भारत-कनाडा विवाद: क्या क्या है दांव पर
कनाडा में एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच गंभीर कूटनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. अगर विवाद और गहराया तो इसका असर दोनों देशों के रिश्तों के कई पहलुओं पर पड़ सकता है. आखिर क्या क्या है दांव पर?
व्यापारिक रिश्तों पर असर
जून, 2023 में दोनों देशों ने कहा था कि एक महत्वपूर्ण व्यापार संधि पर इसी साल हस्ताक्षर हो जाएंगे. लेकिन सितंबर में कनाडा ने बताया कि उसने भारत के साथ इस प्रस्तावित संधि पर बातचीत को रोक दिया है. अनुमान लगाया जा रहा था कि इस संधि से दोनों देशों के बीच व्यापार में करीब 541 अरब रुपयों की बढ़ोतरी हो सकती थी.
किन चीजों का होता है व्यापार
दोनों देशों के बीच व्यापार में लगातार बढ़ोतरी की वजह से 2022 में दोनों देशों के बीच 666 अरब रुपयों का व्यापार हुआ. भारत ने करीब 333 अरब रुपयों का सामान कनाडा से आयात किया और उतने ही मूल्य का सामान कनाडा निर्यात किया.
भारत में है कनाडा की दालों की मांग
भारत में कनाडा से आयातित दालों की मांग बढ़ती जा रही है. इसके अलावा भारत कनाडा से कोयला, खाद, न्यूजप्रिंट, कैमरे, हीरे आदि जैसे सामान भी आयात करता है. कनाडा भारत से दवाएं, कपड़े, गाड़ियों के पुर्जे, हवाई जहाज के उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसी चीजें आयात करता है.
अरबों रुपयों का निवेश
कनाडा भारत का 17वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है. उसने पिछले 22 सालों में करीब 299 अरब रुपयों का भारत में निवेश किया है. इसके अलावा कनाडा के पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय स्टॉक और डेट बाजारों में अरबों रुपयों का निवेश किया है. कनाडा का पेंशन फंड भारत के रियल एस्टेट, रिन्यूएबल ऊर्जा और वित्तीय क्षेत्रों में मार्च 2023 तक 1,248 अरब रुपयों का निवेश कर चुका है.
कंपनियों को क्या फायदा हुआ है
बॉम्बार्डियर और एसएनसी लावलीन जैसी 600 से भी ज्यादा कनाडा की कंपनियों की भारत में मजबूत उपस्थिति है. भारत की तरफ से टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस जैसी कम से कम 30 कंपनियों ने कनाडा में अरबों रुपये लगाए हैं और हजारों नौकरियों को पैदा दिया है.
भारतीय छात्रों की पसंद
2018 में भारत कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा रहा. 2022 में तो उनकी संख्या में करीब 47 प्रतिशत का उछाल आया और यह संख्या 3,20,000 पर पहुंच गई. कनाडा में पढ़ रहे कुल अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से 40 प्रतिशत भारतीय छात्र हैं.
सिखों के लिए इस विवाद के क्या मायने हैं
कई समीक्षकों का कहना है कि दोनों देशों के रिश्ते खराब होने से पंजाब में रह रहे हजारों सिख परिवारों के आर्थिक हितों पर असर पड़ेगा, क्योंकि उनके परिवार का कोई न कोई सदस्य कनाडा में रहता है और उन्हें हर साल वहां कमाए हुए डॉलरों का एक हिस्सा भेजता है. कनाडा में पिछले 20 सालों में सिखों की आबादी में दोगुने से भी ज्यादा बढ़ोतरी आई है और अब वह बढ़ कर देश की कुल आबादी का 2.1 प्रतिशत हो गई है. (रॉयटर्स)