जब घरों की दीवारें सूरज की मदद से बिजली बनाएंगी
२८ जून २०१६बिजली बनाने के लिए सौर पैनलों का इस्तेमाल बढ़ रहा है. अब तक ये पैनल घरों की छतों पर लगाए जाते हैं ताकि सूर्य की किरणें उस पर सीधी गिरें. लेकिन अब घर की दीवारों के इस्तेमाल की भी सोची जा रही है. कितना अच्छा हो कि घर की दीवार पर लगा सीमेंट सोलर पैनल का कैरियर बन जाए. जर्मनी की कासेल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ऐसी ही एक कोशिश कर रहे हैं. वे इसके लिए पौधों की नकल करना चाहते हैं. तीन अरब साल से हरे पौधे क्लोरोफिल पिगमेंट की मदद से सूरज की रोशनी का संस्लेषण कर रहे हैं. हरे पत्ते फोटोसिंथेसिस के जरिये रोशनी को रासायनिक ऊर्जा में बदल देते हैं. यह धरती पर हर प्रकार की जिंदगी का आधार है. वैज्ञानिक भी ऊर्जा प्राप्ति के इस तरीके की नकल कर रहे हैं. आर्किटेक्टों, कलाकारों, नैनो वैज्ञानिकों और डिजायनरों की एक टीम की ऐसा मैटेरियल बना रही है जो सोलर पैनल का भी काम करता है और सूरज की रोशनी को बिजली में भी बदलता है.
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इस प्रयोग के सबसे शुरू में कंडक्टर सीमेंट को बनाया जाएगा. सीमेंट में ग्रेनाइट मिलाकर उसे संवाहक बना लिया गया है. सीमेंट और कंक्रीट का मिश्रण सूखने के बाद कड़ा होकर प्लस या माइनस पोल की तरह काम करता है और वह इलेक्ट्रॉन को संवाहित कर सकता है. आर्किटेक्ट टॉर्स्टन क्लूस्टर और आर्टिस्ट हाइके क्लूसमन के मन में विचार आया कि इस सीमेंट के मिक्सचर को सौर ऊर्जा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाए. हाइके क्लूसमन कहती हैं, “हमने जो सीमेंट बनाया है उसकी खास बात यह है कि यह टच सेंसिटिव है. छूने की संवेदनशीलता इसलिए है कि हमने इसे कंडक्टिव बना दिया है. और ये कंडक्टिव सीमेंट हमारे सोलर सीमेंट का आधार है.”
सीमेंट को इलेक्ट्रिकली एक्टिवेट करने के लिए रिसर्चर सीमेंट पर रंग की विभिन्न परतें स्प्रे करते हैं. नतीजे में एक पिगमेंटेड सोलर सेल बनता है तो बिजली पैदा करता है. इसमें रंग की पतली परतों का क्रम बहुत ही महत्वपूर्ण है. वैज्ञानिक टॉर्स्टन क्लूस्टर बताते हैं कि यदि रंग की परतों को सही तरीके से मिलाया जाए तो वह फोटोवोल्टिक सेल की तरह काम करता है और सूरज की रोशनी जब रंगों पर पड़ती है तो इलेक्ट्रॉन मुक्त होते हैं जिससे बिजली बहनी शुरू होती है.
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एक सोलर सेल कुछ सौ मिली वोल्ट करंट पैदा करता है. इन सोलर सेलों की कुशलता का फैक्टर फिलहाल सिर्फ दो प्रतिशत है. जो अभी भले ही बहुत कम है लेकिन प्रयोग की कामयाबी की शुरुआत का संकेत है. हाइके क्लूसमन बताती हैं कि सोलर सीमेंट इसलिए भी दिलचस्प है कि इसे आसानी से बनाया जा सकता है, यह पर्यावरण के लिए नुकसानदेह नहीं है और इसे बड़ी सतहों पर इस्तेमाल में लाया जा सकता है. वह कहती हैं, “यदि आप भविष्य की सोचें तो शहर की सारी समतल सतहें बिजली पैदा कर सकती हैं.“
घरों की दीवारों पर जितने ज्यादा सीमेंट सेल लगाए जाएंगे, उतनी ही ज्यादा सौर ऊर्जा पैदा हो सकेगी. आदर्श स्थिति में एक वर्गमीटर की जगह में 20 वॉट बिजली पैदा की जा सकेगी. पांच साल में इस सेल का औद्योगिक उत्पादन शुरू हो सकता है. तब इसे नए घरों में तो लगाया ही जा सकेगा, इससे पुराने घरों को भी बिजली के मामले में आधुनिक बनाया जा सकेगा.
मार्टिन रीबे