यूरोप की सबसे खूबसूरत और मशहूर घड़ियां
इस रविवार से यूरोप की घड़ियां एक घंटे पीछे खिसक गई हैं, क्योंकि यूरोप गर्मियों से सर्दियों के टाइम पर शिफ्ट हो गया है. तो हमने सोचा कि यही सही मौका है आपको यूरोप की सबसे खूबसूरत घड़ियों का दीदार कराया जाए.
बिग बेन, लंदन
यूरोप का सबसे मशहूर घंटाघर आपको दिखेगा लंदन में. वैसे तो इस टावर का असली नाम 'एलिजाबेथ टावर' है, लेकिन प्यार से इसे लोग 'बिग बेन' कहते हैं. यह घड़ी हर घंटे घंटी बजाती है और इसमें से आपको 'वॉइस ऑफ ब्रिटेन' भी सुनने को मिलती है.
एस्ट्रोनॉमिकल क्लॉक (खगोलीय घड़ी), प्राग
चेकिया की राजधानी प्राग के टाउन हॉल में लगी 'एस्ट्रोनॉमिकल क्लॉक' 1410 में लगाई गई थी और यह गॉथिक मास्टरपीस है. किंवदंतियां बताती हैं कि शहर के प्रशासन ने यह घड़ी बनाने वाले घड़ीसाज मिकुलास ऑफ काडन की आंखें जला दी थीं, ताकि वह दूसरे देशों के लिए भी ऐसी ही शानदार घड़ियां न बना सकें. मिकुलास से कुछ अन्य घड़ियां बनाने की गुजारिश की गई थी. अब यह सच है या नहीं, यह तो पता नहीं, पर खास जरूर है.
वर्ल्ड टाइम क्लॉक, बर्लिन
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में अलेक्जांडरप्लात्स पर लगी 'वर्ल्ड टाइम क्लॉक' बहुत पुरानी घड़ी तो नहीं है. औद्योगिक डिजाइनर एरिक जॉन ने इसे पूर्वी जर्मनी में डिजाइन किया था. 1969 में इसका लोकार्पण हुआ. तब से यह बर्लिनवासियों और पर्यटकों के मिलने की जगह है. इसके शीर्ष पर हमारे सौरमंडल का सिंपल सा मॉडल लगाया गया है. नीचे लगा सिलेंडर धरती के सभी 24 टाइम जोन का समय बताता है.
क्लॉक ऑफ फ्लोइंग टाइम, बर्लिन
यह घड़ी भी मशहूर है. हालांकि दूसरी घड़ियों जितनी नहीं, पर दिलचस्प और मशहूर. यह घड़ी बर्लिन के यूरोपा-सेंटर शॉपिंग मॉल में लगी है. 13 मीटर यानी करीब 43 फुट ऊंची यह घड़ी तीसरी मंजिल तक जाती है. इसमें आप समय का फ्लो यानी गुजरता वक्त देख सकते हैं. बाईं तरफ बड़े गोलों में भरा हरा द्रव घंटे दिखाता है और दाईं तरफ के छोटे गोले मिनट दिखाते हैं.
जीतग्लोगे, बर्लन
घड़ी की बात हो और स्विट्जरलैंड का जिक्र न हो, यह तो हो ही नहीं सकता. जीतग्लोगे का यह घंटाघर 1530 में बनाया गया था. यह स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न का मशहूर लैंडमार्क है. बहुत सारे पर्यटक इसे देखने आते हैं और घंटे बीतने पर जो दिखता है, उसे 'गोल्डन आवर' कहा जाता है.
एस्ट्रोनॉमिकल क्लॉक, श्ट्रॉसबुर्ग
श्ट्रॉसबुर्ग कैथेड्रल में स्थित पुनर्जागरण काल का यह मास्टरपीस स्विट्जरलैंड के घड़ीसाजों ने बनाया था. इस घड़ी के आसपास बच्चों जैसे दो देवदूत बैठे हैं, जो हर घंटे के बाद घंटी बजाते हैं. घड़ी के ऊपर चार पुतले लगे हैं, जो उम्र के चार पड़ावों- बचपन, किशोर, व्यस्क और बुढ़ापे को दिखाते हैं. हर दोपहर साढ़े 12 बजे ये पुतले मौत का संकेत देने वाले एक पुतले के पास से गुजरते हैं.
