"पाक-चीन सीमा पर अगले महीने एस-400 मिसाइल तैनात करेगा भारत"
१९ मई २०२२अमेरिकी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल स्कॉट बैरियर ने अमेरिकी सीनेट की रक्षा सेवा समिति की सुनवाई के दौरान कहा कि भारत अगले महीने तक एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली को तैनात करने का इरादा रखता है. उन्होंने कहा कि भारत अपनी रक्षा करते हुए पाकिस्तानी और चीनी खतरों का मुकाबला करने के लिए हवाई, जमीन, नौसैनिक और रणनीतिक परमाणु बलों समेत अपनी सेना के सभी क्षेत्रों के आधुनिकीकरण का प्रयास कर रहा है.
जनरल बैरियर ने अमेरिकी सीनेट सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों से कहा कि "भारत को दिसंबर में रूसी निर्मित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की पहली खेप प्राप्त हुई और जून 2022 तक पाकिस्तानी और चीनी खतरों से बचाव के लिए इस प्रणाली को तैनात करेगा."
उन्होंने कहा, "भारत अपनी हाइपरसोनिक, बैलिस्टिक, क्रूज और वायु रक्षा मिसाइल क्षमताओं को विकसित करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है और 2021 में कई परीक्षण किए हैं. अंतरिक्ष में भारतीय उपग्रहों की संख्या लगातार बढ़ रही है और संभावित रूप से वह आक्रामक अंतरिक्ष क्षमताओं का विस्तार कर रहा है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में भारत के घरेलू रक्षा उद्योग का विस्तार करके देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का आह्वान किया था. इस संबंध में भारत ने विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से रक्षा खरीद को कम करने के लिए एक निगेटिव आयात सूची भी तैयार की है.
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लेफ्टिनेंट जनरल बैरियर ने कहा कि भारत एक व्यापक सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम का अनुसरण कर रहा है और अपने घरेलू रक्षा उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि भारत एक अग्रणी भूमिका निभाने वाले और हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा प्रदान करने वाले देश के रूप में अपनी विदेश नीति को लगातार आगे बढ़ा रहा है. जनरल बैरियर ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समृद्धि को बढ़ावा देने और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आपसी और बहुपक्षीय तंत्रों के माध्यम से अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने के लिए एक रणनीतिक साझेदारी स्थापित कर रहा है.
उन्होंने कहा कि 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं. हालांकि पिछले साल से दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय सैन्य और कूटनीतिक वार्ता चल रही है, दोनों के बीच गतिरोध बना हुआ है और दोनों ने अपनी सीमाओं पर लगभग 50,000 सैनिकों को तैनात किया है.