प्योंगयांग में किम जोंग उन ने किया पुतिन का भव्य स्वागत
१९ जून २०२४बुधवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में किम इल सुंग चौक पर भव्य स्वागत हुआ. सड़क पर दोनों ओर रूस और उत्तर कोरिया के झंडे लहरा रहे थे. पुतिन और उत्तर कोरिया के नेताओं की बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगी थीं. स्वागत के बाद दोनों नेताओं के बीच कुमुसुसान राजकीय गेस्ट हाउस में बैठक हुई.
इससे पहले किम जोंग उन ने एयरपोर्ट पर पुतिन की आगवानी की. दोनों नेताओं ने जोर से एक-दूसरे को गले लगाया और पूरी गर्मजोशी से हाथ मिलाया.
24 साल बाद दौरा
व्लादिमीर पुतिन इससे पहले साल 2000 में उत्तर कोरिया का दौरा कर चुके हैं. दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं. रूस ना सिर्फ उत्तर कोरिया की आर्थिक मदद करता रहा है बल्कि संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर उसका समर्थन भी करता रहा है. पश्चिमी देशों का आरोप है कि यूक्रेन युद्ध के लिए उत्तर कोरिया ने रूस को हथियार दिए हैं, जो उनके लगाए प्रतिबंधों का उल्लंघन है. उत्तर कोरिया इन आरोपों को निराधार बताता है.
पिछले एक साल में दोनों नेताओं के बीच यह दूसरी मुलाकात है. बीते सितंबर में किम ट्रेन से रूस गए थे. कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) ने कहा कि किम के बुलावे पर पुतिन का दौरा दिखाता है कि दोनों देशों के बीच संबंध "अटूट और स्थायी” हैं.
पुतिन के साथ रूस के कई बड़े नेता इस दौरे पर गए हैं. इनमें विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी शामिल हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह दौरा रक्षा संबंधों पर केंद्रित रह सकता है. हालांकि दोनों नेता सार्वजनिक रूप से आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग पर ज्यादा जोर दे सकते हैं क्योंकि किसी भी तरह का हथियार समझौता संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उत्तर कोरियाई परमाणु कार्यक्रमों पर प्रतिबंधों का उल्लंघन होगा.
जरूरत की दोस्ती
उत्तर कोरियाई मामलों के विशेषज्ञ, डोंगुक यूनिवर्सिटी के मानद प्रोफेसर कोह यू-ह्वान कहते हैं, "यूक्रेन में लंबे युद्ध के लिए रूस को उत्तर कोरिया के हथियारों की जरूरत है. उत्तर कोरिया को खाने, ऊर्जा और आधुनिक हथियारों के लिए रूस की जरूरत है.”
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक तौर पर जो भी घोषणाएं होंगी, सैन्य गठजोड़ को उनसे अलग करके देखा जाना चाहिए. कोह ने कहा, "दोनों नेताओं के बीच बैठकों में क्या बात हुई और बाहर क्या एलान होते हैं, इन्हें अलग-अलग करके देखना होगा. रूस दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ संबंधों को पूरी तरह खत्म नहीं करना चाहेगा.”
मार्च में उत्तर कोरिया ने रूस को तब धन्यवाद दिया था जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसके द्वारा प्रतिबंधों के उल्लंघन की जांच के प्रस्ताव को रूस ने वीटो कर दिया था.
दक्षिण कोरिया के सोल स्थित एवहा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर लीफ-एरिक ईजली कहते हैं, "मॉस्को और प्योंगयांग अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन के आरोपों को नकारना जारी रख सकते हैं लेकिन वे अपनी अवैध गतिविधियों को पर्दे के पीछे छिपाए रखने के बजाय अब अपने सहयोग का खुलेआम प्रदर्शन कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि पुतिन का उत्तर कोरिया जाना दरअसल "तानाशाही के लिए बारूद का काम करते हुए यूक्रेन पर उसके अवैध आक्रमण का समर्थन करने के लिए उत्तर कोरिया को शुक्रिया अदा करने का तरीका है.”
उत्तर-पूर्वी एशिया पर है रूस की निगाह
सोल स्थित इंस्टिट्यूट फॉर नेशनल सिक्यॉरिटी स्ट्रैटिजी में सीनियर रिसर्च फेलो किम सुंग-बे कहते हैं, "अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं. ऐसे में इस दौरे को रूस की उत्तर-पूर्वी एशिया में रणनीतिक जगह बनाने के रूप में देखा जा सकता है. इसके बाद होने वाला पुतिन का वियतनाम दौरा भी इसी मंशा की गवाही देता है.” प्योंगयांग से पुतिन हनोई जाने वाले हैं.
पुतिन के दौरे को लेकर अमेरिका ने भी चिंताएं जताई हैं. सोमवार को अमेरिका ने कहा कि यह दौरा यूक्रेन ही नहीं, दक्षिण कोरिया की सुरक्षा के लिए भी चिंताजनक है.
1950 से 1953 के बीच उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच लंबा युद्ध चला था. हालांकि तब युद्ध विराम हो गया था लेकिन तकनीकी रूप से दोनों देश आज भी युद्धरत हैं. दोनों को बांटने वाली सीमा को दुनिया की सबसे खतरनाक जगहों में से एक माना जाता है.
दक्षिण कोरिया ने कहा कि मंगलवार को उत्तर कोरियाई सैनिकों ने कुछ समय के लिए सीमा पार की और तब दक्षिण कोरियाई सैनिकों ने चेतावनी के लिए गोलीबारी की. हालांकि दक्षिण कोरिया की सेना ने कहा कि संभवतया उत्तरी कोरिया के सैनिक गलती से सीमा पार कर गए थे और लैंडमाइंस के कारण उनमें से कुछ घायल भी हुए.
वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)