कतर में महिला फुटबॉल की नयी करवट का इंतजार
१६ दिसम्बर २०२२कतर की महिला फुटबॉल टीम ने 2010 में अपने पहले मैच में 17 गोल खाए थे. लेकिन वो कम से कम खेल तो रही थी. कतर भले ही आज पुरुषों के विश्व कप फुटबॉल का मेजबान हैं, लेकिन उसकी महिला टीम निष्क्रिय है, 2014 से उस टीम को कोई गेम नहीं खेलाया गया है.
अब उम्मीद की जा रही है कि विश्व कप की विरासत और मोरक्को की पुरुष और महिला टीमों का जलवा, पितृसत्तात्मक समाज वाले कतर में और दूसरे अरब देशों में महिला फुटबॉल को भी आगे ले जाने में मदद करेगा.
कतर ने 2010 में पुरुष विश्व कप फुटबॉल की मेजबानी हासिल की थी. महिला फुटबॉल को विकसित करने की प्रतिबद्धता भी जताई गई थी. लेकिन उस दौरान महिला फुटबॉल टीम एक मैच क्या हारी, वो हताशा अब भी खिलाड़ियों और अन्य लोगों पर हावी है.
राष्ट्रीय टीम की खिलाड़ी हजर सालेह ने डीडब्ल्यू को बताया, "जाहिर है हम लोग उदास हैं और भागीदारी चाहते हैं. हमारे पास अभी कोई रैंकिंग नहीं है, क्योंकि हमने लंबे समय से कोई मैच भी ठीक से नहीं खेला है. अगर खेलेंगे नहीं तो सुधार नहीं हो सकता."
भूतपूर्व टीम की खिलाड़ियों से बात करने या उन तक पहुंचने के लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ा. कहीं बर्नर फोन का इस्तेमाल, तो कहीं राजनयिक मदद, कहीं डिजिटल सुरक्षा की चिंताएं तो कहीं किसी और के नाम से आते किसी अजनबी के फोन. ऐसे लोग भी थे जो, इनक्रिप्टेड मेसेज वाली सेवाओं पर भी कुछ कहने से डरते थे.
फुटबॉल के लिए समर्पित नहीं
2014 की पश्चिम एशियाई फुटबॉल फेडेरेशन महिला चैंपियनशिप में कतर की महिला टीम बहरीन से 2-8 से हार गई थी. इसके बाद हौसला अफजाई और दोस्ताने में महिला टीम की मदद की गई. महिला फुटबॉल के बारे में और सीखने के लिए अमेरिका का दौरा भी कराया गया.
लेकिन प्रतियोगिता में खेलना अलग बात है. फुटबॉल टीम, कतर की महिला खेल समिति के तहत आती है जो कि कुछ औरतों की पर्देदारी वाले किसी मुस्लिम देश में एक प्रगतिशील कदम की तरह दिखता है.
दिक्कत ये है कि ये कमेटी भी एक वृहत्तर ओलम्पिक समिति के तहत आती है और प्रभावशाली ढंग से कतर फुटबॉल एसोसिएशन से नहीं जुड़ी है. कमेटी वैसे भी सिर्फ फुटबॉल को समर्पित नहीं है, उसके दायरे में दूसरे खेल भी आते हैं.
2013 से 2014 तक जर्मनी की मोनिका श्टाब कतर महिला टीम की कोच थीं. कोई आधिकारिक मैच न जीत पाने के बावजूद, उन्होंने टीम के दो अब तक के बेहतरीन नतीजे निकालने में मदद की. मालदीव को उस टीम ने 3-0 और 1-0 से हराया. वो खुले तौर पर कतर अधिकारियों की आलोचना से परहेज करती थीं. लेकिन अब वो सउदी अरब टीम की हेड के रूप में काम कर रही हैं जहां उनका कहना है कि तरक्की काफी बढ़िया चल रही है.
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "आप और आगे जाना चाहें तो जा सकते हैं. कतर की खिलाड़ियों को बाहरी अनुभव की दरकार है. ऐसा नहीं है कि सब कुछ गायब हो गया है. आपको मदद के लिए सही लोग भी चाहिए. सउदी अरब में, मैं खुशकिस्मत रही."
'एक बार में एक कदम'
कतर में अब फुटबॉल अकादमिकों की गहमागहमी है और बुनियादी ढांचा भी फलफूल रहा है. इसकी एक वजह है विश्व कप की मेजबानी और दूसरी वजह है कतर का गर्म मौसम जिसके चलते बायर्न म्युनिख जैसे यूरोपीय पुरुष फुटबॉल क्लबों के लिए वो मुफीद ट्रेनिंग ठिकाना बन गया है.
विश्व कप के आठ मैचों की मेजबानी करने वाला एजुकेशन सिटी स्टेडियम, उसकी डिजाइनर कंपनी बीडीपी के मुताबिक, कतर की महिला फुटबॉल का घर हो सकता है.
