चीन में हाड़ कंपा देने वाले पानी में तैराकों ने लगाई छलांग
चीन के हिलौंगजांग प्रांत का हार्बिन शहर सर्दियों में कुछ समय के लिए बर्फ के शहर में तब्दील हो जाता है. इस शहर में जैसे ही पारा -17 पर गिरा, वैसे ही दर्जनों तैराकों के बीच बर्फीले पानी में तैरने की होड़ सी लग गई.
10 सेंटीमीटर मोटी बर्फ की चादर चीरते हैं तैराक
सबसे पहले सुगंहुआ नदी पर से 10 सेंटीमीटर मोटी बर्फ की चादर तोड़कर उसमें से एक पूल बनाया जाता है. फिर तैराक एक-एक करके लगभग 10 मीटर (30 फीट) लंबे तालाब के हाड़ कंपा देने वाले पानी में कूद पड़ते हैं.
साल भर रोज तैयारी करते हैं तैराक
10 लाख स्क्वायर मीटर में फैला हुआ यह दुनिया का सबसे बड़ा बर्फ का थीम पार्क है. इस मौसम में तैरने के लिए तैराक साल भर रोज तैयारी करते हैं और दूर दूर से आते हैं.
हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके आते हैं तैराक
शेन शिआ चीन के झेझांग प्रांत से आती हैं. उन्होंने बताया कि वो 1700 किलोमीटर की दूरी तय करके आई हैं. नजला जुकाम होने के बावजूद वो इस ठंडे पानी में तैरने के लिए उत्सुक हैं. और भी कई लोग हैं जो हजारों मील का सफर कर इस खेल में हिस्सा लेते हैं.
रूस के ईसाईयों को देख शुरू हुआ रिवाज
हार्बिन की रहने वाली ईयू शियाओफंग कहती हैं कि सर्दी में तैराकी का रिवाज 70 के दशक से चालू हुआ जब स्थानीय निवासियों ने रूस के ऑर्थोडॉक्स चर्च के लोगों को नदी के ठंडे पानी में बैप्टिज्म करते देखा. दरअसल यह शहर रूस की सीमा के पास है.
बुजुर्ग भी लेते हैं बढ़चढ़कर हिस्सा
56 वर्षीय शेन का कहना है कि वो 20 सालों से बर्फीले पानी में तैराकी के इस खेल में बनी हुई हैं और हार्बिन में तैरने से इसे जारी रखने का हौसला बना रहता है. 76 वर्षीय ईयू डेकांग और 61 वर्षीय ईयू शियाओफंग जैसे कई बुजुर्ग भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं.
बर्फीले पानी में तैराकी सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है
61 वर्षीय ईयू का कहना है कि कोविड के दौरान उनका नारा था कि अस्पताल की लाइनों में लगने से बेहतर है कि ठंडे पानी में तैर लिया जाए. डेकांग का भी मानना है कि इससे वो स्वस्थ रहते हैं और उन्हें इसी कारण आजतक सर्दी नहीं हुई.