लैंगिक बराबरी के लिए इस शहर ने अपनाया जनाना नाम
५ जनवरी २०२३पेरिस के करीब स्थित शहर 'पौंतां' के महापौर बर्ट्रांड कर्न ने घोषणा की है कि लैंगिक बराबरी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इस साल के लिए उनके शहर के नाम में एक 'ई' जोड़ कर उसे जनाना नाम दिया जाएगा.
फ्रेंच भाषा में अक्सर संज्ञा के अंत में 'ई' लगा कर उसे स्त्रीलिंग रूप दिया जा सकता है. महापौर कर्न ने कहा कि ऐसा करने का उद्देश्य है "महिलाओं और पुरुषों के बीच बराबरी" को और "महिलाओं के खिलाफ हिंसा" को खत्म करने के संघर्ष को रेखांकित करना.
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह कदम "महिलाओं और पुरुषों के बीच बराबरी के लिए लोगों को जगाएगा क्योंकि हाल के सालों में आए कई सुधारों के बावजूद अभी भी स्थिति आदर्श नहीं हुई है."
मजाक या स्वागत योग्य?
कर्न ने बताया कि महिलाओं को अभी भी "पुरुषों जितना वेतन नहीं मिलता है" और सार्वजनिक स्तर पर महिलाओं के स्थान को "पुरुष हमेशा अच्छे से स्वीकार नहीं करते हैं." हालांकि यह कदम मुख्य रूप से प्रतीकात्मक लग रहा है.
महापौर के दफ्तर ने बताया कि शहर के बाहर लगे सड़क चिह्नों को बदला नहीं जाएगा और ना ही नगरपालिका के आधिकारिक संचार में कोई बदलाव किए जाएंगे. शहर के ट्विटर अकाउंट पर भी अभी नाम बदला नहीं गया है, हालांकि बैकग्राउंड बैनर पर नाम बदले जाने की जानकारी दे दी गई है.
इस घोषणा को सोशल मीडिया पर मिली जुली प्रतिक्रिया मिली है. कुछ लोग इसका मजाक उड़ा रहे हैं और फ्रांस में दूसरे स्थानों के अभद्र जनाना नाम सुझा रहे हैं. लेकिन कुछ लोगों ने इसका लैंगिक भेदभाव पर बहस को फिर से शुरू करने के लिए किए गए एक मीडिया स्टंट के रूप में स्वागत भी किया है.
कितनी लैंगिक बराबरी है फ्रांस में
2022 में विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक जेंडर गैप में फ्रांस को 15वां स्थान मिला था. 61 साल की इंजीनियर एलिजाबेथ बोर्न को पिछले साल ही देश की प्रधानमंत्री घोषित किया गया था. वह फ्रांस की प्रधानमंत्री बनने वाली दूसरी महिला हैं.
लेकिन फ्रांस की राजनीति पर हाल के सालों में यौन उत्पीड़न और यौन हमलों के आरोप छाए रहे हैं. ताजा मामलों में से एक में धुर वामपंथी पार्टी के एक जाने माने युवा नेता आद्रियें कतानों को पिछले महीने अपनी पत्नी को थप्पड़ मारने के लिए चार महीने कारावास की सस्पेंडेड सजा सुनाई गई थी.
2016 से अभी तक राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों की सरकारों के तीन मंत्रियों पर बलात्कार के आरोप लगे हैं. इनमें से एक को जुलाई में बर्खास्त कर दिया गया था. तीनों ने आरोपों से इनकार किया है. इसके अलावा देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले भी सुर्खियों में रहते हैं.
महिलावादी संगठन 'नू तूते' के मुताबिक पिछले साल देश में फेमिसाइड के 145 मामले सामने आए. किसी महिला के लिंग के आधार पर की गई उसकी हत्या को फेमिसाइड माना जाता है.
सीके/एए (एएफपी)