अरबों डॉलर मिलने से भी दूर नहीं हुई गरीबी
ग्रीस को मिली अरबों रुपए की मदद के बावजूद अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही. वहां गरीबी की दर दोगुनी हो गई है. बहुत से ग्रीक लोग अपनी आम जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
आर्थिक तंगी
ग्रीस में कई साल से जारी आर्थिक संकट ने लोगों की जिंदगी मुश्किल कर दी है. बीते सात साल में ग्रीस को अरबों यूरो की मदद मिली है, लेकिन गरीबी अब भी बड़ी समस्या बनी हुई है. लोग बेहद तंगी में जीवन काट रहे हैं.
तीन बेलआउट पैकेज
तस्वीर एथेंस की है जहां लोग सामाजिक सुरक्षा के तहत मिलने वाली मदद के लिए लाइन लगाए खड़े हैं. वैश्विक मंदी के चलते ग्रीस के साथ आयरलैंड, पुर्तगाल और साइप्रस की भी हालत खस्ता हुई थी. उनकी हालत अब बेहतर है. लेकिन तीन बेलआउट पैकेजों के बाद भी ग्रीस बेहाल है.
मुश्किल हुआ गुजारा
61 साल की एवा एगकिसालाकी रिटायर्ड टीचर हैं. उन्हें पेंशन नहीं मिलती क्योंकि जब बेलआउट पैकेज लागू किया गया तो रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर 67 साल कर दी गई. उनके पति की पेंशन भी आर्थिक सुधारों के कारण 980 यूरो से घटकर 600 यूरो रह गई.
"जैसे तैसे गुजारा"
एवा ऑर्थोडॉक्स चर्च की तरफ से चलाए जा रहे सूप किचन में काम करती हैं. वहां से जो कुछ उन्हें मिलता है, उससे वह अपने बेरोजगार बेटी और बेटे का भी गुजारा चलाती हैं. उनका कहना है कि बस जैसे तैसे गुजारा हो रहा है और ज्यादातर ग्रीक लोग ऐसे ही जी रहे हैं.
अब और नहीं..
ग्रीक संसद के बाहर टैक्स में कटौती की मांग को लेकर प्रदर्शन. अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं ने ग्रीस से कहा है कि टैक्स बढ़ाए जाएं और पेंशनों में कटौती हो. लेकिन सरकार का कहना है कि जितना मुमकिन था, उतनी कटौती पहले ही हो चुकी है.
गरीबी रेखा से नीचे
एक बुजुर्ग महिला सूप किचन में दान किए हुए कपड़े और जूते देख रही है. वैसे ग्रीस यूरोपीय संघ का सबसे गरीब सदस्य नहीं है. रोमानिया और बुल्गारिया कहीं ज्यादा गरीब हैं. लेकिन यूरोस्टैट के मुताबिक ग्रीस में 22.2 प्रतिशत लोग बेहद गरीबी में जी रहे हैं.
कम है उम्मीद
बेघर लोगों की मदद के लिए एथेंस में मोबाइल लॉन्ड्री सर्विस चलाने वाले फानिस सोनास कहते हैं, "रोज आपको वही चेहरे दिखते हैं. कुछ नए लोग भी दिखते हैं." इस बीच, कई सारे लोग अपने कपड़ों का गट्ठर लिए उनकी वैन की तरफ बढ़े चले आ रहे हैं. रिपोर्ट: नदीन बैर्गहाउजेन/एके