1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
राजनीतिफ्रांस

फ्रांस: महंगाई कम करने से नाराज किसान कर रहे हैं चक्का जाम

२४ जनवरी २०२४

फ्रांस में दो हफ्ते से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों ने कई जगहों पर सड़कें बंद कर दी हैं. सरकार का महंगाई घटाने पर जोर किसानों के नाराज होने की सबसे बड़ी वजह है.

https://p.dw.com/p/4bd7x
इस हादसे में एक महिला और उनकी किशोर उम्र की बेटी की मौत हो गई.
23 जनवरी को किसानों के रोड ब्लॉक के दौरान एक कार, ट्रैक्टर से टकरा गई. इस हादसे में दो लोग मारे गए. हादसे पर दुख जताते हुए प्रधानमंत्री अतल ने कहा कि फ्रांस का समूचा ग्रामीण हिस्सा घटना के कारण तकलीफ महसूस कर रहा है. वहीं कृषि मंत्री, यूरोपीय संघ की एक बैठक का अपना कार्यक्रम रद्द कर घटनास्थल पर पहुंचे. तस्वीर: Valentine Chapuis/AFP/Getty Images

पिछले दिनों जर्मनी में किसानों ने बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया. इसका असर छनते हुए पड़ोसी देश फ्रांस में भी पहुंच गया है. वहां किसानों के विरोध प्रदर्शन का यह लगातार दूसरा हफ्ता है. संकेत मिल रहे हैं कि किसान अपने प्रदर्शन का दायरा भी बढ़ा रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों ने फ्रांस में कई जगहों पर रास्ते अवरुद्ध कर दिए हैं. 23 जनवरी को दक्षिण-पश्चिम फ्रांस में ऐसे ही एक सड़क जाम के दौरान एक कार, ट्रैक्टर से टकरा गई. इस हादसे में दो लोग मारे गए.

इससे पहले हफ्ते की शुरुआत में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री गैब्रिएल अताल से मिलकर उन्हें अपने मसले बताए थे. लेकिन बातचीत का कोई सकारात्मक हासिल नहीं रहा. प्रधानमंत्री से मुलाकात के कुछ ही घंटे बाद सड़क बाधित करने वाले ट्रैक्टरों की संख्या और बढ़ गई. किसानों ने कहा है कि जब तक प्रधानमंत्री ठोस घोषणा नहीं करते, वो रोड ब्लॉक खत्म नहीं करेंगे. किसान मुख्य तौर पर खाद्य सामग्रियों की कम कीमत, किसानों पर बढ़ती लागत के बोझ, ईंधन की बढ़ती कीमतें और पर्यावरण सुरक्षा से जुड़े नियमों के कारण हो रही दिक्कतों का मुद्दा उठा रहे हैं.

फ्रांस, यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश है.
यूरोपीय संघ में फ्रांस सबसे बड़ा कृषि उत्पादक है. किसानों की नाराजगी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और प्रधानमंत्री गैब्रिएल अताल के लिए चुनौती खड़ी कर सकती है.तस्वीर: Pascal Rossignol/REUTERS

क्या हैं दिक्कतें

फार्मिंग लॉबी कीमतों को अपनी सबसे बड़ी वरीयता बता रही है. माक्रों सरकार महंगाई के खिलाफ नीति को अपनी सफलताओं में गिनाती है. खाद्य क्षेत्र पर सरकार का दबाव है कि बाजार में खाने-पीने की चीजें सस्ती हों. वहीं किसानों का कहना है कि महंगाई घटाने की कोशिश में उनकी आमदनी घट रही है और वे आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं. थोमास वाएत्स, यूरोपीय संसद में ऑस्ट्रिया से सांसद हैं. वह ग्रीन पार्टी के नेता हैं और खुद भी खेती  और मधुमक्खी पालन करते हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "सच्चाई यह है कि ज्यादातर किसान अपनी उगाई हुई चीजें बेचकर गुजर-बसर नहीं कर सकते हैं."

अपनी मांगों के समर्थन में किसान प्रदर्शन का स्तर और बढ़ा सकते हैं. एफएनएसईए, फ्रांस में किसानों की एक ताकतवर यूनियन है. इसके प्रमुख अरनो रूसो ने फ्रांस24 से बातचीत में कहा कि प्रदर्शन के क्रम में राजधानी पेरिस को निशाना बनाए जाने का विकल्प खारिज नहीं किया जा सकता है. थोमास बोने, दक्षिण-पश्चिमी फ्रांस के एक युवा किसान संगठन के प्रमुख हैं. उन्होंने रॉयटर्स से कहा, "बहुत सारे नियम-कानून हैं. हम अपने कुछ पड़ोसी देशों के किसानों की तरह काम करना चाहते हैं. फसल उगाना चाहते हैं, अपना काम करना चाहते हैं."

डेयरी उद्योग, सांकेतिक तस्वीर
डेयरी किसानों का कहना है कि महंगाई काबू करने पर सरकार का जोर है, जिससे उन्हें घाटा हो रहा है. तस्वीर: Jelena Djukic Pejic/DW

फ्रांस में खेती-किसानी

फ्रांस में कृषि नीति हमेशा से ही एक संवेदनशील मुद्दा रही है. यूरोपीय संघ में फ्रांस सबसे बड़ा कृषि उत्पादक है. इसमें सिर्फ खेती नहीं, बल्कि डेयरी, मीट और वाइन उत्पादन भी शामिल है. सबसे ज्यादा नाराजगी डेयरी सेक्टर में है. डेयरी किसानों का कहना है कि महंगाई काबू करने पर सरकार का जोर है, जिससे उन्हें घाटा हो रहा है. किसानों के मुताबिक, खाद्य सामग्रियां सस्ती करने की कोशिश में कीमतों पर सुरक्षा देने वाला ईजीएएलआईएम कानून कमजोर हो रहा है. डेयरी उत्पादों की कीमत पर उत्पादकों और फ्रेंच मल्टीनेशनल कंपनी लेक्टलिस के बीच असहमतियां हैं. लेक्टलिस दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी ग्रुप है.

फ्रांस में किसान प्रदर्शनों के दौरान हो-हंगामे का भी अतीत रहा है. जून 2024 में यूरोपीय संसद का चुनाव होना है. ऐसे में किसानों की नाराजगी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और प्रधानमंत्री गैब्रिएल अताल के लिए चुनौती खड़ी कर सकती है. धुर दक्षिणपंथ की ओर किसानों का बढ़ता झुकाव भी माक्रों सरकार के लिए बड़ी चिंता है.

मुसीबत में स्पेन के संतरा किसान

कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि किसानों की नाराजगी से मरीन ला पेन की दक्षिणपंथी पार्टी "नेशनल रैली" को फायदा हो सकता है. माक्रों भी यह बात समझ रहे हैं और किसानों के साथ गतिरोध खत्म करने की कोशिश करते दिख रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "हमारे किसानों के लिए संदेश: मैंने सरकार से कहा है कि वो तेजी से आपकी दिक्कतों का ठोस समाधान लाए."

एसएम/एसबी (रॉयटर्स, एएफपी)