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समाज

फेसबुक को लेकर भारत में राजनीतिक घमासान

२ सितम्बर २०२०

भारत में फेसबुक की निष्पक्षता को लेकर राजनीतिक बहस के बीच केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने मार्क जकरबर्ग को खत लिखा है और कहा है कि फेसबुक इंडिया की टीम खास राजनीतिक विचारधारा के आधार पर भेदभाव करती है.

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तस्वीर: imago images/ZUMA Wire

संसद की एक समिति की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक को लेकर आज बैठक होने वाली है. इस बैठक में फेसबुक के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे और वे कंपनी की ओर से कथित दुरुपयोग के आरोपों पर सफाई देंगे. फेसबुक प्रतिनिधि सूचना प्रौद्योगिकी मामलों की स्थायी समिति के सामने पेश होंगे. इस समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद शशि थरूर हैं. यह समिति नागरिक अधिकारों की रक्षा के मुद्दे और सोशल मीडिया मंच के कथित दुरुपयोग पर उनके विचार सुनेगी.

समिति की इस बैठक के ठीक एक दिन पहले ही केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग को खत लिख कर कहा कि फेसबुक इंडिया की टीम राजनीतिक विचारधारा के आधार पर भेदभाव करती है. उन्होंने खत में यह भी आरोप लगाया कि फेसबुक के कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रियों को अपशब्द कहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव से पहले फेसबुक के भारतीय मैनेजमेंट ने दक्षिणपंथी विचाराधारा के खातों को अपने मंच से डिलीट कर दिया और उनकी पहुंच को कम कर दिया था.

उन्होंने जकरबर्ग को लिखे खत में आरोप लगाया कि फेसबुक इंडिया में कई वरिष्ठ अधिकारी विशेष राजनीतिक विचारधारा के समर्थक हैं. उन्होंने फेसबुक से संतुलित और निष्पक्ष होने को कहा है. गौरतलब है कि कांग्रेस ने भी मार्क जकरबर्ग को वॉल स्ट्रीट जर्नल पर रिपोर्ट आने के बाद दो चिट्ठियां लिखी थीं. प्रसाद के खत के बाद कांग्रेस ने कहा है कि सरकार जेपीसी से जांच क्यों नहीं कराती है. कांग्रेस का कहना है कि फेसबुक और बीजेपी का गठजोड़ है. 

अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) की रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि भारत में फेसबुक के कर्मचारियों ने बीजेपी से संबंधित कुछ लोगों के खातों और पेजों को नफरत फैलाने की वजह से बैन करने की सिफारिश की थी लेकिन भारत में फेसबुक की पब्लिक पॉलिसी प्रमुख ने इससे इनकार कर दिया था. उसके बाद से ही प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस फेसबुक पर बीजेपी के प्रति नरम रवैया अपनाने का आरोप लगा रहा है.

राहुल गांधी लगातार फेसबुक और व्हॉट्सऐप पर भारत के मामलों में दखल देने का आरोप लगा रहे हैं. मंगलवार को भी राहुल गांधी ने फेसबुक और व्हॉट्सऐप को लेकर बयान जारी किया था और फेसबुक से बीजेपी के कथित गठजोड़ के आरोप लगाए थे. राहुल ने अपने ट्वीट में लिखा, "अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने फेसबुक और व्हॉट्सऐप पर भारत के लोकतंत्र और सामाजिक सद्भाव पर हमले को पूरी तरह से उजागर किया है. किसी भी विदेशी कंपनी को हमारे देश के आंतरिक मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं है, उनकी तुरंत जांच की जानी चाहिए और दोषी पाए जाने पर सजा दी जानी चाहिए." 

रविशंकर प्रसाद की चिट्ठी और राहुल गांधी के ताजा ट्वीट पर फेसबुक ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.

बीजेपी सांसद और थरूर आमने-सामने 

संसदीय समिति में मामले के उठने के पहले ही इसके अध्यक्ष शशि थरूर ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बयान दिया था, जिसके बाद बीजेपी सांसद और समिति के सदस्य निशिकांत दुबे ने आपत्ति जाहिर की थी. सबसे पहले निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर थरूर को अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की थी. दुबे ने थरूर के कामकाज के तौर तरीकों पर सवाल उठाया था. दोनों ने ही एक दूसरे के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी जारी किया था.

दुबे और थरूर की बयानबाजी के बीच बीजेपी के एक और सांसद इस मामले में कूद पड़े थे. बीजेपी सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौर ने भी लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा था कि थरूर द्वारा फेसबुक के प्रतिनिधियों को बुलाना समिति के नियमों के खिलाफ है. बीजेपी सांसदों का कहना था कि समिति में विचार किए बिना किसी को बुलाया नहीं जा सकता है. गौरतलब है कि इस समिति में एनडीए सांसदों की संख्या 21 है जबकि यूपीए के 9 सदस्य हैं. समिति में कुल 31 सदस्य होते हैं. फिलहाल एक सदस्य का स्थान खाली है.

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