जर्मन चुनाव में सीरियाई शरणार्थी किसकी तरफ?
२१ सितम्बर २०२१तारिक साद अन्य सीरियाई शरणार्थियों की मदद करने के इच्छुक हैं, जो जर्मनी में एक नया घर बसाने के लिए अपनी मातृभूमि सीरिया में गृह युद्ध से भाग निकल कर आए हैं. साद 26 सितंबर को संसदीय चुनाव को ऐसा करने के अवसर के रूप में देखते हैं.
इन दिनों साद सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) के लिए बाल्टिक तट पर श्लेस्विग-होल्स्टीन के अपने गोद लिए गए राज्य में प्रचार कर रहे हैं. सीरिया में वे फायरिंग में घायल हो गए थे. जर्मनी में आने के दो साल बाद 2016 में वे इस पार्टी में शामिल हुए थे.
राजनीति विज्ञान के 28 वर्षीय छात्र साद कहते हैं, "मैंने सोचा कि मेरे जीवन को कठिन बनाने वाली चीजें दूसरों को भी पीड़ा दे रही हैं. जितनी जल्दी हो सके उन्हें दूर करने के लिए एक राजनीतिक दल में शामिल होना चाहिए."
साद आगे कहते हैं, "हमारे माता-पिता कई सालों तक (सीरिया में) एक अलग राजनीतिक व्यवस्था के तहत रहते आए. यह जर्मनी में एक नई पीढ़ी विकसित करने का अवसर है." साद कई शरणार्थियों की तरह एक जर्मन नागरिक के रूप में पहली बार मतदान करें.
चांसलर अंगेला मैर्केल का 2015 में हजारों सीरियाई शरणार्थियों के लिए दरवाजा खोलने का फैसला 2017 में जर्मनी के संसदीय चुनाव अभियान का एक निर्णायक मुद्दा था.
सभी नए जर्मन नागरिक साद की तरह अपने मतदान के इरादे के बारे में स्पष्ट नहीं हैं. स्विस सीमा के पास जिंगेन शहर के रहने वाले 29 साल के महेर उबैद के मुताबिक, "मैं इस अवसर को पाकर खुश हूं लेकिन मैं सतर्क हूं और शायद वोट नहीं करूंगा."
उबैद ने 2019 में जर्मन नागरिकता हासिल की. वह कहते हैं कि राजनीतिक दलों के बीच विदेश नीति को लेकर स्पष्टता की कमी है और विशेष रूप से सीरिया को लेकर. इसी वजह से वह मतदान को लेकर हिचकिचा रहे हैं.
जर्मनी में सीरियाई लोग
संघीय आंकड़ों के मुताबिक जर्मन नागरिकता हासिल करने वाले सीरियाई लोगों की संख्या 2020 में 74 प्रतिशत बढ़कर 6,700 हो गई. कुल सीरियाई शरणार्थियों की संख्या बहुत अधिक होने का अनुमान है, जो करीब सात लाख हो सकती है. लेकिन नागरिकता हासिल करने के लिए समय और कोशिश की जरूरत होती है.
एक्सपर्ट काउंसिल ऑन इंटीग्रेशन एंड माइग्रेशन (एसवीआर) द्वारा 2020 के एक अध्ययन में पाया गया कि 2017 में केवल 65 प्रतिशत जर्मनों ने प्रवास की पृष्ठभूमि के साथ मतदान किया, जबकि 86 प्रतिशत मूल निवासी जर्मनों ने मतदान किया.
अध्ययन में पाया गया था कि भाषा प्रवाह और सामाजिक-आर्थिक स्थिति प्रवासियों की भागीदारी को निर्धारित करने वाले दो कारक थे, साथ ही उनके देश में रहने की अवधि भी.
शोध में कहा गया था, "एक व्यक्ति जितना अधिक समय तक जर्मनी में रहता है...उतनी ही अधिक संभावना है कि वे राजनीति को समझेंगे और राजनीतिक जीवन में भाग ले सकते हैं."
सीरियाई लोग मैर्केल के रूढ़िवादी दल का समर्थन करने की अधिक संभावना रखते दिखते हैं, जिसने 2013 से 2016 तक शर्णार्थी नीति को आकार दिया था. उसी दौरान अधिकांश लोग जर्मनी पहुंचे थे.
मैर्केल के उत्तराधिकारी पर नजर
16 साल तक चांसलर पद रहने वालीं मैर्केल अब विदा हो रही हैं और ऐसे में कई सीरियाई लोग हैं जो अलग हटकर गुना भाग कर रहे हैं.
लाइपजिष में प्रवासी एकीकरण संगठन के प्रमुख अब्दुल अजीज रमादान के मुताबिक, "सीरियाई लोगों को बहुत होशियार होना चाहिए... मैर्केल ने जो किया वह सही था लेकिन उनके उत्तराधिकारी क्या कर रहे हैं?"
फेसबुक पर सीरियाई प्रवासियों के समूह के सदस्यों के बीच एक अनौपचारिक सर्वे से पता चलता है कि अधिकांश अब एसपीडी को वोट देंगे, उसके बाद ग्रीन पार्टी को वोट डालेंगे अगर वे वोट के हकदार होते हैं तो. तीसरा "विकल्प मुझे परवाह" नहीं था.
तस्वीरों मेंः कवर गर्ल अंगेला मैर्केल
फ्राइबुर्ग में रहने वाले डॉ. महमूद अल कुतफाइन ने पिछले चुनाव में भी मतदान किया था. वह कहते हैं, "भावना के साथ मैंने मैर्केल की पार्टी के लिए मतदान किया था क्योंकि उन्होंने शरणार्थियों का समर्थन किया था."
इस बार के चुनाव को लेकर वह अब तक कोई फैसला नहीं कर पाए हैं. वह कहते हैं, "चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है लेकिन मैं ईमानदारी से कहूं तो अभी तक मैंने फैसला नहीं किया है."
एए/वीके (रॉयटर्स)