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अपराधभारत

"डंकी फ्लाइट" पर गुजरात के यात्रियों का बड़ा खुलासा

३ जनवरी २०२४

मानव तस्करी के शक में जिस विमान को फ्रांस में रोका गया था उसकी जांच कर रही गुजरात सीआईडी के सामने यात्रियों ने कई अहम खुलासे किए हैं. इस विमान में गुजरात के 60 से अधिक यात्री सवार थे.

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निकारागुआ जा रहे विमान को फ्रांस के वाट्री एयरपोर्ट पर रोका गया था
निकारागुआ जा रहे विमान को फ्रांस के वाट्री एयरपोर्ट पर रोका गया थातस्वीर: Christophe Ena/AP Photo/picture alliance

भारतीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गुजरात के अधिकारियों ने बताया है कि गुजरात के 60 से अधिक यात्री इमिग्रेशन एजेंट्स को 60 से लेकर 80 लाख रुपये देने को राजी हुए थे. एजेंट्स ने उन्हें निकारागुआ पहुंचने के बाद अवैध रूप से अमेरिका पहुंचा देना का वादा किया था. इस मामले में गुजरात सीआईडी विमान में सवार गुजरात के यात्रियों से लगातार पूछताछ कर रही है.

निकारागुआ जा रहे एयरबस ए340 विमान को पेरिस के पूर्व में 150 किलोमीटर दूर वाट्री एयरपोर्ट पर रोका गया था. यह विमान दुबई से फ्रांस पहुंचा था और ईंधन भरने के लिए वाट्री में रुका था.

लेकिन अधिकारियों ने एक "अनजान व्यक्ति द्वारा दी गई सूचना के बाद" इसे रोक लिया क्योंकि उन्हें संदेह था कि यह "मानव तस्करी" का मामला हो सकता है. इस विमान में 303 यात्री सवार थे, जिनमें 260 भारतीय शामिल थे. विमान को फ्रांस में चार दिन रोकने के बाद इसे 26 दिसंबर को मुंबई लौटा दिया गया.

"डंकी फ्लाइट" में सवार थे गुजराती

एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में गुजरात सीआईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा कि उन यात्रियों में गुजरात के 66 लोग शामिल थे, जो पहले ही राज्य में अपने मूल स्थानों पर पहुंच चुके हैं.

सीआईडी क्राइम के एसपी संजय खरात के मुताबिक गुजरात के ये 66 लोग मुख्य तौर पर मेहसाणा, अहमदाबाद, गांधीनगर और आणंद जिले के हैं. संजय खरात इस कथित मानव तस्करी के केस की जांच कर रहे हैं.

खरात ने मीडिया को बताया "हमने पहले ही उनमें से 55 लोगों से पूछताछ की है और उनके बयान दर्ज किए हैं. उनमें से ज्यादातर ने कक्षा आठवीं से 12वीं तक की पढ़ाई की है. उनमें से हर एक ने माना है कि उन्होंने स्थानीय इमिग्रेशन एजेंट्स को दुबई के रास्ते निकारागुआ पहुंचने के बाद अमेरिका में अवैध रूप से दाखिल होने के लिए 60 से 80 लाख रुपये देने पर राजी हुए थे."

अमेरिका के लिए हजारों मील का पैदल सफर

एजेंट्स की जानकारी जुटा रही सीआईडी 

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गुजरात सीआईडी ने अब तक 15 एजेंटों के नाम जुटाए हैं. इन एजेंटों ने 55 लोगों से वादा किया था कि वे अमेरिका-मेक्सिको की सीमा से अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल होने में मदद करेंगे.

खरात ने बताया, "इन एजेंटों ने इन 55 लोगों को अमेरिका पहुंचने के बाद ही पैसे देने के लिए कहा था. एजेंटों ने यात्रियों से कहा था कि उनके आदमी उन्हें निकारागुआ से अमेरिकी सीमा तक ले जाएंगे और फिर उन्हें सीमा पार कराने में मदद करेंगे."

खरात ने आगे बताया, "यह भी पता चला है कि एजेंटों ने इन यात्रियों के लिए हवाई टिकट भी बुक किए थे और किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए हर यात्री को एक हजार से लेकर तीन हजार अमेरिकी डॉलर दिए थे."

मंगलवार को सीआईडी (अपराध) ने एक बयान में कहा, "एजेंटों की ओर से तैयार की गई योजना के मुताबिक ये 66 यात्री 10 से 20 दिसंबर के बीच अहमदाबाद, मुंबई और दिल्ली से दुबई पहुंचे थे. एजेंटों के निर्देश के बाद ये यात्री 21 दिसंबर को फुजैरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक निजी एयरलाइन के निकारागुआ जाने वाले विमान में सवार हुए."

सीआईडी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उसने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को उन एजेंटों के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करने में मदद करने के लिए एक पत्र लिखा है.

इन एजेंटों ने 55 लोगों के लिए दुबई का वीजा हासिल किया था और इनके बैंक अकाउंट से वीजा फीस भरी गई थी. साथ ही उसने सीबीआई से कहा है कि वह पता करे कि कैसे ये एजेंट दुबई से इन लोगों के लिए निकारागुआ का वीजा हासिल करने में कामयाब रहे.

वह यह भी जानना चाहती है कि किसने दुबई से फ्लाइट बुक की और किसने यात्रियों के टिकटों के लिए पैसे का भुगतान किया. पिछले साल मेक्सिको से अमेरिका में अवैध रूप से घुसते 41,770 भारतीय गिरफ्तार किए गए थे.

निकारागुआ या तीसरे अन्य देश में यात्रा दस्तावेज हासिल करना आसान है और ऐसे में अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल होने वाले लोग इन्हीं रास्तों का इस्तेमाल करते हैं. इन दिनों डंकी फ्लाइट्स की खूब चर्चा हो रही है क्योंकि हाल में ही बॉलीवुड फिल्म डंकी रिलीज हुई थी जिसमें कई देशों से होते हुए अवैध रूप से ब्रिटेन जाने के बारे में दिखाया. 

डंकी फ्लाइट्स में लोग कई देशों से होते हुए अवैध रूप से अमेरिका पहुंचाए जाते हैं. अमेरिका जाने वाले लोगों को पहले दुबई भेजा जाता है और फिर ऐसे देश की फ्लाइट में चढ़ाया जाता है, जहां ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स आसानी से हासिल किया जा सकता है.