दुनिया की सबसे बड़ी कुक्कू क्लॉक, ट्रीबर्ग
दक्षिण-पश्चिमी जर्मनी में बसे ब्लैक फॉरेस्ट के पास कई पहचान हैं. एक तो ऊन के गोले जैसी दिखने वाली लाल रंग की टोपी. फिर चॉकलेट, चेरी और यह घड़ी जैसी और भी चीजों के लिए यह जगह मशहूर है. देखकर भले न लगे, पर यह घड़ी 6 टन वजनी है. इसमें से आवाज देने वाली चिड़िया तो और मजेदार है. लकड़ी से बनी 14 फुट की यह चिड़िया पहली मंजिल से निकलकर आवाज लगाती है.
ग्लॉकेनश्पील, म्यूनिख
जर्मनी के म्यूनिख शहर के सिटी हॉल में यह घड़ी भी बड़ी दिलचस्प और मशहूर है. घड़ी के अलावा इसमें इंसानों के आकार के बहुत सारे पुतले लगाए गए हैं, जो म्यूनिख के इतिहास की दो अहम घटनाएं प्रदर्शित करते हैं. पहली, 1568 में ड्यूक विलहेल्म पंचम की शादी और दूसरी, भयानक प्लेग के बावजूद जश्न मनाते लोग. वैसे यह घड़ी भले ऐतिहासिक हो, लेकिन इसे चलाया आधुनिक तकनीक से जाता है. यह घड़ी सौर ऊर्जा से चलती है.
एंकर क्लॉक, विएना
ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना की यह ऐंकर क्लॉक खूब मशहूर है. इसे आधुनिक पेंटर फ्रांज मात्ष ने डिजाइन किया था. 12 में से हर घंटे इसके सामने से विएना के इतिहास की एक अहम शख्सियत की तांबे से बनी मूर्ति गुजरती है. वहीं रात में ये सारे पुतले संगीतमय परेड करते हैं. इनमें सम्राज्ञी मारिया थेरेसा से लेकर कंपोजर जोसेफ हेडन तक दिखाए गए हैं.
घंटाघर, ग्राज
ऑस्ट्रिया के ही एक और शहर ग्राज का यह घंटाघर भी खूब मशहूर है, जो श्लॉसबर्ग में स्थित है और दूर से ही लोगों को दिखाई दे जाता है. इस घड़ी की एक खास बात यह है कि इसमें घंटे और मिनट दिखाने वाली सुइयां आपस में बदल दी गई हैं. पहले तो इसमें सिर्फ एक ही सुई लगी थी, जो घंटा बताती थी और लोगों को दूर से समय का पता चल जाता था. लेकिन बाद में इसमें एक और सुई जोड़ी गई.
तोर्रे देल'ओरोलोजो, वेनिस
सेंट मार्क चौक पर लगी यह एस्ट्रोनॉमिकल घड़ी सिर्फ समय ही नहीं बताती है, बल्कि समय की मौजूदा राशि और चांद और सूरज की मौजूदा अवस्थाएं भी बताती है. आखिरी बार 1998 में इसकी मरम्मत की गई थी. इससे पहले तक घंटाघर की रखवाली करने वाले शख्स अपने परिवार के साथ इसी घंटाघर के भीतर रहते थे. 2006 से इस घड़ी की डिजिटल तरीके से देखरेख की जा रही है.
हाउस ऑफ मैजिक, बिलुआ
बात तो यह सही है कि यह कोई असली घड़ी नहीं है, लेकिन ड्रैगन के ये सिर समय तो बताते हैं. हर आधे घंटे बाद ये खिड़की से बाहर निकलते हैं और डरावने मूवमेंट करते हैं. जिस इमारत की खिड़की से ये निकलते हैं, वह असल में म्यूजियम है. इसमें 1805 में जन्मे बड़े जादूगर जॉं रॉबर्ट हाउडिन के वक्त से जादू का इतिहास बताया गया है.