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विज्ञानन्यूजीलैंड

गायों की डकारें घटाने की कोशिश में न्यूजीलैंड

११ अक्टूबर २०२२

न्यूजीलैंड की सरकार चाहती है कि गाय कम डकारें लें. देश के मीथेन उत्सर्जन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ऐसा जरूरी है. इसलिए शोध पर काफी धन खर्चा जा रहा है.

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न्यूजीलैंड के डेयरी उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव की जरूरत है
न्यूजीलैंड के डेयरी उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव की जरूरत हैतस्वीर: William West/AFP/Getty Images

न्यूजीलैंड के पामर्स्टन नॉर्थ में एक रिसर्च फार्म में करीब एक दर्जन बछड़े खाने का इंतजार कर रहे हैं. उन्हें काउबूचा खिलाया जाएगा. यह एक खास तरह का खाना है जिसे इन बछड़ों को प्रयोग के तौर पर खिलाया जा रहा है. वैज्ञानिकों ने इस खाने पर शोध किया है और पाया है कि इससे गायों को कम डकारें आती हैं. यह पर्यावरण के लिए अच्छी बात है क्योंकि गाय की डकार से मीथेन निकलती है, जो एक खतरनाक ग्रीनहाउस गैस है.

मेसी यूनिवर्सिटी के इस फार्म में काउबूचा पाउडर को दूध जैसे द्रव में मिलाकर बछड़ों को दिया जाता है. यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 2021 में देश की डेयरी कंपनी फॉन्टेरा के साथ मिलकर ये परीक्षण शुरू किए थे. इन परीक्षणों का मकसद यह समझना है कि काउबूचा से मीथेन उत्सर्जन में कितनी कमी आती है. न्यूजीलैंड ने 2030 तक 2017 के अपने मीथेन उत्सर्जन स्तर में 10 फीसदी कमी का प्रण लिया है. 2050 तक देश ने 47 प्रतिशत मीथेन कम उत्सर्जित करने का लक्ष्य तय किया है.

पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने वाली गाएं

फॉन्टेरा रिसर्च एंड डिवेलपमेंट सेंटर के मुख्य वैज्ञानिक शालोम बासेट बताती हैं कि काउबूचा के बारे में वैज्ञानिकों को जानकारी तब मिली जब यह बात सामने आई कि प्रोबायोटिक खाना खाने से बछड़े 20 फीसदी तक कम मीथेन उत्सर्जित करते हैं. बासेट ने बताया, "प्रोबायोटिक बहुत अच्छे हैं क्योंकि वे कुदरती समाधान हैं. हम कुछ भी करें, हमें ऐसे समाधान खोजने हैं जो किसानों के लिए इस्तेमाल करने में आसान हों, सस्ते हों और मवेशियों के लिए भी अच्छे हों ताकि उनके दूध पर असर ना पड़े.”

काम का काउबूचा

काउबूचा पर जारी परीक्षणों में वैज्ञानिकों को उत्साहजनक नतीजे मिले हैं. बासेट कहती हैं कि यदि ऐसा री रहता है तो 2024 के आखिर तक दुकानों में काउबूचा के पैकेट मिलने लगेंगे. फॉन्टेरा का कहना है कि इन पैकेटों की कीमत आदि क बारे में फिलहाल जानकारी उपलब्ध नहीं है.

इस बारे में पहले भी कुछ अध्ययन हो चुके हैं. कुछ देशों में ऐसे पदार्थ उपलब्ध हैं जिन्हें चारे में मिलाने से गायों की डकारें कम हो जाती हैं. रॉयल डीएसएम कंपनी का बोवाएर चारा ऐसा ही एक मिश्र है जिसे डेयरी की गायों को देने से मीथेन उत्सर्जन में 30 फीसदी तक कमी देखी गई है. मांस के लिए उपलब्ध गायों में तो यह कमी और भी ज्यादा हुई है.

फॉन्टेरा का कहना है कि काउबूचा अन्य उपलब्ध साधनों की तुलना में आसान है क्योंकि इसे बस बछड़ों-बछियों को देना है और असर लंबे समय तक रहेगा.

डकारों की कीमत

2025 में न्यूजीलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा जो कृषि क्षेत्र से होने वाले उत्सर्जन पर कर लगाएगा.इसमें गायों और भेड़ों की डकारों से होने वाला मीथेन उत्सर्जन भी शामिल है. इन जानवरों का पाचन तंत्र चारे को पचाने के दौरान मीथेन पैदा करता है. न्यूजीलैंड के कुल ग्रीनहाउस उत्सर्जन कै लगभग आधा कृषि क्षेत्र से ही आता है.

मीथेन को लेकर हंगामा है क्यों बरपा?

उत्सर्जन टैक्स लगाए जाने से पहले किसान, उद्योग और वैज्ञानिक उत्सर्जन कम करने के उपाय खोज लेन चाहते हैं. वे चाहते हैं कि ये उपाय ऐसे हों जिनसे जानवरों की संख्या भी ना घटनाए पड़े क्योंकि न्यूजीलैंड के कुल निर्यात का 75 प्रतिशत तो कृषि क्षेत्र से ही मिलता है.

एगरिसर्च नामक कंपनी के वैज्ञानिकों ने पिछले साल दिसंबर में ही एक ऐसी भेड़ तैयार की है जो कुदरती तौर पर कम मीथेन उत्सर्जित करती है. पिछले साल बाजार में ईकोपॉन्ड नामक एक उत्पाद उतारा गया था जो खेतों के सीवेज से मीथेन पूरी तरह साफ कर देता है. इसके अलावा न्यूजीलैंड विदेशों में उपलब्ध मीथेन घटाने वाले उत्पाद भी आयात करना चाहता है.

शोध पर जोर

विदेशों में उपलब्ध उत्पादों को लेकर न्यूजीलैंड इसलिए दुविधा में रहा है क्योंकि ये उत्पाद बाड़ों में बंद जानवरों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं जबकि न्यूजीलैंड के ज्यादातर मवेशी खुले में रहते हैं और घास चरते हैं. कृषि वैज्ञानिक सूजन किल्सबी कहती हैं, "उत्सर्जन घटाने का सबसे आसान तरीका तो उत्पादन कम करना या फिर जानवरों की संख्या घटना है. इसलिए चुनौती तो यही है क्योंकि हम ज्यादा उत्पादन करना चाहते हैं और निर्यात बढ़ाना चाहते हैं.”

न्यूजीलैंड की सरकार ने मई में कहा था कि कृषि क्षेत्र के उत्सर्जन को घटाने के लिए 21.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर के निवेश से चार साल तक शोध किया जाएगा. इस निवेश का मकसद ऐसी तकनीकें खोजना है जो किसानों के लिए उत्सर्जन घटाने को आसान बना सकें.

वीके/सीके (रॉयटर्स)