अरब लीग में सीरियाई विपक्ष
२७ मार्च २०१३दोहा में हो रहे सम्मेलन के दौरान मुआज अल खातिब सीरियाई प्रतिनिधियों के प्रमुख के तौर पर पहुंचे. सम्मेलन हॉल में शामिल अरब लीग के सारे नेताओं ने तालियों से उनका स्वागत किया. बैठक की अध्यक्षता कतर के अमीर शेख हमाद बिन खलीफा अल थानी कर रहे हैं. इस महीने की शुरुआत में अरब देशों के विदेश मंत्रियों ने सुझाव दिया था कि सीरिया का प्रतिनिधित्व वहां के विपक्षी नेता करें. 2011 में सीरियाई शासन के विरोध प्रदर्शनों को दबाने के बाद सीरिया को अरब लीग से बाहर कर दिया गया था.
अल खातिब के अलावा सीरियाई नेताओं में घसन हितो शामिल हैं जो सीरिया में विरोधी नियंत्रित इलाकों में अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री हैं. हितो के अलावा जॉर्ज साबरा और सुहैर अतासी इस बैठक में सीरिया का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अल खातिब ने सम्मेलन में आए नेताओं को संबोधित करते हुए कहा, "सीरिया के लोग बड़े दिनों से इस वैधता को दोबारा स्थापित करने का इंतजार कर रहे हैं और यह उसका हिस्सा है."
विपक्ष की हार
सीरिया के विपक्ष के लिए यह एक बड़ी जीत है लेकिन यह जीत इस बात को नहीं छिपा पा रही कि सीरियाई नेता खुद बंटे हुए हैं.अल खातिब ने विपक्ष के नेतृत्व से इस्तीफा देने का प्रस्ताव रखा था लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया. साथ ही विरोधी दलों की सेना अंतरिम तौर पर हितो के प्रधानमंत्री बनने के खिलाफ है क्योंकि उनका मानना है कि हितो का चुनाव सर्वसम्मति से नहीं हुआ. कुछ विपक्षी सदस्यों ने कतर और मुस्लिम ब्रदरहुड पर आरोप लगाया है कि वह विपक्ष परिषद पर अपनी मर्जी थोप रहे हैं.
शोध संस्था ब्रुकिंग्स दोहा सेंटर के सलमान शेख का मानना है कि अल खातिब सीरिया संकट के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया से काफी दुखी हैं. डॉयचे वेले के साथ बातचीत में शेख ने कहा कि अल खातिब ने एक अंतरिम सरकार बनाने का विरोध किया था. अल खातिब का मानना था कि विपक्षी गठबंधन में अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधि कम थे और महिलाओं की संख्या भी बहुत कम थी. अल खातिब ने इसलिए फैसला किया कि वह गठबंधन के बाहर रहकर देश के लिए ज्यादा कर सकते हैं. सलमान शेख का मानना है कि अगर इस गठबंधन को सीरियाई लोगों का प्रतिनिधित्व करना है तो अल खातिब के इस फैसले के गंभीर नतीजे होंगे. सीरिया के विपक्षी नेशनल गठबंधन में इस्लामी, उदारवादी और वामपंथी नेता हैं. उनपर आरोप लगे हैं कि मुस्लिम ब्रदरहुड का प्रभाव उनपर बहुत ज्यादा है. इसके अलावा ऐसे बहुत सारे विरोधी गुट हैं जो गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. बंटे हुए विरोधी दलों पर गठबंधन का प्रभाव बहुत कम है. सलमान शेख का मानना है कि गठबंधन सीरिया के लोगों में विश्वास बढ़ाना चाहता था लेकिन अब वह ऐसा नहीं कर पा रहा है.
सरकार नाराज
दमिश्क में सीरियाई सरकार ने अरब लीग द्वारा विपक्ष को समर्थन देने की कड़ी निंदा की है. उसका कहना है कि अरब नेता इस्राएल और अमेरिका को खुश करने के लिए ऐसा कर रहे हैं. सरकारी अखबार अल थवरा में छपे एक बयान के मुताबिक, "अरब लीग ने अरब सुरक्षा को कायम रखने के लिए हुए समझौतों और कसमों को हवा में उड़ा दिया है और संकट शुरू होने के साथ साथ और अब तक जिस तरह के शर्मनाक फैसले उसने सीरियाई लोगों के खिलाफ लिए हैं उससे पता चलता है कि अरब लीग ने अपनी अरब पहचान एक यहूदी-अमेरिका पहचान में बदल दी है." सीरियाई सरकार का मानना है कि उसके देश में संघर्ष एक अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र है जिससे उसे कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. 2011 के मार्च में सरकार ने विरोधी प्रदर्शनों को हिंसा से दबाने की कोशिश की और कुछ समय में संघर्ष ने बढ़कर सरकार के खिलाफ युद्ध का रूप ले लिया. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अब तक वहां 70,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
रिपोर्टः मानसी गोपालकृष्णन (आंद्रेआस गोरसेव्सकी, एएफपी)
संपादनः आभा मोंढे