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समानताईरान

ईरान ने विवादित हिजाब कानून पर रोक लगाई

१८ दिसम्बर २०२४

ईरान ने महिलाओं के लिए सख्त हिजाब कानून लागू करने की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी है. इस कानून को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी विरोध का सामना करना पड़ा है.

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ईरान में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाएं
कई महिलाएं विरोध जताने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर बिना हिजाब के जा रही हैंतस्वीर: Fatemeh Bahrami/AA/picture alliance

महसा अमीनी की मौत के बाद महिलाओं के हिजाब पहनने को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध झेलने वाले ईरान ने विवादित हिजाब कानून का लागू करना फिलहाल टाल दिया है. संसद में पारित इस कानून की आलोचना इसलिए हो रही थी क्योंकि इसमें हिजाब ना पहनने वाली महिलाओं और ऐसे कारोबारों पर सख्त सजा का प्रावधान था जो उन्हें सेवाएं देते. 

मंगलवार को उपराष्ट्रपति शहराम दबीरी ने कहा कि कानून को राजनीतिक नेतृत्व और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के पास दोबारा समीक्षा के लिए भेजा गया है. दबीरी ने अखबार 'हममिहन' को बताया, "फैसला हुआ है कि इस कानून पर फिलहाल आगे बढ़ने की प्रक्रिया रोकी जाएगी." 

इस कानून में हिजाब ना पहनने पर भारी जुर्माना, सरकारी सेवाओं से वंचित करना और जेल भेजने तक का प्रावधान था. बार-बार नियम तोड़ने वालों के लिए 15 साल तक की जेल और संपत्ति जब्त करने का भी प्रस्ताव था. कारोबारियों को भी नियम ना मानने पर जुर्माना और दुकान बंद करने जैसी सजा का सामना करना पड़ सकता था.

राष्ट्रपति का विरोध 

यह कानून दिसंबर के मध्य में लागू होना था, लेकिन मध्यमार्गी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने इसे वीटो कर दिया. उन्होंने चेतावनी दी थी कि इस कानून से देश में फिर से अशांति फैल सकती है. राष्ट्रपति ने कहा कि कानून में कई "सवाल और अस्पष्टताएं" हैं. 

पेजेश्कियान इसी साल देश के राष्ट्रपति बने हैं और पश्चिमी देशों के साथ परमाणु समझौतों पर बातचीत फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं. वह कानून के सख्त प्रावधानों को लेकर चिंता जता चुके हैं. नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल अब इस कानून की समीक्षा करेगी. माना जा रहा है कि इसमें कुछ बदलाव किए जा सकते हैं. 

विश्लेषकों का कहना है कि इस कानून को रोकना राष्ट्रपति पेजेश्कियान के लिए राजनीतिक जीत है. वह कट्टरपंथी नेताओं और न्यायपालिका के बीच संघर्ष कर रहे हैं. हालांकि, उनके पास कानून को रोकने का अधिकार नहीं है, लेकिन वह देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खमेनेई को इस कानून को रद्द करने के लिए मना सकते हैं.

महिलाओं का बढ़ता विरोध 

हालांकि हिजाब पहनना अभी भी ईरानी कानून का हिस्सा है, लेकिन बड़े शहरों में कई महिलाएं खुलेआम इसका विरोध कर रही हैं. वे बिना सिर ढके सार्वजनिक स्थानों पर जाती हैं. 2022 के "महसा अमीनी" आंदोलन के बाद यह चलन और तेज हुआ है. 

महसा अमीनी की मौत के बाद पूरे देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे. 22 साल की इस कुर्द महिला को पुलिस ने ठीक से हिजाब न पहनने के आरोप में गिरफ्तार किया था. पुलिस हिरासत में उनकी मौत हो गई थी. 

नए कानून में न केवल महिलाओं बल्कि उनके समर्थन करने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान था. पहली बार हिजाब ना पहनने पर 800 डॉलर यानी लगभग 70 हजार रुपये का जुर्माना और दूसरी बार पर सवा लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाना था. तीसरी बार पर जेल की सजा का नियम था. 

इसके अलावा, कारोबारियों और टैक्सी चालकों को ऐसी महिलाओं की रिपोर्ट करनी होती, जो हिजाब नहीं पहनतीं. ऐसा ना करने पर उन पर भी जुर्माना लग सकता था. इस कानून में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी करने और सजा तय करने का प्रावधान भी था. 

आगे क्या होगा? 

इस कानून पर रोक से साफ है कि ईरान के राजनीतिक नेतृत्व और समाज के बीच भारी मतभेद हैं. कट्टरपंथी नेता सख्ती के पक्ष में हैं, जबकि सुधारवादी नेता और जनता इसे मानने को तैयार नहीं. 

महसा अमीनी की मौत ने महिलाओं के अधिकारों के लिए एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया. इस घटना के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों में 500 से अधिक लोग मारे गए और 22,000 से अधिक गिरफ्तार हुए. 

औरतों को हिजाब पहनने को मजबूर करने के लिए क्या कर रहा ईरान

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हिजाब कानून की कड़ी आलोचना हुई है. मानवाधिकार संगठनों और वैश्विक नेताओं ने ईरान से महिलाओं की आजादी का सम्मान करने की अपील की है. 

फिलहाल, कानून पर रोक एक राहत की तरह है. लेकिन महिलाओं के अधिकारों और उनके विरोध के मुद्दे पर ईरान में बहस जारी है. नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की समीक्षा से देश के भविष्य पर असर पड़ सकता है.

वीके/एए (डीपीए, एपी)