सबसे मशहूर संस्थान है एस्पायर एकेडमी. 2004 में कतर ने इसका गठन किया था. मकसद था विभिन्न खेलों के एथलीटों को नये अवसर मुहैया कराना और वृहत्तर दुनिया के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर पहनचान बनाना. लेकिन इतने साल बाद भी, उसके पास महिला फुटबॉल का कार्यक्रम ही नहीं है.
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व विश्व कप खिलाड़ी टिम केहिल इस समय एस्पायर एकेडमी में मुख्य खेल अधिकरी हैं.
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "मेरी बेटी यहां लुसेल के लिए खेलती है...कतर में महिला फुटबॉल खूब है. फुटबॉल की एक प्रक्रिया होती है, आपको इन तमाम चीजों से गुजरना पड़ता है और अलग अलग संगठन शुरू करने पड़ते हैं. एस्पायर में महिला फुटबॉल के बारे में हमेशा बात होती है. हम लोग एक बार में एक कदम उठा रहे हैं."
लड़कियों और औरतों के लिए जिस कतर फुटबॉल स्कूल के पास प्रोग्राम है, वो है पेरिस सेंट-जरमैन (पीएसजी) एकेडमी. लियोनेल मेसी, नेमार और काइलियान एम्बापे जैसे दिग्गजों वाले इस फ्रांसीसी महिला क्लब और पुरुष चैंपियंस की मालिक कतर स्पोर्ट्स इंवेस्टमेंट्स नाम की कंपनी है जो कतर निवेश प्राधिकरण की एक सब्सिडयरी है.
कतर सरकार के साथ जुड़ाव के बावजूद कतर की राष्ट्रीय टीम से कोई वास्तविक सहयोग नहीं है.
लेबनानी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अया जुर्डीस, पीएसजी एकेडमी में कोच भी हैं. वो कहती हैं कि कतर महिला टीम को मदद की पेशकश की गई थी लेकिन उन्हें दो टूक मना कर दिया गया.
वो डीडब्ल्यू से कहती है, "हमने उन्हें ये आइडिया दिया था लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया."
"लड़कियों और क्लबों की संख्या अच्छी-खासी है. कोई उचित प्रबंधन नहीं है. महिला फुटबॉल में इन लोगों की अभी कोई दिलचस्पी नहीं है. अगर वहां पूर्व ट्रेनर मोनिका श्टाब को आजादी दी जाती जो उन्हें अब सउदी अरब में मिली है, तो आज उनकी टीम बेहतर स्थिति में होती."
'बेहतरीन मिसाल है मोरक्को'
जुर्डीस मानती है कि सांस्कृतिक मुद्दे कतर को रोक हुए हैं. वो कहती हैं, "उनके पास महिला लीग हैं लेकिन वे बंद दरवाजों में खेली जाती हैं. पीएसजी में पुरुष कोच हैं और वो सबके लिए खुली है."
कतर महिला खेल समिति से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. ओंलपिक समिति की वेबसाइट पर जारी बयान के मुताबिकः कतर महिला खेल समिति, वर्षों से विभिन्न खेलों में महिला भागीदारी और प्रदर्शन को मजबूत करती आई है.
किसी अरब देश में हुए पहले विश्व कप में मोरक्को के शानदार प्रदर्शन ने अरब दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में अगले साल होने वाले महिला फुटबॉल विश्व कप में मोरक्को की महिला टीम भी पहली बार हिस्सा लेगी.
मोनिका श्टाब कहती हैं, "मोरक्को महिला विश्व कप में भाग ले रहा है. ये बहुत शानदार बात है. मैंने सुधार होते देखा है. मोरक्को अरब जगत के लिए बेहतरीन मिसाल है." उन्हें उम्मीद है कि इस भूभाग में भी जल्द ही महिला विश्व कप होगा. वो कहती हैं, "इसमें 20 साल नहीं लगेंगे, मेरे ख्याल से और जल्दी ये मुमकिन होगा."
नाईजीरिया के पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी संडे ओलिसेह विश्व कप में फीफा के टेक्निकल ग्रुप में है और उनकी पत्नी मोरक्को से हैं. ओलिसेह को लगता है कि मोरक्को के मौजूदा जुनून का फायदा महिला फुटबॉल का होगा.
वो कहते हैं, "मोरक्को की महिला टीम ने मेरे देश नाईजीरिया की टीम को हाल में ही हराया था. मोरक्को के पुरुष फुटबॉल की कामयाबी से मदद मिलेगी. कामयाबी से बेहतर कुछ नहीं होता."
कतर के खिलाड़ी हजर सालेह भी भविष्य के बारे में आशावान हैं. वह कहती हैं, "हमसे वादा किया गया है कि अगले साल और मुकाबले होंगे. संभावनाएं बहुत हैं."
रिपोर्टः मार्क मीडोज, कतर