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राजनीतिसीरिया

तुर्की की मदद से कैसे बिछी असद के पतन की बिसात

९ दिसम्बर २०२४

असद परिवार के सीरिया पर 50 साल लंबे राज का दो हफ्तों में ही अंत हो गया. हालांकि इस पूरे हमले की योजना कई महीनों पहले बनी थी. इसमें तुर्की की भी भूमिका बताई जा रही है.

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सीरिया में विद्रोही लड़ाके
दमिश्क पर जीत के बाद सीरियाई विद्रोहीतस्वीर: Omar Sanadiki/AP Photo/picture alliance

एक तेज और अप्रत्याशित घटनाक्रम में, सीरिया के विद्रोही बलों ने राष्ट्रपति बशर अल-असद को हटा दिया है. इससे असद परिवार के पांच दशक लंबे शासन का अंत हो गया. यह बड़ा बदलाव दमिश्क पर विद्रोहियों के गठबंधन के साथ आने से हुआ, जिसका नेतृत्व हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने किया. इसने सीरिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मध्य पूर्व के भविष्य को लेकर सवालों में डाल दिया है. 

यह पूरा घटनाक्रम दो हफ्तों से भी कम का था, जिसमें असद की सत्ता पलट गई. लेकिन इसकी बिसात छह महीने पहले लिखी गई थी, जब एचटीएस ने तुर्की को इस हमले की योजना बताई थी. इस हमले की शुरुआत सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जे से हुई. इसके बाद विद्रोहियों ने हुमा और होम्स जैसे प्रमुख शहरों पर कब्जा किया और आखिरकार रविवार को दमिश्क में प्रवेश किया. असद राजधानी छोड़कर मॉस्को भाग गए हैं.

असद के पतन के पीछे की वजहें

इस सफल विद्रोही अभियान में कई कारणों ने असद के शासन को कमजोर बनाया. सीरियाई सेना, जो पहले से ही हताश और भ्रष्टाचार से भरी हुई थी, विद्रोहियों के हमले का सामना करने में असमर्थ थी. टैंकों और विमानों जैसे हथियार खराब रखरखाव और लूटपाट के कारण बेकार हो गए थे. असद की सेना में मनोबल कई सालों से गिरा हुआ था. सैनिकों की बढ़ती संख्या में बगावत और सहयोगियों के समर्थन में कमी ने इसे और खराब कर दिया. 

असद की तस्वीरो पर चलता एक व्यक्ति
बशर अल असद के चले जाने के बाद दमिश्क में जश्न मनाया गयातस्वीर: Omar Haj Kadour/AFP

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, असद के मुख्य समर्थक रूस, ईरान, और हिजबुल्लाह या तो कमजोर हो गए थे या दूसरी समस्याओं में उलझे थे. रूस का ध्यान यूक्रेन युद्ध पर था. हिजबुल्लाह ने इस्राएल के साथ युद्ध के कारण अपनी विशेष इकाइयों को सीरिया से हटा लिया. इससे असद शासन कमजोर हो गया. 

पहले से ही आंतरिक समस्याओं से जूझ रहे ईरान ने सीरिया में अपना प्रभाव खो दिया. हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत और इसके बाद नेतृत्व का संकट असद के लिए और बड़ा झटका साबित हुआ. 

तुर्की की अहम भूमिका

तुर्की ने विद्रोहियों के इस अभियान में एक अहम लेकिन विवादास्पद भूमिका निभाई. आधिकारिक तौर पर, तुर्की ने सीधा समर्थन देने से इनकार किया है. लेकिन तुर्की ने लंबे समय से सीरियाई विपक्षी गुटों का समर्थन किया है, जिनमें तुर्की समर्थित सीरियाई नेशनल आर्मी (एसएनए) भी शामिल है.

कुछ अधिकारियों के मुताबिक विद्रोहियों ने छह महीने पहले तुर्की को अपनी योजना की जानकारी दी थी. उन्होंने तुर्की से यह सुनिश्चित करने की मांग की कि उनका अभियान रोका नहीं जाएगा. तुर्की के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने विद्रोहियों को कोई स्पष्ट मंजूरी नहीं दी, लेकिन हस्तक्षेप न करके उन्हें रणनीतिक समर्थन दिया.

