ती वाइन नहीं खरीद रहे हैं.

पिछले हफ्ते बॉर्दो के वाइन किसानों ने सरकारी मदद की मांग करते हुए प्रदर्शन किया था. वे न सिर्फ अपनी बची हुए वाइन को अल्कोहल बनाने की मांग कर रहे थे बल्कि अंगूर की खेती कम करने के लिए भी सरकारी हर्जाना मांग रहे थे. फ्रांस में एक कानून के तहत 2006 से किसानों को खेतों में अंगूर के पौधे लगाने पड़ते हैं, चाहे उनकी वाइन बिके या नहीं. इस बीच बॉर्दो के अंगूर के खेतों का दस प्रतिशत कम किए जाने का खतरा भी है.

DW Mitarbeiterportrait | Mahesh Jha
महेश झा सीनियर एडिटर