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शार्क के 90 लाख साल पुराने पूर्वज का जीवाश्म मिला

२३ जनवरी २०२५

पेरू में ग्रेट व्हाइट शार्क के एक पूर्वज के 90 लाख साल पुराने जीवाश्म मिले हैं. वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया है कि इस प्रजाति के वयस्क करीब सात मीटर तक लंबे हो सकते थे.

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जीवाश्म का एक हिस्सा
यह जीवाश्म इतना मुकम्मल है कि इसे असाधारण बताया जा रहा हैतस्वीर: Alessandro Cinque/REUTERS

करीब 90 लाख साल पहले दक्षिण प्रशांत महासागर में पाई जाने वाली इस प्रजाति का नाम कॉस्मोपॉलीटोडस हस्तालिस है. इसका लगभग पूरा जीवाश्म पेरू की राजधानी लीमा से 235 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित पिस्को घाटी में मिला.

यह एक गर्म, रेगिस्तानी इलाका है जहां इससे पहले भी कई प्राचीन समुद्री प्रजातियों के जीवाश्म मिले हैं. जिस शार्क के जीवाश्म अब मिले हैं उस प्रजाति के वयस्क करीब सात मीटर तक लंबे हो सकते थे, जो लगभग एक छोटी नाव की लंबाई होती है.

क्या था इस शार्क का आहार

इनके दांत 3.5 इंच तक लंबे हो सकते थे. पेरू के जियोलॉजिकल एंड माइनिंग इंस्टिट्यूट के एक इंजीनियर सीजर ऑगस्तो चकलताना ने बताया कि यह जीवाश्म "असाधारण" हैं. जीवाश्म विज्ञान के शोधकर्ताओं ने जीवाश्म को शीशे के कई कलशों में पेश किया, जिनमें एक कलश में एक विशाल, पैने दांतों का जबड़ा भी था.

जीवाश्म के एक हिस्से की करीब से ली गई तस्वीर
वैज्ञानिकों ने इस प्राचीन शार्क के आहार के बारे में भी पता लगाया हैतस्वीर: Alessandro Cinque/REUTERS

जीवाश्म विद मारियो उर्बिना ने बताया, "दुनिया में पूरे शार्क (जीवाश्म) ज्यादा नहीं हैं." उन्होंने यह भी बताया कि इस शार्क के पेट में कई सारडाइन मछलियों के अवशेष मिले हैं, यानी सारडाइन इसका प्रिय आहार थी. उर्बिना के मुताबिक इस शार्क के समय छोटी ऐन्चोवी मछलियां नहीं होती थीं इसलिए समुद्री परभक्षियों का प्रिय आहार सारडाइन मछली हुआ करती थी.

डायनासोर के 16 करोड़ साल पुराने पदचिंह

नवंबर 2024 में पेरू के ही जीवाश्म विशेषज्ञों ने एक ऐसे युवा घड़ियाल का जीवाश्म दिखाया था जो केंद्रीय पेरू के पास एक करोड़ सालों से भी पहले पाया जाता था. यह वही इलाका है जहां पिस्को घाटी और ईका कृषि क्षेत्र स्थित हैं.

मछलियां खाने वाले इस घड़ियाल का जीवाश्म करीब 10 फुट लंबा था और यह 2023 में ओकूकाजे रेगिस्तान में बहुत अच्छी हालत में मिला था. कशेरुकी जीवों के जीवाश्म विशेषज्ञ मारियो गमारा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि पहली बार इस प्रजाति के एक युवा सदस्य का जीवाश्म मिला था.

जीवाश्मों के लिए समृद्ध इलाका

गमारा ने बताया था कि युवा जीवाश्म मिलने का मतलब है कि इस घड़ियाल की अपने पूरे आकार तक बड़ा होने से पहले ही मौत हो गई थी. गमारा और उनकी टीम ने इस जीवाश्म की संरचना दोबारा तैयार की थी. उन्होंने बताया था कि इस प्रजाति की खोपड़ी और जबड़े आज के मगरमच्छों और घड़ियालों से अलग थे.उन्होंने बताया, "इनकी थूथन काफी लम्बी थी और यह सिर्फ मछलियां खाते थे...भारतीय घड़ियाल इनके सबसे करीबी रिश्तेदार हो सकते हैं."

3.6 करोड़ साल पुरानी खोपड़ी

यह खोज पेरू के जियोलॉजिकल एंड माइनिंग इंस्टिट्यूट और ला यूनियन स्कूल ने मिल कर की थी. पेरू का ओकूकाजे रेगिस्तान जीवाश्मों के मामले में काफी समृद्ध है. यहां इससे पहले 50 लाख से 2.3 करोड़ साल पहले मायोसीन युग के दौरान पाए जाने वाले चार पैरों वाली बौनी व्हेल, डॉलफिन, शार्क आदि जैसे जीवों के जीवाश्म मिल चुके हैं.

अप्रैल 2024 में रिसर्चरों ने इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी रिवर डॉलफिन की खोपड़ी का जीवाश्म भी दिखाया था. यह डॉलफिन करीब 1.6 करोड़ साल पहले अमेजन में पाई जाती थी. 

सीके/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी)