1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जर्मन चांसलर विश्वास मत हारे, चुनाव का रास्ता साफ

१६ दिसम्बर २०२४

जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स उम्मीद के मुताबिक विश्वास मत हार गए हैं. इसके साथ ही देश में 23 फरवरी को मध्यावधि चुनाव का रास्ता साफ हो गया है.

https://p.dw.com/p/4oDM4
संसद में विश्वास मत पर चर्चा में हिस्सा लेते चांसलर ओलाफ शॉल्त्स
चांंसलर शॉल्त्स के पक्ष में केवल 207 वोट पड़े जबकि विपक्ष 394तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS

संसद में मतदान के नतीजे आने के तुरंत बाद ही चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर से संसद को भंग करने और नया चुनाव कराने का अनुरोध कर दिया है. समाचार एजेंसी डीपीए ने सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर यह खबर दी है. राष्ट्रपति श्टाइनमायर के पास शॉल्त्स के अनुरोध पर जवाब देने के लिए 21 दिन का समय है, जबकि 60 दिनों के भीतर चुनाव कराना जरूरी है. अगर उम्मीद के मुताबिक 23 फरवरी को यह चुनाव होते हैं तो यह नियत समय से सात महीने पहले होंगे.  

एसपीडी नेता ओलाफ शॉल्त्स के नेतृत्व में तीन पार्टियों की गठबंधन सरकार ने 2021 में देश की सत्ता संभाली थी. विश्वास मत से पहले गठबंधन में आर्थिक नीतियों, और 2025 के बजट को लेकर काफी घमासान मचा रहा. खासतौर से कारोबार समर्थक फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी के साथ. चांसलर शॉल्त्स ने वित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनर को बर्खास्त कर दिया. इसके तुरंत बाद एफडीपी ने गठबंधन से नाता तोड़ लिया.

उम्मीद के अनुरूप वोटिंग के नतीजे

वोटिंग के वक्त 717 सांसद सदन में मौजूद थे. इनमें 394 सांसदों ने शॉल्त्स के खिलाफ वोट दिया. शॉल्त्स की हार के लिए कम से कम 367 वोटों की जरूरत थी. शॉल्त्स के पक्ष में 207 वोट पड़े जबकि 117 सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. एसपीडी के सभी सांसदों और एएफडी के 3 सांसदों ने शॉल्त्स को वोट दिया है. सोमवार को जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने संसद के पटल पर विश्वास मत का प्रस्ताव रखते वक्त यह उम्मीद जताई कि यह जर्मनी के "राजनीति की दिशा तय करेगा."

राष्ट्रपति के पास संसद भंग करने और नया चुनाव कराने के लिए अनुरोध करने जाते चांसलर शॉल्त्स
चांसलर शॉल्त्स उम्मीद के मुताबिक विश्वास मत हार गए हैंतस्वीर: Annegret Hilse/REUTERS

सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) के नेता शॉल्त्स ने संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग में वोटिंग के लिए पिछले हफ्ते यह प्रस्ताव रखा था. यह प्रस्ताव वास्तव में 23 फरवरी 2025 को मध्यावधि चुनाव कराने की दिशा में पहला आधिकारिक कदम कहा गया था.

नवंबर में टूटने की वजह से उनकी मध्य वामपंथी सरकार गठबंधन अल्पमत में आ गई. उन्हें यकीन था कि उनकी सरकार के लिए समर्थन वापस ले लिया जाएगा क्योंकि अब उनके पास बहुमत नहीं है. 2025 के संघीय बजट को लेकर कई महीनों से विवाद बना हुआ था. आखिर नवंबर में शॉल्त्स ने वित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनर को बर्खास्त कर दिया. इसके बाद लिंडनर की कारोबार समर्थक फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी (एफडीपी) सत्ताधारी गठबंधन से बाहर निकल गई. इसके चलते एसपीडी और ग्रीन पार्टी की सरकार अल्पमत में आ गई.

जर्मन राजनीति की दिशा

सोमवार को दोपहर बाद सदन को संबोधित करते हुए शॉल्त्स ने विश्वास मत के अपने फैसले को उचित ठहराया. उन्होंने कहा कि जर्मनी के सामने फिलहाल कई अहम राजनीतिक मुद्दे हैं. इनमें बीमार अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए लंबे समय से जरूरी निवेश का भी एक मामला है. शॉल्त्स ने सांसदों से कहा, "यह फैसला इतना बुनियादी है कि इसे मतदाताओं को खुद तय करना चाहिए." शॉल्त्स ने यह भी कहा, "समय से पहले चुनाव नागरिकों को राजनीति की दिशा तय करने का मौका देंगे."

विश्वास मत पेश करने के दौरान शॉल्त्स ने रक्षा, व्यापार और समाज कल्याण के क्षेत्र में भारी खर्च की योजना का खाका खींचा. हालांकि इस दौरान विपक्षी नेता फ्रीडरिष मैर्त्स ने उनसे पूछा कि उन्होंने यह कदम पहले क्यों नहीं उठाए. मैर्त्स ने कहा, "क्या आप किसी और ग्रह पर थे?"

शॉल्त्स ने दलील दी कि उनकी सरकार ने पिछले तीन सालों में बड़ी प्रगति की, इनमें जर्मन सेना के लिए खर्च में भारी बढ़ोतरी भी शामिल है. शॉल्त्स ने आरोप लगाया कि सीडीयू के नेतृत्व वाली सरकारों ने सेना को, "बुरे हाल में" छोड़ दिया था. शॉल्त्स ने कहा, "जर्मनी में ताकत के साथ और निर्णायक तरीके से निवेश करने का अहम समय है." शॉल्त्स ने यूक्रेन में रूसी जंग का जिक्र करते हुए चेतावनी दी, "भारी परमाणु ताकत से लैस देश यूरोप में यहां से महज दो घंटे की दूरी पर जंग छेड़ रहा है."

हालांकि मैर्त्स ने शॉल्त्स की आलोचना में कहा कि वह देश को, "युद्ध के बाद के सबसे बड़े आर्थिक संकट में छोड़ कर जा रहे हैं." मैर्त्स ने कहा, "आपके पास मौका था लेकिन आपने इस्तेमाल नहीं किया. श्रीमान शॉल्त्स आप सदन के विश्वास लायक नहीं हैं."

एनआर/आरपी (डीपीए, एएफपी)