तुर्की के लिए यह अभियान उसके रणनीतिक लक्ष्यों के अनुरूप ही है. इनमें सीरियाई कुर्द गुटों को नियंत्रित करना और सीरियाई शरणार्थियों की वापसी की संभावना शामिल है. राजनीति विज्ञान के विशेषज्ञ बिरोल बास्कान ने कहा, "तुर्की यहां सबसे बड़ा बाहरी विजेता है. एर्दोआन सही पक्ष में रहे, क्योंकि उनके समर्थक ने जीत हासिल की.” 

हयात तहरीर अल-शाम की भूमिका

एचटीएस एक इस्लामिक समूह है, जिसका नेतृत्व अल कायदा के पूर्व प्रमुख अबू मोहम्मद अल-गोलानी करते हैं. असद के खिलाफ हमले में एचटीएस केंद्रीय भूमिका में था. कभी अल-कायदा से जुड़े इस समूह ने खुद को एक राष्ट्रवादी आंदोलन के रूप में पेश करने की कोशिश की है.

गोलानी के नेतृत्व ने विद्रोही गुटों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई. हालांकि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने एचटीएस और अन्य संगठनों को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है. तुर्की भी इस समूह के कुछ संगठनों को आतंकवादी संगठन मानता है. इस कारण यह गठजोड़ संदेह पैदा करता है कि यह समूह सीरिया की भविष्य की सरकार में क्या भूमिका निभाएगा. 

अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ साइमन मैबन कहते हैं कि एचटीएस की सार्वजनिक छवि इस मामले को बहुत जटिल बनाता है. उन्होंने कहा, "उन्होंने एक हद तक समर्थन प्राप्त किया है. यह समर्थन उनकी विचारधारा के लिए नहीं है, बल्कि असद को हटाने की साझा इच्छा के लिए है." 

क्षेत्रीय और वैश्विक असर

असद का पतन ईरान के मध्य-पूर्व में प्रभाव के लिए बड़ा झटका है. दमिश्क में अपने मुख्य सहयोगी को खोने के साथ, ईरान पहले ही लेबनान में अपनी भूमिका कमजोर कर चुका है. इस्राइल ने अप्रत्यक्ष रूप से विद्रोही अभियान में मदद की. हिजबुल्लाह को कमजोर करने के उनके प्रयासों ने विद्रोहियों के अभियान को आसान बनाया. 

अमेरिका और पश्चिमी शक्तियों के लिए, ये तेज घटनाक्रम सवाल उठाते हैं कि वे सीरिया के भविष्य को आकार देने में क्या भूमिका निभाएंगे. असद शासन के अंत के बाद सीरिया का भविष्य अनिश्चित है. संयुक्त राष्ट्र ने शांतिपूर्ण बदलाव के लिए समर्थन की बात की है. लेकिन सीरियाई विपक्षी गुटों में फूट और चरमपंथी तत्वों की मौजूदगी से एकता और लोकतंत्र की संभावना कम हो जाती है. 

एचटीएस की विद्रोही गठबंधन में प्रमुखता पश्चिमी और खाड़ी देशों के लिए चिंता का विषय है. जबकि गोलानी ने एचटीएस को इसके चरमपंथी अतीत से अलग करने की कोशिश की है, लेकिन उनके नेता बनने की संभावना को लेकर संदेह बना हुआ है. 

जंग ने बंजर कर दी सीरिया के जंगल की जमीन

घरेलू स्तर पर, 14 साल के युद्ध से तबाह हुए देश को फिर से खड़ा करना असंभव नहीं, लेकिन मुश्किल होगा. असद के शासनकाल में बनी दरारों और शिकायतों को दूर करना एक बड़ा काम होगा. अभी के लिए, सीरिया में खुशी और जश्न का माहौल है. डर और हिंसा से भरी सड़कों पर अब उम्मीद और राहत नजर आ रही है. 

मैबन ने कहा, "यह सीरियाई लोगों के लिए बेहद खुशी का पल है. एक रोमांचक समय. राहत और उम्मीद का माहौल है, भले ही चुनौतियां बरकरार हों." 

आने वाले हफ्ते सीरिया के लिए निर्णायक होंगे. दुनिया देख रही है कि क्या यह ऐतिहासिक पल स्थाई शांति और स्थिरता ला सकता है.

वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)