एक गांव जहां के लोगों का कोई देश नहीं
गाम्बिया के एक गांव के लोग दशकों से नागरिकता पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. बिना कानूनी पहचान के, वे बुनियादी सुविधाओं और बेहतर जीवन के अवसरों से वंचित हैं.
बिना देश के लोगों का गांव
गांबिया के घाना टाउन में करीब 2,000 लोग रहते हैं, जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं हैं. उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं, सरकारी नौकरी और दूसरी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलतीं.
घाना टाउन की शुरुआत
यह गांव 1950 के दशक में घाना के मछुआरों ने बेहतर मछली पकड़ने और बाजार की तलाश में बसाया था. ये लोग घाना से आकर यहां बस गए थे.
गांबिया की नागरिकता के नियम
गांबिया में, वहां पैदा हुए व्यक्ति को तभी नागरिकता मिलती है जब उसके माता-पिता में से कोई एक गांबियन हो. इससे घाना टाउन के कई लोग नागरिकता के दायरे से बाहर हो जाते हैं.
क्या कहता है यूएन
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) के मुताबिक, घाना टाउन के लोग "नागरिकता रहित होने के जोखिम" के साथ जी रहे हैं. बिना दस्तावेज के उन्हें किसी भी देश से जोड़ना मुश्किल है.
अफ्रीका में नागरिकता रहित लोग
2024 में यूएनएचसीआर ने अफ्रीका में करीब 10 लाख लोगों को नागरिकता रहित बताया. इनमें से 9.3 लाख लोग पश्चिम अफ्रीका में हैं. ये लोग भेदभाव और शोषण का शिकार हो सकते हैं.
नागरिकता जांच अभियान
नवंबर 2024 में यूएनएचसीआर और गांबिया कमीशन फॉर रिफ्यूजीज़ ने घाना टाउन के लोगों के नागरिकता के लिए पात्र होने की जांच की. नतीजे सांसदों को भेजे जाएंगे.
आर्थिक परेशानियां
बिना दस्तावेज के लोगों को नौकरी नहीं मिलती. जैसे, 44 वर्षीय मैरी एनी को हाई स्कूल की डिग्री होने के बावजूद हेयरड्रेसर का काम करना पड़ता है. वहीं, 20 वर्षीय गिडियन मनी को कानूनी पहचान न होने की वजह से भारत में मेडिकल की स्कॉलरशिप छोड़नी पड़ी.
अतिरिक्त वित्तीय बोझ
घाना टाउन के लोगों को हर साल "एलियन परमिट" के लिए 2,500 दलासी (करीब 35 डॉलर) चुकाने पड़ते हैं. स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी गांबियन नागरिकों से ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं.
पीढ़ियों की परेशानी
गांबिया में पैदा हुए बच्चों को भी दस्तावेज नहीं मिलते. मैरी एनी के छह बच्चे भी कानूनी पहचान से वंचित हैं, जिससे उनका भविष्य प्रभावित हो रहा है. स्थानीय लोग कहते हैं कि उन्हें आज भी विदेशी माना जाता है. वीके/सीके (एएफपी)