पेले पर नजर रखती थी सेना
२ अप्रैल २०१३ब्राजील में 1964 से 1985 तक सैनिक तानाशाही थी और इन जानकारियों से जुड़ी लगभग तीन लाख फाइलों को इंटरनेट पर जारी किया गया है. साओ पाओलो प्रांत के गवर्नर गेराल्डो अल्कमिन का कहना है, "यह सब सार्वजनिक है. तानाशाही काल के दौरान पीड़ित परिवारों के लिए यह पारदर्शिता और सूचना की स्वतंत्रता बेहद महत्वपूर्ण है."
सैनिक तानाशाही के दौरान अकसर वामपंथी विचारधारा या वामपंथी समझे जाने वाले लोगों पर निगरानी रखी जाती थी. पेले से जुड़ी फाइल में उनके पैसों के ट्रांसफर, अखबारों की कतरनें और उनके घर पर 1973 में हुए हमले से जुड़ी जानकारियां हैं. पेले का असली नाम एडसन अरांटेस डे नासिमेंटो है.
ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा राउसेफ भी वामपंथी विद्रोही नेता रह चुकी हैं, जिन्हें कई बार जेल जाना पड़ा था और उन्हें वहां प्रताड़ित भी किया गया. उन्होंने पिछले साल एक आयोग का गठन किया, जिसका काम मानवाधिकार हनन के मामलों की जांच करना है. 72 साल के पेले को न सिर्फ ब्राजील बल्कि पूरी दुनिया में बेहद सम्मान की नजर से देखा जाता है.
ब्राजील ने सबसे ज्यादा पांच बार विश्व कप जीता है, जिनमें से तीन बार विजेता टीम में पेले भी शामिल रहे. 1958, 1962 और 1970 में जब ब्राजील ने विश्व खिताब जीता, तो पेले टीम का हिस्सा थे. उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 1281 गोल किए.
फुटबॉल से संन्यास लेने के बाद भी पेले फुटबॉल और पर्यावरण संबंधी मामलों से जुड़े रहे. 1992 में संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें पारिस्थितिकी और पर्यावरण दूत बनाया. इसके अलावा वह ब्राजील में खेल मामलों के एक्स्ट्राऑर्डिनरी मंत्री भी बनाए जा चुके हैं.
एजेए/ओएसजे (एपी, एएफपी)