चिट्ठी आई है...51 साल बाद
12 साल की एक लड़की को आज से 51 साल पहले पोलैंड के पत्र मित्र ने खत लिखा था, वह पिछले साल दिसंबर के महीने में उसे मिला है. आज वह लड़की 60 साल की महिला हो गई है. इस चिट्ठी की प्यार भरी दास्तां तस्वीरों में...
खत में मीठी यादें
जेनोवेफा क्लोनोव्स्का को जब यह खत मिला तो उन्हें यह एक मजाक लगा. वे कहती हैं, "मुझे लगा कि कोई मेरे साथ प्रैंक कर रहा है." उन्हें जो खत मिला उसके अंदर हाथ से बना गुलाब का फूल और दो कागज की गुड़िया थीं.
पुराने डाकघर से मिली अनमोल निशानी
यह खत और 17 अन्य चिट्ठियां दरअसल विलनियुस के पुराने डाकघर के रौशनदान की छेद से मिलीं. विलनियुस के पुराने डाकघर की दीवार को ढहाते वक्त मिट्टी में लिपटी चिट्ठियां मजदूरों के हाथ लगी.
1960 और 1970 के दशक के पत्र
ये पत्र 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरुआत के हैं. इस इमारत के मालिक ने जुरगिस विलुटिस ने बताया कि कर्मचारियों ने इन्हें फेंक देने का सुझाव दिया, लेकिन उन्होंने इसके बदले डाकघर को सूचित किया. उनका कहना है कि हो सकता है किसी लालची डाक कर्मचारी ने इन खतों को नकद या कीमती समझकर छिपा दिया होगा.
सही पते की तलाश
कभी लिथुआनिया सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था. विलनियुस में सड़क के नाम और घरों के नंबर बदल गए हैं. ऐसे में डाक विभाग के कर्मचारियों को सही पते और सही व्यक्ति की तलाश करने में महीनों लग गए.
खत पाने वाले सिर्फ पांच
केवल पांच प्राप्तकर्ता पाए गए. कई मामलों में बच्चे या मृतक के रिश्तेदारों को खोया हुआ पत्र सौंपा गया. लिथुआनिया पोस्ट में ग्राहक अनुभव विभाग के प्रमुख डेमांटे जेब्राउस्काइट ने कहा, "हमने ऐसा करने के लिए एक नैतिक कर्तव्य महसूस किया."
खत में क्या लिखा था
जेनोवेफा क्लोनोव्स्का को लिखे खत में एवा नाम की लड़की ने पोलैंड से लिखा था कि बस अब उसके गांव तक नहीं आती है. इसलिए उसे माइनस 23 डिग्री में चलकर जाना पड़ता है. वे खत में कलाकारों की तस्वीरों की मांग करती है. लेकिन अब क्लोनोव्स्का को एवा की याद नहीं है.
एक दौर पत्र मित्र का भी था
इंटरनेट के इस जमाने में संवाद करना बहुत आसान हो गया है. ईमेल, मैसेज, व्हाट्सऐप और वीडियो कॉलिंग की सुविधा से लोग दुनिया के किसी कोने में पहुंच सकते हैं लेकिन उस दौर में अखबारों के जरिए पेन पाल या पत्र मित्र बनाए जाते थे और अनेकों विषयों पर लोग एक दूसरे को दोस्त बनाकर खत लिखा करते थे.